प्यारे दोस्तों,

ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन।

जून 2021 की शुरुआत में, संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना ने अफ़्रीकी महाद्वीप पर एक बड़े सैन्य अभ्यास का नेतृत्व किया: अफ़्रीकी शेर 21 (अफ़्रीकन लॉयन 21)। अमेरिकी सेना के दक्षिणी यूरोपीय टास्क फ़ोर्स के मेजर जनरल एंड्रयू रोहलिंग ने कहा कि यह ‘इस महाद्वीप पर अब तक का सबसे बड़ा अमेरिकी सैन्य अभ्यास था’। अफ़्रीकी शेर 21 सैन्य अभ्यास, जो पहली बार 2002 में किंग्डम ऑफ़ मोरक्को में हुआ था, – यूएस अफ़्रीका कमांड के शब्दों में- एक वार्षिक ‘संयुक्त, बहु-आयामी, बहु-राष्ट्रीय अभ्यास है… उत्तरी अफ़्रीका और दक्षिणी यूरोप में घातक गतिविधि का मुक़ाबला करने, और विरोधी सैन्य आक्रमण से इस जगह की रक्षा हेतु अमेरिका, अफ़्रीका और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के बीच अंतर-सक्रियता बढ़ाने के लिए’। अफ़्रीकी शेर 21, जिसमें ब्राज़ील, कनाडा, मिस्र, इटली, लीबिया, नीदरलैंड और यूनाइटेड किंगडम सहित 21 देशों के सशस्त्र बल शामिल थे, मोरक्को और पश्चिमी सहारा के अधिकृत क्षेत्र के साथ-साथ सेनेगल और ट्यूनीशिया में हुआ। यह पूरा सैन्य अभ्यास -जिसमें 7,000 से अधिक सैनिक शामिल थे- उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की सहायता से यूएस अफ़्रीका कमांड के नेतृत्व में आयोजित किया गया था।

यह अभ्यास मेजर जनरल रोहलिंग और रॉयल मोरक्कन सशस्त्र बल के दक्षिणी क्षेत्र के कमांडर जनरल बेलखिर अल फ़ारौक की कमान में पूरा हुआ। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जनरल अल फ़ारौक के अधिकार क्षेत्र में पश्चिमी सहारा का मोरक्को द्वारा अधिकृत क्षेत्र शामिल है। 10 दिसंबर 2020 को, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मोरक्को को इज़रायल के साथ अपने संबंधों को सामान्य बनाने के बदले में पश्चिमी सहारा पर मोरक्को के अवैध क़ब्ज़े को मान्यता देने की पेशकश की। पश्चिमी सहारा पर ट्रम्प का बयान संयुक्त राष्ट्र महासभा के कई प्रस्तावों के ख़िलाफ़ जाता है, जैसे कि 1960 का 1514(15) खंड यह पुष्टि करता है कि पूर्व उपनिवेशों के सभी लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार है, और 1979 का 34/37 स्पष्ट रूप से उस क्षेत्र से मोरक्को का क़ब्ज़ा हटाने की माँग करता है। जब मेजर जनरल रोहलिंग से पश्चिमी सहारा में अफ़्रीकी शेर 21 की उपस्थिति के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने आपत्ति जताई और कहा कि [अभ्यास की] जगहों का चुनाव ट्रम्प की दिसंबर 2020 की घोषणा से पहले ही किया जा चुका था।

 

Ouagadougou, Burkina Faso

औगाडौगो, बुर्काना फ़ासो

 

