English Español Português Русский Deutsch Chinese

Henry Tayali (Zambia), Destiny, 1962-1966.

हेनरी तैयली (ज़ाम्बिया), भाग्य, 1962-1966

 

प्यारे दोस्तों,

ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन।

ज़ाम्बिया निजी ऋण चुका पाने के चलते आने वाले समय में किसी भी दिन डिफ़ॉल्टर बन सकता है। अपनी जनता की हर प्रकार की ज़रूरतें नज़रअंदाज़ करके ही ज़ाम्बिया डॉलरबॉन्ड्स के 30 करोड़ डॉलर पर लगे ब्याज का भुगतान कर सकता है। विश्व अर्थव्यवस्था में आई मंदी का असर ज़ाम्बिया पर भी पड़ा है, जहाँ इस साल ताँबे की बिक्री प्रभावित हुई है। (हालाँकि ताँबे की क़ीमतें और उसके भविष्य की क़ीमतें अब बढ़ने लगी हैं)

ज़ाम्बिया की सोशलिस्ट पार्टी के महासचिव कॉसमस मुसुमाली का कहना है कि इस ऋणग्रस्तता का कारण केवल कोरोनावायरस मंदी नहीं है, बल्कि धनी बॉन्डहोल्डर्स और पेट्रीऑटिक फ़्रंट के राष्ट्रपति एडगर लुंगु की सरकार कीबेख़बरीभी है।

आने वाले समय में कई देश डिफ़ॉल्टर बनने वाले हैं, और ज़ाम्बिया इसका केवल एक उदाहरण है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) ने अप्रैल 2020 में अनुमान लगाया था कि उपसहारा अफ़्रीका के कमसेकम 3 करोड़ 90 लाख लोग अत्यधिक ग़रीबी की चपेट में जाने वाले हैं। घाना के वित्त मंत्री केन ओफ़ोरीअट्टा ने अक्टूबर की शुरुआत में कहा था किपश्चिमी सेंट्रल बैंकों की [महामारी से निपटने की] क्षमता की कोई सीमा नहीं है और हमारी क्षमता पर लगी सीमाओं का कोई अंत नहीं है।

ओफ़ोरीअट्टा की टिप्पणी को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। अक्टूबर 2020 की फ़िस्कल मॉनिटर रिपोर्ट में, आईएमएफ़ ने कहा कि इस साल दुनिया भर की सरकारों ने 11.7 ट्रिलियन डॉलर यानी वैश्विक जीडीपी का 12% करों में छूट देने या अतिरिक्त ख़र्च करने जैसे अभूतपूर्व राजकोषीय कार्यों में ख़र्च कर दिया है। वित्तीय संस्थान ब्याज दरें कम करके यूरोप और उत्तरी अमेरिका की सरकारों को कोरोनावायरस मंदी से बाहर निकलने के लिए पैसे उधार लेने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। आईएमएफ़ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलिना जॉर्जीवा नियमित रूप से कहती रही हैं कि देशख़र्च करें। हिसाब रखें। लेकिन ख़र्च करें उनका ये भी कहना है कि ये ख़र्च इन्फ़्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में किया जाना चाहिए। विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री कारमेन रेनहार्ट ने विकासशील देशों को भी नये क़र्ज़ लेने का इशारा किया है: ‘जब बीमारी बढ़ रही है, तो आप और क्या करेंगे? पहले आप [महामारी के ख़िलाफ़] जंग लड़ने की सोचें, उसका भुगतान कैसे करना होगा ये बाद में सोचा जा सकता है।ओफ़ोरीअट्टा और मुसुमाली जैसों के लिए यह सलाह अजीब है।

 

Anthony Okello (Kenya), Orders from Above, 2012.

