Jaider Esbell (Brazil), The Intergalactic Entities Talk to Decide the Universal Future of Humanity, 2021.

जैदर एस्बेल (ब्राज़ील), अंतरिक्ष की संस्थाएँ पूरी मानवता के भविष्य पर निर्णय लेने के लिए बात कर रही हैं, 2021.

 

प्यारे दोस्तों,

ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन।

31 मार्च 1964 को ब्राज़ील की सेना ने राष्ट्रपति जोआओ गॉलार्ट की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई प्रगतिशील सरकार के ख़िलाफ़ तख़्तापलट शुरू किया। अगले दिन, गॉलार्ट को हटा दिया गया और दस दिन बाद, राष्ट्रीय कांग्रेस के 295 सदस्यों ने सरकार का ज़िम्मा जनरल कैस्टेलो ब्रैंको और एक सैन्य दल को सौंप दिया। अगले इक्कीस वर्षों तक ब्राज़ील पर सेना का शासन रहा।

ब्राज़ील की सेना एक ऐसी संस्था है जिसकी जड़ें सामज में गहरी हैं, और अमेरिकी महाद्वीप में संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद दूसरी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति है। 1964 का तख़्तापलट ऐसी पहली घटना नहीं थी, जब सेना अपने बैरक छोड़कर सत्ता पर क़ाबिज़ हो गई हो। ब्राज़ील साम्राज्य (1822-1889) को उखाड़ फेंकने में अपनी भूमिका के साथ, सेना ने 1930 की क्रांति में राष्ट्रपति वाशिंगटन लुइस को हटाने का काम किया, और उनकी जगह गेटुलियो वर्गास को नियुक्त किया, और इसके बाद 1945 में वर्गास के एस्टाडो नोवो (तीसरे ब्राज़ील गणराज्य) को समाप्त करने में भी हस्तक्षेप किया था। ब्राज़ील के नागरिक युग में जो नौ राष्ट्रपति रहे, उनमें एक जनरल यूरिको गैस्पर ड्यूट्रा (1946-1951), और ख़ुद वर्गास शामिल थे, जो कि आम लोगों जैसे दिखते थे लेकिन जिन्होंने अभिजात वर्ग और संयुक्त राज्य अमेरिका में उनके क़रीबी सहयोगियों के हितों को बरक़रार रखा। गॉलार्ट ने ब्राज़ील की जनता को लाभ पहुँचाने के लिए एक समाजवादी लोकतांत्रिक एजेंडा चलाते हुए पुराने समझौते को कुछ हद तक तोड़ने का प्रयास किया; इससे अमेरिकी सरकार चिढ़ गई, क्योंकि उसे लगा कि गॉलार्ट ब्राज़ील को साम्यवाद की दिशा में ले जाएँगे।

 

 

संयुक्त राज्य अमेरिका की केंद्रीय ख़ुफ़िया एजेंसी (सीआईए) का अभिलेखागार 1964 के तख़्तापलट में उसकी बड़ी भागीदारी को दर्शाता है। सितंबर 1961 में गॉलार्ट के पदभार ग्रहण करने के एक साल से भी कम समय के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ़ कैनेडी ने जुलाई 1962 में ब्राज़ील के राष्ट्रपति के बारे में अपनी चिंताओं पर चर्चा करने के लिए अपने सलाहकार रिचर्ड गुडविन और ब्राज़ील में अमेरिकी राजदूत लिंकन गॉर्डन से मुलाक़ात की। गॉर्डन ने कैनेडी और गुडविन को बताया कि गॉलार्ट सेना में परिवर्तन करना चाहते हैं, और कई सैन्य कमांडरों की बदली कर चुके हैं और कई औरों को बदलने की कोशिश में हैं। ‘उन परिवर्तनों में वह कितना आगे जाते हैं, यह थोड़ा बहुत सेना के प्रतिरोध पर निर्भर करता है। मुझे लगता है कि हमारे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है सेना की रीढ़ को मज़बूत करना। सावधानीपूर्वक यह स्पष्ट करने के लिए कि हम किसी भी प्रकार की सैन्य कार्रवाई के आवश्यक रूप से विरोधी नहीं हैं’। संयुक्त राज्य अमेरिका ने गॉलार्ट के ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों की? ‘वह साले देश को देना चाहता है …’, गॉर्डन ने कहना शुरू किया था, जब कैनेडी ने बीच में ही टोककर कहा ‘कम्युनिस्टों को’। राजदूत गॉर्डन ने कहा, ‘मैं देख सकता हूँ कि वे (सेना) हमारे साथ बहुत दोस्ताना हैं, काफ़ी कम्युनिस्ट-विरोधी हैं, गॉलार्ट के प्रति बहुत संदिग्ध हैं’। यह तख़्तापलट अमेरिकी सरकार के तथाकथित ऑपरेशन ब्रदर सैम का हिस्सा था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ब्राज़ील बहुराष्ट्रीय निगमों के लक्ष्यों के प्रति वफ़ादार रहे।