इस महीने, ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान ने घाना के समाजवादी आंदोलन के अनुसंधान समूह के साथ मिलकर ‘डिफ़ेंडिंग अवर सॉवरिन्टी: यूएस मिलिट्री बेसेस इन अफ़्रीका एंड द फ़्यूचर ऑफ़ अफ़्रीकन यूनिटी’ डोजियर 42 (जुलाई 2021) जारी किया है। डोजियर में संयुक्त राज्य अमेरिका और फ़्रांस पर विशेष ध्यान देते हुए, अफ़्रीकी महाद्वीप में पश्चिमी सैन्य उपस्थिति के विकास को सूचीबद्ध किया गया है। अकेले अमेरिका के पास 15 देशों में 29 ज्ञात सैन्य सुविधाएँ हैं, और फ़्रांस के 10 देशों में सैन्य ठिकाने हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि अफ़्रीकी महाद्वीप में अब तक के सबसे ज़्यादा सैन्य पदचिह्न संयुक्त राज्य अमेरिका और फ़्रांस के ही हैं, और यह भी कि दुनिया के किसी भी देश के सैन्य पदचिह्न संयुक्त राज्य अमेरिका की तरह पूरी दुनिया में फैले हुए नहीं हैं। यूएस नेशनल डिफ़ेंस बिज़नेस ऑपरेशंस प्लान (2018-2022) के अनुसार, अमेरिकी सेना ‘दुनिया भर में लगभग 4,800 जगहों पर स्थित 568,000 से अधिक संपत्तियों (भवन और संरचनाएँ) के साथ एक वैश्विक पोर्टफ़ोलियो’ का प्रबंधन करती है।

अमेरिकी सेना के मामले में, इतने विशाल स्तर पर उनकी सेना की उपस्थिति और गतिविधियाँ ही गुणात्मक रूप से उनके भिन्न चरित्र को इंगित कर देती हैं। यही चरित्र है जिसके कारण दुनिया के लोगों के बजाय, पूँजीवाद के लाभार्थियों के लिए सशस्त्र- पुलिस की तरह काम करने वाला अमेरिका, अफ़्रीकी महाद्वीप पर अपने हितों की रक्षा करता है। इसके अलावा, अमेरिका संसाधनों और बाज़ारों पर अपने नियंत्रण को चुनौती देने वाली किसी भी ताक़त को रोकने का प्रयास करता है, जैसे कि ‘नव शीत युद्ध’ के माध्यम से अमेरिका अपने व्यापक भू-राजनीतिक आक्रमण के रूप में महाद्वीप पर चीन की उपस्थिति को ख़त्म करने का दबाव बना रहा है।

अमेरिका और फ़्रांस दोनों नाटो के सदस्य हैं, जिनका अपना एजेंडा यूरोप की रक्षा से विदेशों में आक्रमण की तरफ़ बदल गया है। अफ़्रीका में नाटो की गतिविधियों के दो मुख्य उद्देश्य हैं: यूरोप में प्रवास को रोकना और उत्तरी अफ़्रीका में रूसी गतिविधियों में बाधा डालना। अपने हालिया रणनीतिक दस्तावेज़, नाटो 2030 में, नाटो ने माना है कि, ‘नाटो का “दक्षिण” उत्तरी अफ़्रीका और मध्य पूर्व के बड़े हिस्से सहित एक व्यापक भौगोलिक क्षेत्र को संदर्भित करता है, जो कि उप-सहारा अफ़्रीका और अफ़ग़ानिस्तान तक फैला हुआ है’। यह कोई नयी दृष्टि नहीं है, क्योंकि नाटो पहले सूडान (2005-2007), अदन की खाड़ी और हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका (2008-2016) में तथा लीबिया (2011) में अपने ऑपरेशन कर चुका है। नाटो ने ही लीबिया के विनाश का काम शुरू किया था, जो कि राजनीतिक-सैन्य संकट और सामाजिक पतन से लगातार टूट रहा है। नाटो के नये मिशनों में भूमध्य सागर में ऑपरेशन एक्टिव एंडेवर (2001-2016) और वर्तमान में चल रहे सी गार्जियन जैसे ऑपरेशन शामिल हैं; इनके अलावा नये मिशन हैं अफ़्रीकी संघ का समर्थन करने के लिए अफ़्रीकी स्टैंडबाय फ़ोर्स को प्रशिक्षण देना; और उत्तरी अफ़्रीका में आतंकवाद विरोधी कोशिशें।

 

Agadez, Niger

आगादेज़, नाइजर

 