एंथनी ओकेलो (केन्या), ऊपर से आदेश, 2012

 

नवंबर 2019 में, महामारी से पहले, स्टेफ़नी ब्लैंकनबर्ग ने व्यापार और विकास संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) के ऋण प्रबंधन सम्मेलन में एक प्रस्तुति दी। UNCTAD की ऋण और विकास वित्त शाखा की प्रमुख के रूप में, ब्लैंकनबर्ग बढ़ते क़र्ज़ के सामाजिक प्रभावों का अध्ययन करती हैं। उन्होंने कहा कि विकासशील देशों का बाहरी ऋण, साल 2016 से इन देशों की संयुक्त निर्यात आय को पार कर रहा है। विश्व बैंक के अंतर्राष्ट्रीय ऋण सांख्यिकी 2021 के अनुसार साल 2019 के अंत में, विकासशील देशों का कुल बाहरी ऋण 80 लाख डॉलर से अधिक था। कोरोनावायरस मंदी के दस महीनों में अब अनुमान लगाए जा रहे हैं कि ये ऋण बढ़कर कमसेकम 11 ट्रिलियन डॉलर हो गया है। साल 2016 से ही विकासशील देश अपनी निर्यात आय से ये ऋण नहीं चुका पा रहे थे। अब कोई भी ग़रीब देश इस ऋण का भुगतान नहीं कर पाएगा; बहुत कम देश ही सही मायनों में ऋण मुक्त हो पाएँगे।

आईएमएफ़ की वार्षिक बैठक के सप्ताह के दौरान, मैंने ब्लैंकनबर्ग से पूछा कि क्या जी20 जैसे अमीर देश किसी भी तरह की ऋण राहत देने के विषय पर गंभीर हैं। उन्होंने कहा किये निर्भर करता है कि आपगंभीरहोने को

कैसे परिभाषित करते हैं, लेकिन मेरा मानाना है कि आप क़र्ज़ ख़त्म करने की बात कर रहे हैं जिससे कि अत्यधिक ऋणी देश सतत विकास के पथ पर बढ़ सकेंगे।उन्होंने कहा, ‘यदि ऐसा है, तो नहीं, किसी क्रमबद्ध या संतुलित तरीक़े से [इस पर सोचविचार] नहीं हो रहा। आख़िरकार, सबसे कमज़ोर विकासशील देशों का ऋण रद्द करना अपरिहार्य हो जाएगा, और हर कोई यह जानता है, पर सवाल यह है कि ये किन शर्तों पर होगा।

एक ओर देश डिफ़ॉल्टर होने की कगार पर हैं, दूसरी ओर इन देशों के वित्त मंत्री महसूस कर रहे हैं कि उनके पास इस संकट से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है; उनके लिए शर्तें बाहर से निर्धारित होंगी। ब्लैंकनबर्ग ने कहा, ‘अल्पकालिक लेनदार हितों को ज़्यादा तवज्जो मिलेगी।इसका मतलब यह है कि धनी बॉन्ड धारकों के हितों से प्रेरित वित्तीय संस्थान इन भयावह ऋणों के पुनर्भुगतान की शर्तें तय करेंगे। वो शर्तें जिनसे अब हम सब परिचित हैं; वित्तीय संस्थान और उनका समर्थन करने वाले अमीर देशों की सरकारें, ‘उदारवाद की शर्तोंकी माँग करेंगे, ब्लैंकनबर्ग ने कहा, ‘जो प्रभावित देशों में भविष्य की विकास संभावनाएँ कम करेंगी और [इन देशों की] आबादी के लिए उच्च सामाजिक लागत का सबब बनेंगी।

ब्लैंकेनबर्ग ने मुझसे कहा, ‘संक्षेप में, सवाल ये नहीं है कि ऋण राहत मिलेगी या नहींवो तो देनी ही होगीबल्कि यह कि ये [ऋण राहत] किस स्वरूप में दी जाएगी।

 

Blessing Ngobeni (South Africa), Oppressed and Shall Rise, 2019.

ब्लेसिंग न्गोबेनी (दक्षिण अफ्रीका), शोषित हैं और उठेंगे, 2019

 

2015 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा नेसंप्रभु ऋण पुनर्गठन प्रक्रियाओं के मूल सिद्धांतोंपर एक प्रस्ताव अपनाया था। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि किसी भी ऋण पुनर्गठन में संप्रभुता, विश्वास, पारदर्शिता, वैधता, न्यायसंगत व्यवहार और स्थिरता के परंपरागत सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए। इस संकल्प के पीछे एक बड़ा उद्देश्य है: ऋण प्रक्रिया को ख़त्म करना और ऋण पर व्यापक समझौते के लिए एक तंत्र बनाना। ऐसा तंत्र जिसमें क़र्ज़ के बढ़ते बोझ पर एक व्यापक समझौता करवा पाने की क्षमता हो।