संयुक्त राज्य अमेरिका ने ब्राज़ील की सेना को सहायता प्रदान की, इस स्पष्ट संदेश के साथ कि वाशिंगटन सैन्य तख़्तापलट का समर्थन करेगा। जब ब्राज़ील की सेना ने 31 मार्च को अपने बैरक छोड़े, तब रियो डी जनेरियो में अमेरिकी दूतावास के एक टेलीग्राम ने अमेरिकी नौसेना को ब्राज़ील के समुद्र तट पर युद्धपोतों का एक बेड़ा तैनात करने के लिए सचेत किया। अवर्गीकृत दस्तावेज़ अब हमें उस तख़्तापलट को अंजाम देने में अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन बी जॉनसन, सीआईए और ब्राज़ील की सेना के बीच हुए मिनट-दर-मिनट समन्वय को दिखाते हैं।

 

 

 

अगले इक्कीस वर्षों तक ब्राज़ील पर शासन करने वाले सेना के जनरल ब्राज़ील में सर्वोच्च रैंकिंग वाले युद्ध कॉलेज एस्कोला सुपीरियर डी गुएरा (ईएसजी) के अनुसार ‘भू-रणनीति’ अपनाते रहे, यह दृष्टिकोण इस परिप्रेक्ष्य पर टिका था कि संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्राज़ील संयुक्त रूप से अमेरिकी गोलार्ध पर नियंत्रण करेंगे। इन जनरलों ने उत्तर अमेरिकी बैंकों और खनन कंपनियों के निवेश के लिए ब्राज़ील की अर्थव्यवस्था के दरवाज़े खोल दिए, जहाँ से कमाए मुनाफ़े वे वापस अपने देश भेज सकते थे (1978 में, सिटीकॉर्प के मुनाफ़े का 20% हिस्सा ब्राज़ील से होता था, जो कि संयुक्त राज्य अमेरिका से होने वाले मुनाफ़े से कहीं अधिक था)। बहुराष्ट्रीय निगमों को दी जाने वाली रियायतों के हिसाब से इन जनरलों का शासन सुनिश्चित होता था, इसलिए मज़दूरी श्रम उत्पादकता की वृद्धि से कम रही और मुद्रास्फीति 30% (1975) से बढ़कर 109% (1980) हो गई। 1980 आते आते, ब्राज़ील के ऊपर दक्षिणी गोलार्ध के अन्य देशों के मुक़ाबले (55 अरब डॉलर का) सबसे ज़्यादा क़र्ज़ हो गया था; राष्ट्रपति जोआओ फिगुएरेडो (1979-1985) ने कहा कि ‘विकास के लिए कुछ भी नहीं बचा है’।