यूएस अफ़्रीका कमांड, फ़्रांसीसी सेना और नाटो के दस्तावेज़ों को पढ़कर, कोई भी भ्रामक रूप से विश्वास कर सकता है कि पश्चिमी सेना अफ़्रीका में (अधिकतर अल-क़ायदा जैसे समूहों द्वारा फैलाए जा रहे) आतंकवाद को रोकने के लिए काम करती है। 2011 में लीबिया में नाटो के ऑपरेशन ने सरकार को नष्ट कर दिया, और क्षेत्र में उग्र इस्लामी धाराओं को बिना डरे काम करने की ताक़त दे दी। इनमें से कुछ समूह -जैसे मग़रिब (पश्चिम) में अल-क़ायदा- अंततः सिगरेट, कोकीन, मनुष्यों और हथियारों के तस्कर बन गए हैं। लीबियाई राज्य के नष्ट हो जाने के कारण ही सहारा रेगिस्तान में विद्रोह और आपराधिक गतिविधियाँ बढ़ीं और यूरोप की ओर प्रवास बढ़ा।

इसी संदर्भ में, 2014 में, फ़्रांस ने G5 साहेल मंच बनाने के लिए पाँच अफ़्रीकी देशों (बुर्किना फ़ासो, चाड, माली, मॉरिटानिया और नाइजर) को अधीनस्थ किया था। साहेल वह  क्षेत्र है जो कि सहारा रेगिस्तान के नीचे पूरे अफ़्रीका में फैला है। इसके साथ-साथ, अमेरिका ने अगाडेज़ (नाइजर) में एक विशाल ड्रोन बेस सहित कई ठिकानों का एक नेटवर्क बनाया है, और वो अमेरिकी सेना, फ़्रांस की सेना और G5 राज्यों की सेनाओं को हवाई सहायता (जानकारी) प्रदान करने के लिए अपने ड्रोन इस्तेमाल करता है। वहीं यूरोप ने अपनी दक्षिणी सीमा को भूमध्य सागर के उत्तरी किनारे से सहारा रेगिस्तान के दक्षिणी किनारे पर स्थानांतरित कर दिया है।

1992 में सोमालिया में किए गए हस्तक्षेप से लेकर मौजूदा गतिविधियों से, अफ़्रीकी देशों में अमेरिका और फ़्रांसीसी सैन्य हस्तक्षेपों के ट्रैक रिकॉर्ड स्पष्ट हो जाते हैं: अमेरिकी और फ़्रांसीसी सेना अमेरिकी और यूरोपीय उद्देश्यों को अंजाम देने के लिए सामाजिक टकरावों को तेज़ करते हैं और अफ़्रीकी राज्यों की आंतरिक कमज़ोरी का उपयोग करते हैं। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई-सिपरी) के एक हालिया अध्ययन से पता चलता है कि अफ़्रीकी महाद्वीप में 23 जगह (अंगोला, बुर्किना फ़ासो, बुरुंडी, कैमरून, मध्य अफ़्रीकी गणराज्य, चाड, कोटे डी आइवर, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, मिस्र, इथियोपिया, गिनी, केन्या, लीबिया, मेडागास्कर, माली, मोज़ाम्बिक, नाइजर, नाइजीरिया, सोमालिया, दक्षिण सूडान, सूडान, युगांडा और पश्चिमी सहारा) सशस्त्र संघर्ष चल रहे हैं। 2019-2020 से मृत्यु दर में 41% की वृद्धि के साथ, सिपरी की रिपोर्ट के अनुसार, उप-सहारा अफ़्रीका ‘2020 में सबसे अधिक संघर्ष-संबंधी मृत्यु वाला क्षेत्र था’। यह याद रखने लायक़ है कि अमेरिकी और फ़्रांसीसी हथियार निर्माता, जिनके संयुक्त हथियारों का निर्यात 2015 और 2019 के बीच वैश्विक स्तर पर हुए कुल हथियार निर्यातों का 43% से अधिक था, इन संघर्षों में सबसे ज़्यादा हथियार सप्लाई करते हैं।

 

कैंप सिंबा, केनया

 

सिपरी के अनुसार महाद्वीप में संघर्ष के प्रमुख कारण हैं: ‘कमज़ोर राज्य, भ्रष्टाचार, बुनियादी सेवाओं का अप्रभावी वितरण, प्राकृतिक संसाधनों पर प्रतिस्पर्धा, असमानता और हाशिए पर होने की भावना’। जिन मुख्य कारणों के लिए यूएस अफ़्रीका कमांड और नाटो अफ़्रीका में अपना हस्तक्षेप करते हैं, यानी आतंकवाद और भू-राजनीतिक संघर्ष, सिपरी की सूची में नहीं हैं।