जी-20 या पेरिस क्लब के डेब्ट सर्विस सस्पेंशन इनिशिएटिव (डीएसएसआई) के माध्यम से अमीर देशों द्वारा ऋण व्यवस्थित करने के लिए उठाए गए क़दम भी सार्थक नहीं हुए हैं। ब्लैंकनबर्ग ने बताया कि डीएसएसआईसंरचनात्मक रूप से जटिल थाऔर केवल सबसे ऋणी देशों कोवाणिज्यिक ऋण पर सीमित राहत देता था’; जबकि बाक़ी के ग़रीब ऋणी देशों के लिएशीघ्र ही बड़े और निर्विघ्नक़दम उठाए जाने की ज़रूरत है। ब्लैंकनबर्ग ने मुझे बताया कि यूएनसीटीएडी द्वारा प्रस्तावित उपायअभी एजेंडे में नहीं हैं।

समस्या यह है कि जी-20 के अमीर देश ही बातचीत की सभी शर्तें निर्धारित करते हैं। और उनका मानना है कि केवल लेनदारों या ज़्यादासेज़्यादा आईएमएफ़ इन मामलों में प्रभारी होना चाहिए। ब्लैंकनबर्ग ने मुझे बताया,इसमें ख़तरा ये है कि इनमें बाहरी ऋण चुकाने की लेनदारों की अल्पकालिक माँग अहम शर्त बन जाती है, और दीर्घकालिक स्थिरता और विकास की चिन्ताएँ दरकिनार कर दी जाती हैं।दूसरे शब्दों में कहें तो अमीरों को केवल अपना पैसा वापिस चाहिए, भले ही ग़रीबों के पास जीने का कोई साधन ना बचा हो।

 

William Blake (England), God Judging Adam, 1795.

विलियम ब्लेक (इंग्लैंड), एडम की आलोचना करता ईश्वर, 1795

 

आईएमएफ़ की जॉर्जीवा आईएमएफ़ को इस तरह से पेश करना चाहती हैं जैसे उसे अब संरचनात्मक समायोजन और उदरवादी उपायों से कोई मतलब नहीं रहा। लेकिन आईएमएफ़ की नीतियाँ उनकी इन कोशिशों को झुठला देती हैं। ऑक्सफ़ैम के द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि कोरोनावायरस मंदी के दौरान 67 देशों को दिए गए 84% क़र्ज़ उदारवादी उपायों की शर्त पर दिए गए हैं। ये ऋण आईएमएफ़ के द्वारा अप्रैल 2020 में स्थापित किए गए रैपिड क्रेडिट सुविधा (आरसीएफ़) और रैपिड फ़ाइनेंसिंग इंस्ट्रूमेंट (आरएफ़आई) कैटास्ट्रोफ़ कंटेन्मेंट एंड रेलीफ़ ट्रस्ट (सीसीआरट ) के माध्यम से दिए गए हैं।

16 अक्टूबर को ज़ाम्बिया के वित्त मंत्री बवल्या नगन्दु ने संसद को बताया कि उनकी सरकार जी-20/पेरिस क्लब के डीएसएसआई के साथ ऋण सेवा भुगतान में छह महीने के निलंबन पर बात कर रही है।हालाँकि डीएसएसआई विंडो के माध्यम से, ख़ास तौर पर सरकारी लेनदारों की ओर से हमें कुछ राहत मिली है।लेकिन नगन्दु ने कहा, ‘निजी लेनदारों के साथ हुई बातचीत से अभी तक अपेक्षित परिणाम नहीं मिले हैं।निजी लेनदारों से कोई राहत मिलना संभव नहीं लगता, क्योंकिजैसा कि ब्लैंकनबर्ग ने मुझे बताया थावे लेनदारों के अल्पकालिक हितों पर ज़ोर देते हैं और ज़ाम्बिया जैसे देशों की दीर्घकालिक कल्याण से उन्हें कोई मतलब नहीं है।

ज़ाम्बिया की सोशलिस्ट पार्टी के कॉसमस मुसुमाली ने मुझे बताया कि उनके देश के लिए परिस्थिति बेहद ख़राब है, क्योंकि रियायती ऋण में अपेक्षाकृत गिरावट आई है, अधिकांश विकासशील देशों के संप्रभु ऋण में वृद्धि हुई है, औरऋण निलंबन या ऋण रद्द करवाने के लिए चल रहा वैश्विक अभियान बहुत कमज़ोर है।इस अभियान को मज़बूत करना महत्वपूर्ण है।

