वंगजिया समुदाय में प्रवास करने वाली महिलाएँ, गुइझोउ प्रांत के टोंगरेन शहर के सामुदायिक केंद्र में स्थानीय गतिविधियों में भाग लेती हैं, अप्रैल 2021.

 

प्यारे दोस्तों,

ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) की विश्व आर्थिक आउटलुक रिपोर्ट उलझाने वाली है। रिपोर्ट में हमारी दुनिया के सामने खड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है: जैसे कि वैश्विक आपूर्ति शृंखला में व्यवधान, नौ-परिवहन (शिपिंग) की बढ़ती लागत, मध्यवर्ती वस्तुओं की कमी, वस्तुओं की बढ़ती क़ीमतें और कई अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति का दबाव। विश्व भर में सरकारों पर अत्यधिक क़र्ज़े के कारण, वैश्विक विकास दर 2021 में 6% और 2022 में 4.9% तक पहुँचने की उम्मीद है। रिपोर्ट के अनुसार, यह क़र्ज़ ‘2020 में वैश्विक जीडीपी के क़रीब 100% के अभूतपूर्व स्तर पर पहुँच गया और 2021 और 2022 में भी इसके उस स्तर के आसपास रहने का अनुमान है’। विकासशील देशों पर विदेशी क़र्ज़ ज़्यादा होगा, और राहत की उम्मीद कम ही है।

आईएमएफ़ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ हर साल अपने ब्लॉग में रिपोर्ट के मुख्य विषयों के बारे में लिखती हैं। इस साल, उनके ब्लॉग लेख का शीर्षक स्पष्ट है: ‘ड्रॉइंग फ़र्दर अपार्ट: वाइड्निंग गैप्स इन द ग्लोबल रिकव्री’ (दूर जाते: वैश्विक सुधार में बढ़ती असमानताएँ’)। दरार मुख्यतः उत्तर-दक्षिण के बीच है, जिसमें कि ग़रीब देश महामारी-उत्प्रेरित वैश्विक मंदी से बाहर निकलने का आसान रास्ता खोजने में असमर्थ हैं। इस दरार के कई कारण हैं, जैसे कि श्रम-प्रधान उत्पादन पर निर्भर रहने के कारण होने वाला नुक़सान, आबादी का औसतन ग़रीब होना, और ऋण की लंबे समय से चली आ रही समस्याएँ। लेकिन गोपीनाथ ने एक पहलू पर ख़ास तौर से लिखा है, और वो है टीकाकरण में भेदभाव (वैक्सीन अपार्थेड)। उन्होंने लिखा है कि, ‘उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में क़रीब 40 प्रतिशत आबादी को पूरी तरह से टीका लगाया जा चुका है, जबकि उभरती बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं में 11 प्रतिशत और कम आय वाले विकासशील देशों में आबादी के एक छोटे से हिस्से को ही टीका लगा है’। उनका तर्क है कि टीकों की कमी ही ‘वैश्विक सुधार में बढ़ती असमानताओं’ का प्रमुख कारण है।

 

Peasant workers till the land in an organic bamboo fungus company, which was established to help lift Longmenao, a village that is officially registered as poor, out of poverty in Wanshan District, Guizhou Province, April 2021. Credit: Xiang Wang

एक जैविक बाँस कवक कंपनी के किसान मज़दूर ज़मीन को जोत रहे हैं, इस कंपनी को गुइझोउ प्रांत के वानशान ज़िला के आधिकारिक तौर पर ग़रीब गाँव, लोंगमेनाओ को ग़रीबी से बाहर निकालने में मदद करने के लिए स्थापित किया गया था, अप्रैल 2021.

 

इन बढ़ती असमानताओं का तत्काल सामाजिक प्रभाव पड़ता है। संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य और कृषि संगठन की 2021 की रिपोर्ट, द स्टेट ऑफ़ फ़ूड इनसिक्योरिटी एंड न्यूट्रीशन इन द वर्ल्ड, के अनुसार ‘दुनिया में लगभग तीन में से एक व्यक्ति (2.37 बिलियन) के पास 2020 में पर्याप्त भोजन नहीं था – केवल एक साल में लगभग 32 करोड़ व्यक्तियों की वृद्धि’। भूख असहनीय होती है। फ़ूड राइयट्स (खाद्य दंगे) अब आम हो रहे हैं, ख़ास तौर पर दक्षिण अफ़्रीका में। डरबन के एक निवासी जिसने इन प्रदर्शनों में भाग लिया, उसने कहा, ‘वे हमें यहाँ भूख से मार रहे हैं’। इन विरोध-प्रदर्शनों और आईएमएफ़ व संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा जारी किए गए नये आँकड़ों ने भुखमरी को वैश्विक एजेंडे पर वापस ला दिया है।