इन मुद्दों को हल करने के लिए, अफ़्रीकी राज्यों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपनी संप्रभुता का दावा करें और इन क्षेत्रों के लोगों की भलाई के लिए एक विश्वसनीय परियोजना तैयार करें। यही कारण है कि अफ़्रीकी संघ की शांति और सुरक्षा परिषद ने 2016 में एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें महाद्वीप में विदेशी सैन्य ठिकानों के विस्तार पर चिंता व्यक्त की गई थी। लेकिन इस संघ के सदस्य राज्यों की कमज़ोरी और उनकी संगठनात्मक असमानता के कारण यह प्रस्ताव आगे लागू नहीं किया जा सका है, और इसी से पश्चिम को अपने नव-औपनिवेशिक दबावों का विस्तार करने के लिए आंतरिक संघर्षों को तेज़ करने की ताक़त मिलती है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की कटौती की नीतियों के कारण ‘बुनियादी सेवाओं का अप्रभावी वितरण’ होता है, और पश्चिमी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ ‘भ्रष्टाचार’ और ‘प्राकृतिक संसाधनों पर प्रतिस्पर्धा’ का निर्माण करती हैं। महाद्वीप में उत्पन्न समस्याओं का मुख्य कारण न तो चीन है और न ही रूस, जिनकी उपस्थिति का उपयोग पश्चिमी सैन्य उपस्थिति के विस्तार के औचित्य के रूप में किया जाता है।

 

 

ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान के डोज़ियर में डेटा कलाकार जोश बेगली द्वारा ली गई सैटेलाइट तस्वीरें शामिल हैं। डोजियर के लिए, ट्राईकॉन्टिनेंटल: समजिक शोध संस्थान के कला विभाग ने सैन्यीकरण के तंत्र को ज़ाहिर करने के लिए इन छिपी हुई जगहों की तस्वीरों और निर्देशांकों को अफ़्रीका के मानचित्र पर भौतिक रूप से दर्शाया है। इन जगहों को जोड़ने वाले पिन और धागे हमें औपनिवेशिक दौर के ‘युद्ध कक्षों’ की याद दिलाते हैं। इन सभी तस्वीरों को एक साथ देखने पर हमारे सामने निरंतर ‘विखंडन और महाद्वीप के लोगों और सरकारों के अधीनीकरण’ का दृश्य स्पष्ट हो जाता है।

 

Kofi Awoonor, 1935-2013

Kofi Awoonor, 1935-2013

 

2013 में, जब अल-शबाब के चरमपंथियों ने नैरोबी (केन्या) में वेस्टगेट शॉपिंग मॉल पर हमला किया, तो उन्होंने घाना के कवि, क्यूबा, ​​​​ब्राज़ील और संयुक्त राष्ट्र में घाना के राजदूत और रंगभेद के ख़िलाफ़ संयुक्त राष्ट्र संघ समिति के अध्यक्ष कोफ़ी अवूनोर की गोली मारकर हत्या कर दी। अवूनोर अक्सर अपने देश के ‘संकटों’ के बारे में बात करते थे – वही देश जिसे राष्ट्रपति क्वामे नक्रुमा उपनिवेशवाद से आज़ाद कर एक नये संभावित भविष्य की ओर ले जा रहे थे। सैन्य तख़्तापलटों और आईएमएफ़ की उदारवादी नीतियों ने मुक्ति के संघर्ष पर से घाना के लोगों का विश्वास ख़त्म कर दिया, लेकिन अवूनोर धुन के पक्के थे। अवूनोर के द्वारा लिखी गई मेरी पसंदीदा कविताओं में से एक है ‘द कैथेड्रल (गिरजाघर)’, जो हमारी दुनिया के सामने खड़े ‘संकटों’ को व्यक्त करती है, जिनके ख़िलाफ़ आज भी संघर्ष जारी है:

इस गंदी जगह पर

कभी एक पेड़ खड़ा था

नन्हे भुट्टों को सुगंधित करता:

स्वर्ग तक फैली हुई उसकी शाखाएँ

एक क़बीले के उत्साह से चमक उठती थीं।

उन्होंने सर्वेक्षकों और भवन-निर्माताओं को भेजा

जिन्होंने पेड़ काट कर

उसकी जगह पर बो दिया

क़यामत का एक विशाल निरर्थक गिरजाघर।

स्नेह-सहित,

विजय।