श्रमिकों, छात्रों, आदिवासी समुदायों, धार्मिक समुदायों और जनता के अन्य वर्गों के बड़े पैमाने पर हो रहे विरोध और संघर्षों के कारण 1985 में सेना का पतनशील शासन सरकारी सत्ता छोड़ने को मजबूर हो गया। लेकिन, सेना ने सत्ता का हस्तांतरण यह सुनिश्चित करते हुए बड़ी सावधानी के साथ किया कि इस परिवर्तन के चलते उसकी शक्ति में कोई सार्थक कमी न आए। वर्कर्स पार्टी (1980), भूमिहीन ग्रामीण श्रमिकों के आंदोलन एमएसटी (1984), और अन्य संगठनों के नेतृत्व में जनवादी आंदोलन ने ब्राज़ील की कठोर वर्ग संरचना को पीछे धकेला है और कई जीत हासिल की। चुनावी क्षेत्र में इस जनवादी आंदोलन का सबसे सुनहरा दौर 2003 से 2016 तक का रहा, जब वर्कर्स पार्टी से निर्वाचित लूला दा सिल्वा और डिल्मा रूसेफ़ देश के राष्ट्रपति रहे। इस दौरान, देश में भूख और पूर्ण ग़रीबी ख़त्म करने के लिए (पारिवारिक भत्ता कार्यक्रम बोल्सा फ़ैमिलिया के माध्यम से) बड़े पैमाने पर धन पुनर्वितरण कार्यक्रम चलाया गया; सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों में वृद्धि हुई; न्यूनतम मज़दूरी में वृद्धि हुई; स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली का पुनरुद्धार किया गया; और उच्च शिक्षा का लोकतांत्रिकरण किया गया। 2016 में डिल्मा के ख़िलाफ़ अमेरिका समर्थित क़ानूनी तख़्तापलट के साथ इन सभी प्रगतियों का क्षरण शुरू हो गया।

 

 

ट्राईकॉन्टिनेंटल: समजिक शोध संस्थान में, हमारे शोधकर्ता 2016 के बाद की अवधि में और विशेष रूप से, जायर बोलसोनारो के राष्ट्रपति काल के दौरान ब्राज़ील की सेना की भूमिका का सावधानीपूर्वक अध्ययन कर रहे हैं। बोलसोनारो ने न केवल सैन्य तानाशाही (1964-1985) का महिमामंडन किया है, बल्कि उन्होंने देश पर शासन करने के लिए एक प्रभावी ‘मिलिट्री पार्टी’ का निर्माण भी किया है। हमारा ताज़ा प्रकाशन, द मिलिट्रीज़ रिटर्न टू ब्राज़ीलियन पॉलिटिक्स (ब्राज़ील की राजनीति में सेना की वापसी), डोज़ियर नं. 50, मार्च 2022, ब्राज़ील की राजनीति और वहाँ के समाज के सैन्यीकरण का बारीक आकलन पेश करता है। इस डोज़ियर का मुख्य तर्क यह है कि ब्राज़ील की सेना का विस्तार किसी बाहरी ख़तरे का सामना करने के लिए नहीं, बल्कि समाज पर ब्राज़ील के कुलीनतंत्र -और उसके बहुराष्ट्रीय सहयोगियों- के नियंत्रण को गहरा करने के लिए हुआ है। सशस्त्र बल नियमित रूप से ‘आंतरिक दुश्मनों’ के ख़िलाफ़ हिंसा का उपयोग करते हैं; ये आंतरिक दुश्मन वे समूह/संगठन हैं जो ब्राज़ील के समाज, उसकी अर्थव्यवस्था और सेना को लोकतांत्रिक बनाना चाहते हैं।

डिल्मा का तख़्तापलट और लूला के ख़िलाफ़ इस्तेमाल हो रहे क़ानूनी हथियार, ब्राज़ील में लोकतंत्र के क्रमिक पतन और बढ़ते सैन्यीकरण का हिस्सा हैं। कुछ महीनों में ब्राज़ील में एक महत्वपूर्ण राष्ट्रपति चुनाव होने वाला है। वर्तमान सर्वेक्षणों से पता चलता है कि लूला (40%) बोलसोनारो (30%) से आगे हैं। हमारा डोज़ियर वर्तमान समय में देश में हो रही राजनीतिक बहसों के सामाजिक आधार को समझने का प्रयास करता है; यह डोज़ियर ब्राज़ील के भीतर और विश्व स्तर पर सेना की सार्वजनिक भूमिका पर एक संवाद का निमंत्रण है।