जुलाई के अंत में, संयुक्त राष्ट्र संघ की आर्थिक और सामाजिक परिषद ने सतत विकास पर एक उच्च-स्तरीय राजनीतिक फ़ोरम का आयोजन किया। फ़ोरम की मंत्रीस्तरीय घोषणा ने स्वीकार किया कि ‘कोविड-19 महामारी के कारण आए संकट ने दुनिया की कमज़ोरियों और देशों के बीच तथा देशों के अंदर की असमानताओं को उजागर कर दिया है, प्रणालीगत कमज़ोरियों, चुनौतियों और जोखिमों को बढ़ाया है और सतत विकास लक्ष्यों को साकार करने में मिली प्रगति को बाधित करने या पीछे धकेलने का ख़तरा खड़ा कर दिया है’। 2015 में संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य देशों ने सत्रह सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को अपनाया था। इन लक्ष्यों में ग़रीबी उन्मूलन, भुखमरी का अंत, अच्छा स्वास्थ्य और लैंगिक समानता शामिल हैं। महामारी से पहले ही यह स्पष्ट हो चुका था कि दुनिया 2030 तक इन लक्ष्यों को पूरा नहीं कर सकेगी -यहाँ तक कि भुखमरी मिटाने के सबसे बुनियादी लक्ष्य- जैसा कि अनुमान लगाया गया था।

इस अंधेरे समय में, फ़रवरी 2021 के अंत में, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने घोषणा की कि -इस वैश्विक मंदी के फैले होने के बावजूद- चीन ने अत्यधिक ग़रीबी को समाप्त कर दिया है। इस घोषणा का क्या मतलब है? ट्राईकॉन्टिनेंटल: समजिक शोध संस्थान में हमारी टीम ने पिछले महीने रिपोर्ट किया कि, इसका मतलब है कि (1949 की चीनी क्रांति के साथ शुरू हुई सात दशक लंबी प्रक्रिया के परिणामस्वरूप) 85 करोड़ लोग पूर्ण ग़रीबी से बाहर निकल आए हैं, कि उनकी प्रति व्यक्ति आय (पिछले बीस वर्षों में दस गुना वृद्धि के साथ) बढ़कर 10000 अमेरिकी डॉलर हो गई है, और जीवन प्रत्याशा (1949 में 35 वर्ष की तुलना में) बढ़कर औसतन 77.3 वर्ष हो गई है। लक्षित समय से दस साल पहले ही ग़रीबी ख़त्म करने के एसडीजी को पूरा कर, चीन ने दुनिया की कुल ग़रीबी कम करने में 70% से भी अधिक का योगदान दिया है। मार्च 2021 में, संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस उपलब्धि को ‘राष्ट्रों के पूरे समुदाय के लिए आशा और प्रेरणा के स्रोत’ के रूप में मनाया

 

प्रथम सचिव लियू युआनक्स्यू, गुइझोउ प्रांत के वानशान ज़िले के डैनयांग गाँव में नियमित घरेलू यात्राओं के दौरान एक स्थानीय ग्रामीण से बात करते हुए, अप्रैल 2021.

 

हमारे जुलाई के अध्ययन, सर्व द पीपल: द इरेडिकेशन ऑफ़ एक्सट्रीम पॉवर्टी इन चाइना, से हमने समाजवादी परियोजनाओं पर अध्ययन की एक शृंखला शुरू की है, जिसके माध्यम से हम क्यूबा से केरल, बोलीविया से चीन की समाजवादी प्रथाओं को विकसित करने के प्रयोगों का अध्ययन करना चाहते हैं। ‘सर्व द पीपल’ में हमने चीन के विभिन्न हिस्सों में चली ग़रीबी उन्मूलन योजनाओं का ज़मीनी स्तर पर अध्ययन किया है और इस दीर्घकालिक परियोजना में भाग लेने वाले विशेषज्ञों के साक्षात्कार शामिल किए हैं। उदाहरण के लिए, रेनमिन विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय ग़रीबी उन्मूलन अनुसंधान संस्थान के डीन वांग सांगुई ने हमें बताया कि कैसे बहुआयामी ग़रीबी की अवधारणा चीन की कार्यप्रणाली के केंद्र में है। यह अवधारणा चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के ‘तीन गारंटी’ (सुरक्षित आवास, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा) और ‘दो आश्वासन’ (रोटी और कपड़ा) के कार्यक्रम के माध्यम से एक नीति बन गई। इस नीति को समझने के लिए एक विवरण की ज़रूरत है। जैसा कि वांग ने पीने के पानी के संदर्भ में कहा है:

आप यह कैसे पता करेंगे कि पीने का पानी सुरक्षित है? सबसे पहले, बुनियादी आवश्यकता यह है कि पानी की आपूर्ति में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। दूसरा, पानी का स्रोत बहुत दूर नहीं होना चाहिए, पानी की पुनर्प्राप्ति के लिए बीस मिनट से अधिक का चक्कर नहीं लगना चाहिए। अंत में, पानी बिना किसी हानिकारक पदार्थ के सुरक्षित होनी चाहिए। हमें परीक्षण रिपोर्ट की आवश्यकता होती है जो पुष्टि करती है कि पानी सुरक्षित है। तभी हम कह सकते हैं कि मानक पूरा हुआ है।

एक बार नीति तैयार हो जाने के बाद, कार्यान्वयन का वास्तविक कार्य शुरू होता है। कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) ने ग्रामीण इलाक़ों में ग़रीबी को गहराई से समझने के लिए घरों का सर्वेक्षण करने में स्थानीय अधिकारियों की मदद के लिए 8 लाख कैडर भेजे। फिर, सीपीसी ने पार्टी के 9.51 करोड़ सदस्यों में से 30 लाख सदस्यों को उन 2,55,000 टीमों का हिस्सा बनने के लिए भेजा, जिन्होंने ग़रीबी उन्मूलन और उससे उपजी सामाजिक स्थितियों को ख़त्म करने के लिए ग़रीब गाँवों में कई साल बिताए। एक गाँव में एक टीम जाती थी, जिसमें हर परिवार के लिए एक पार्टी कैडर नियुक्त होता था।

ग़रीबी के अध्ययन और कैडर के अनुभव के परिणामस्वरूप ग़रीबी उन्मूलन के लिए पाँच मुख्य तरीक़े सामने आए: विकासशील उद्योग; लोगों को स्थानांतरित करना; पारिस्थितिक मुआवज़े को प्रोत्साहित करना; मुफ़्त, गुणवत्तापूर्ण और अनिवार्य शिक्षा की गारंटी देना; और सामाजिक सहायता प्रदान करना। इन पाँचों में से सबसे शक्तिशाली रहा औद्योगिक विकास, जिससे पूँजी-प्रधान (कैपिटल-इंटेन्सिव) कृषि उत्पादन (फ़सल प्रसंस्करण और पशु प्रजनन सहित) का निर्माण हुआ; खेत पुनर्स्थापित हुए; और पारिस्थितिक क्षतिपूर्ति योजनाओं के फलस्वरूप वनों का विकास हुआ, जिससे कि संसाधनों के अति-दोहन के शिकार बन गए क्षेत्रों को पुनर्जीवित किया जा सका। इसके अलावा, अल्पसंख्यकों और महिलाओं को शिक्षित करने पर ज़ोर दिया गया। फलतः, विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, 2020 में तृतीयक शिक्षा में महिलाओं के नामांकन के मामले में चीन दुनिया में पहले स्थान पर पहुँच गया।

10% लोगों को ग़रीबी से बाहर निकलने के लिए उनका स्थानांतरण किया गया; स्थानांतरण अक्सर इस कार्यक्रम का सबसे नाटकीय उदाहरण पेश करता है। एक स्थानांतरित निवासी, मौसे ने हमें पहाड़ के किनारे पर स्थित एक गाँव अतुलेर के बारे में बताया, जहाँ वह स्थानांतरित होने से पहले रहता था। उन्होंने याद करते हुए कहा, ‘नमक का एक पैकेट ख़रीदने के लिए चट्टान से उतरने में मुझे आधा दिन लगता था’। वह चट्टान से नीचे उतरने के लिए एक रतन ‘आकाश सीढ़ी’ पर जाते थे, जो कि चट्टान के सिरे से ख़तरनाक रूप से लटकी होती थी। उनके स्थानांतरण -व वहाँ रहने वाले 83 अन्य परिवारों के स्थानांतरण- ने उनके लिए बेहतर सुविधाओं तक पहुँचने और कम अनिश्चित जीवन जीने के लिए अवसर प्रदान किया।

अत्यधिक ग़रीबी का उन्मूलन महत्वपूर्ण उपलब्धि है, लेकिन इससे सभी समस्याओं का समाधान नहीं हो जाता। चीन में सामाजिक असमानता एक गंभीर समस्या बनी हुई है। पर ये अकेले चीन की समस्या नहीं है बल्कि हमारे समय में मानवता के सामने खड़ी गंभीर समस्या है। पूँजी-प्रधान कृषि -जिसमें कम किसानों की आवश्यकता होती है- की ओर बढ़ते हुए, हम किस प्रकार के आवास बनाएँगे जो कि न तो ग्रामीण इलाक़ों में होंगे और न ही शहरी क्षेत्रों में? जिन लोगों की अब खेतों में ज़रूरत नहीं है, उनके लिए किस तरह का रोज़गार सृजित किया जा सकता है? क्या हम काम के कम घंटों और छोटे सप्ताह के बारे में सोचना शुरू कर सकते हैं, जिससे कि लोग अधिक समय नागरिक और सामाजिक बन सकने में बिताएँ?