 

<TBT: Ngũgĩ>

 

हमारे दोस्त न्गुगी वा थ्योंगो, जिन्होंने 1977 में ख़ून की पंखुड़ियाँ (आनंद स्वरूप वर्मा द्वारा हिन्दी में अनूदित) लिखी थी, ने 16 जुलाई 2020 को एक कविता लिखी है, ‘कॉर्पोरेट व्यक्तियों के मानव पीड़ितों के लिए स्वर्ग कविता में एक कॉर्पोरेट मालिक दुनिया के श्रमिकों से बात कर रहा है:

जान लो तुम सब कि कॉर्पोरेट कंपनियाँ

जिनके लिए तुम काम करते हो वो व्यक्ति हैं

उनकी मुनाफ़ा कमाने की दौड़

उनके व्यक्तियों की ख़ुशियाँ कमाने की दौड़ है।

 

इंसान की वास्तविक सेहत और ख़ुशी की चिंता

रास्ता बनाए व्यक्तियों की मुनाफ़ा बटोरने की दौड़ के लिए

, केवल मुनाफ़ा बटोरने के लिए नहीं, मूर्खों,

बल्कि मुनाफ़े की बढ़ती दर के लिए।

 

इसलिए:

 

हमारे प्यारे मज़दूरों चलो बिना मास्क के और बिना डरे

मांस फ़ैक्टरियों में 

हमारे लिए मुनाफ़ा बटोरने 

क्या हुआ अगर फ़ैक्टरियाँ कोरोनावायरस से संक्रमित हैं

 

कॉर्पोरेट के मुनाफ़े के लिए अपनी ज़िंदगी क़ुर्बान करना

पूँजीवादी देशभक्ति की पराकाष्ठा है।

 

जान लो यदि हमारे लिए मुनाफ़ा कमाते हुए तुम मर जाते हो

हम पहुँचाएँगे तुम्हारी आत्माएँ सीधे स्वर्ग।

वहाँ से तुम आनंद लेना हमें आनंद लेते देख उन महलों में 

जिनके लिए तुमने क़ुर्बान किया अपना पसीना, सेहत और ख़ून।

 

बोलीविया के लोगों ने चुनाव में उन कॉर्पोरेट नेताओं को ख़ारिज किया कर दिया, जो चाहते हैं कि लोग उनके लिए अपना पसीना, सेहत और ख़ून क़ुर्बान करते रहें। अपने वोट के द्वारा, लोगों ने तख़्तापलट सरकार गिरा दी और मूव्मेंट फ़ोर सोशलिज़म को सरकार बनाने का जनादेश दिया है। बोलीविया के नये राष्ट्रपति का कहना है किहमने लोकतंत्र और उम्मीद के आधार को पुन: प्राप्त किया है

स्नेहसहित,

विजय।

 

ओलिविया कैरोलीन पाइरेस, शोधकर्ताब्राज़ील  कार्यालय।

इस साल हमने पॉलो फ्रेरे नेशनल स्कूल के साथ मिलकरब्राज़ील और केलसो फ़ुर्टाडो के विचारोंपर एक ऑनलाइन डिबेट सिरीज़ चलायी। हमने जनआंदोलनों के माँग के आधार पर वित्तीय संकट की राजनीतिक अर्थव्यवस्था समझने के लिएपूँजी की सीमाएँनामक एक ऑनलाइन कोर्स भी चलाया। ये कोर्स मार्क्सवाद की मूल धारणाओं की शुरुआती जानकारी रखने वाले ज़मीनी स्तर के कार्यकर्ताओं के लिए बनाया गया था, जिसमें ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान के विभिन्न लेखों को पढ़ा गया और उन पर चर्चा हुई। इस कोर्स की कक्षाओं का प्रारूप तय करने के लिए हमने मार्क्सवादी नारीवादी साथियों को आमंत्रित किया जिन्होंने ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान के ब्राजील कार्यालय में फ़ाइनैन्स कैपिटल का विश्लेषण करने के काम में हमें सहयोग किया।

Download as PDF