डोज़ियर और इस न्यूज़लेटर में शामिल चित्र इस तर्क को दर्शाते हैं कि ब्राज़ील के सशस्त्र बल देश की सीमाओं की रक्षा करने की तुलना में आंतरिक दमन करने में अधिक दक्ष हैं। यही कारण है कि ये चित्र उन बहादुर लोगों को दिखाते हैं जिन्होंने अपने देश के लोकतंत्रीकरण के लिए संघर्ष किया और सेना का दमन झेला।

अर्जेंटीना में निर्वासन के बाद ब्राज़ील लौटने से पहले ही 1976 में गॉलार्ट की मृत्यु हो गई थी। बाद में, ब्राज़ील में उच्च अधिकारियों ने कहा कि अमेरिकी सरकार के ऑपरेशन कोंडोर के तहत गॉलार्ट की हत्या कर दी गई थी। ब्यूनस आयर्स में हमारे कार्यालय और एडिटोरीयल बैटेल्ला डे आइडियाज़ ने मिलकर एक नयी पुस्तिका जारी की है, ‘द न्यू कोंडोर प्लान: जीओपॉलिटिक्स एंड इम्पीरीयलिज़म इन लैटिन अमेरिका एंड कैरिबियन’। यह पुस्तक लैटिन अमेरिका और कैरिबियन क्षेत्र में ऑपरेशन कोंडोर के नवीनतम रूपों पर लिखे गए लेखों का संग्रह है।

 

 

हमारा डोज़ियर निम्नलिखित शब्दों के साथ समाप्त होता है:

हमारा अतीत भी हमारे भविष्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है; ग़ुलामी और तानाशाही द्वारा निर्मित अतीत का हिसाब किए बिना, एक लोकतांत्रिक भविष्य का निर्माण करना संभव नहीं होगा, एक ऐसा भविष्य जिसमें सशस्त्र बल पूरी तरह से जनता और उनकी संस्थाओं की संप्रभुता के अधीन होंगे और विशेष रूप से बाहरी रक्षा के लिए इस्तेमाल होंगे तथा अपने ही लोगों के ख़िलाफ़ फिर कभी उनका इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इसके लिए 1964 की तानाशाही के दौरान किए गए अपराधों और उसकी सत्तावादी विरासत का सामना करने की आवश्यकता है, क्योंकि आजकी सरकारी और राजनीतिक संस्कृति को वहीं से आकार मिला है। देशभक्ति के प्रतीकों, जैसे ब्राज़ील के झंडे, को नया अर्थ देना इस प्रक्रिया में शामिल होना चाहिए।

अंत में, हमें इस विचार का विरोध करना चाहिए कि शांति के निर्माण के लिए युद्ध की तैयारी आवश्यक है। इसके विपरीत: शांति का निर्माण करने के लिए, एक ऐसे कार्यक्रम को प्राथमिकता दी जानी चाहिए जिसके केंद्र में जनता और ग्रह की भलाई हो, जो भुखमरी ख़त्म करे, लोगों को सुरक्षित और स्वच्छ आवास दे, सार्वभौमिक, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल की गारंटी दे, और सम्मानजनक जीवन के अधिकार की रक्षा करे।

ये शब्द कम्युनिस्ट कवि फरेरा गुल्लार (1930-2016) जैसे लेखकों की याद दिलाते हैं, जिनकी कविताएँ एक समाजवादी ब्राज़ील का सपना देखती हैं। 1975 में प्रकाशित कविता No mundo há muitas armadilhas (दुनिया में, कई जाल हैं) में गुल्लार लिखते हैं:

दुनिया में, कई जाल हैं

और जो जाल है वह एक पनाहगाह हो सकती है

और जो पनाहगाह है वह हो सकता है एक जाल 

….

तारा झूठ बोल रहा है

समंदर एक नीति-उपदेशक है। वास्तव में,

इंसान जीवन से बँधे हैं और जीना चाहते हैं

इंसान भूखे हैं

और खाना चाहते हैं

इंसानों के पास बच्चे हैं

और उन्हें वे बड़ा करना चाहते हैं

दुनिया में, कई जाल हैं और

उन्हें तोड़ना ज़रूरी है।

स्नेह-सहित,

विजय।