 

यिशिझीफू लघु वीडियो प्लेटफ़ॉर्म को इस्तेमाल करने वाला एक स्थानीय खाद्य विक्रेता गुइझोऊ प्रांत के वानशान ज़िले के डैनयांग गाँव में खाना पकाने का प्रदर्शन कर रहा है, अप्रैल 2021.

 

ग़रीबी उन्मूलन कोई चीनी परियोजना नहीं है। यह मानवता का लक्ष्य है। इसलिए इस लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध आंदोलन और सरकारें चीन की जनता की उपलब्धि को ध्यान से देख रहे हैं। हालाँकि, अन्य परियोजनाएँ, चीन से बिलकुल ही अलग दृष्टिकोण के साथ, आय को स्थानांतरित करके ग़रीबी दूर करने की कोशिश कर रही हैं (जैसे कि कई दक्षिण अफ़्रीकी अनुसंधान संस्थान इसके पक्ष में हैं)। लेकिन नक़द हस्तांतरण योजनाएँ पर्याप्त नहीं हैं। बहुआयामी ग़रीबी हटाने के लिए इससे कहीं अधिक किए जाने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, ब्राज़ील में पूर्व राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला डा सिल्वा द्वारा लागू किए गए बोल्सा फ़मिलिया कार्यक्रम ने भूखमरी कम करने में उल्लेखनीय काम किया, लेकिन यह परियोजना ग़रीबी उन्मूलन के लिए पर्याप्त नहीं थी।

इस बीच, केरल में, वाम लोकतांत्रिक मोर्चे के शासन के तहत, पूर्ण ग़रीबी 1973-74 में जनसंख्या के 59.79% से गिरकर 2011-2012 में 7.05% हो गई। इस ज़बरदस्त गिरावट के मुख्य कारण थे कृषि सुधार, सार्वजनिक स्वास्थ्य और शिक्षा की स्थापना, भोजन के लिए एक मज़बूत सार्वजनिक वितरण प्रणाली का निर्माण, स्थानीय स्व-सरकारों को मज़बूत बनाने के लिए शासन का विकेंद्रीकरण, सामाजिक सुरक्षा और कल्याण प्रदान करना, और (कुदुम्बश्री सहकारी परियोजनाओं आदि के द्वारा) सार्वजनिक कार्रवाई को बढ़ावा देना। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने हाल ही में कहा था कि उनकी सरकार राज्य में अत्यधिक ग़रीबी को ख़त्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। समाजवादी निर्माण परियोजनाओं पर हमारी अध्ययन शृंखला में हमारा अगला अध्ययन केरल के सहकारी आंदोलन और ग़रीबी, भुखमरी व पितृसत्ता के उन्मूलन में इसकी भूमिका पर केंद्रित होगा।

 

ग्रामीण इलाक़ों से टोंगरेन शहर तक, गुइझोऊ प्रांत, अप्रैल 2021.

 

मार्च में, संयुक्त राष्ट्र संघ के पर्यावरण कार्यक्रम ने अपनी खाद्य अपशिष्ट सूचकांक रिपोर्ट जारी की, जिसका अंदाज़ा था कि लगभग 93.1 करोड़ टन भोजन दुनिया भर में कचरे के डिब्बों में गया। इस भोजन का वज़न मोटे तौर पर 40 टन के 230 लाख पूरी तरह से लदे हुए ट्रकों के बराबर है। यदि हम इन ट्रकों को पृथ्वी की परिधि पर बम्पर-से-बम्पर जोड़कर खड़ा करें, तो वे सात बार पृथ्वी को लपेटने के बराबर लंबा घेरा बनाएँगे, या अंतरिक्ष की गहराई (जहाँ अरबपति जेफ बेजोस और रिचर्ड ब्रैनसन ने जाने का फ़ैसला किया) तक जाने के लिए पर्याप्त लंबी कड़ी बनाएँगे। अंतरिक्ष में चार मिनट की यात्रा पर बेजोस द्वारा ख़र्च किए गए 550 करोड़ डॉलर 375 लाख लोगों के भोजन के लिए इस्तेमाल किए जा सकते थे या 200 करोड़ लोगों के कोवैक्स टीकाकरण कार्यक्रम को पूरी तरह से फ़ंड करने में लगाए जा सकते थे।

बेजोस और ब्रैनसन की महत्वाकांक्षाएँ जीवन नहीं हैं। जीवन मूलभूत आवश्यकता की कठोरता का उन्मूलन है।

स्नेह-सहित,

विजय।