Vladimir Griuntal’ and G. Iablonovskii (USSR), Chto eto takoe? (‘What is This?’) 1932.

व्लादिमीर ग्रिंउंतलऔर जी लाब्लोनोवस्की (यूएसएसआर), ये क्या है? 1932.

 

प्यारे दोस्तों,

ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन।

कोरोनावायरस (SAR-CoV-2) से लगभग तीस लाख लोग मर चुके हैं और 12.7 करोड़ से ज़्यादा लोग संक्रमित हुए हैं। संक्रमित हुए कई लोग अब दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं के साथ जी रहे हैं। अब तक, दुनिया की 770  करोड़ की आबादी में से केवल 1.5% का टीकाकरण हुआ है, इनमें से 80% लोग केवल दस देशों के निवासी हैं। जिस तरह से टीकाकारण हो रहा है, उसके मद्देनज़र फ़रवरी में, ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान ने मेडिकल रंगभेदकी चेतावनी दी थी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) 1950 से 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मना रहा है। विश्व स्वास्थ्य दिवस के लिए हर साल अलग थीम चुना जाता है। पिछले साल का थीम था नर्सों और दाइयों का साथ दो इस साल का थीम एक निष्पक्ष, स्वस्थ दुनिया का निर्माणमेडिकल रंगभेद से गहराई से जुड़ा हुआ है।

1 अप्रैल को, साम्राज्यवादविरोधी संघर्ष के अंतर्राष्ट्रीय सप्ताह ने, ‘जीवन के लिए अंतर्राष्ट्रीय घोषणापत्रजारी किया। इस घोषणापत्र में सभी लोगों के लिए मुफ़्त टीकेका आह्वान किया गया है। यह न्यूज़लेटर हमारे रेड अलर्ट संख्या 10 को समर्पित है, जिसमें हमवैज्ञानिकों और डॉक्टरों के मार्गदर्शन के साथसार्वजनिक टीके की ज़रूरत को उजागर कर रहे हैं।

रेड अलर्ट संख्या 10: सार्वजनिक वैक्सीन

वैक्सीन (टीका) क्या होता है?

संक्रामक रोग गंभीर बीमारी और मौत का कारण बन सकते हैं। जो लोग संक्रमित होने के बाद बच जाते हैं, उनके शरीर में अक्सर उस बीमारी से लंबे समय तक बचे रहने की  क्षमता विकसित हो जाती है। लगभग 150 साल पहले, वैज्ञानिकों ने पाया कि संक्रमण सूक्ष्म रोगाणु’ [जिन्हें अब हम पैथोजेन (रोगजनक) कहते हैं] के कारण फैलते हैं। ये रोगाणु जानवरों से मनुष्यों और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकते हैं। क्या कुछ कमज़ोर रोगाणु मानव शरीर में ऐसे परिवर्तन ला सकते हैं कि भविष्य में लोगों को उस विशेष रोगाणु के गंभीर संक्रमण से बचाया जा सके? वैक्सीन बनाने में यही सिद्धांत काम करता है।

एक वैक्सीन में रोगजनक वायरस के सूक्ष्म अणु होते हैं, जिन्हें बीमारी के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए पूर्वसुरक्षात्मक तंत्र को सक्रिय करने हेतु शरीर में इंजेक्ट किया जाता है। हालाँकि एक वैक्सीन केवल एक रोगजनक के ख़िलाफ़ एक ही व्यक्ति की रक्षा कर सकता है, लेकिन जब कई टीकों को एक साथ, बड़े पैमाने पर टीकाकरण कार्यक्रमों में प्रयोग किया जाता है तो वे सामुदायिकस्तर के हस्तक्षेप के लिए महत्वपूर्ण हो जाते हैं।

हर प्रकार के संक्रमणों को टीकों से रोका नहीं जा सकता है। भारी वित्तीय निवेश के बावजूद, अभी भी एचआईवीएड्स और मलेरिया जैसे जैविक जटिलता वाले संक्रामक रोगों के लिए भरोसेमंद टीके नहीं बन पाए हैं। कोविड19 के टीकों को प्रयोग में लाना इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि वे कम जटिल रोग स्थितियों में पूरी जानकारी वाले जैवीय व्यवस्था पर आधारित हैं। संक्रामक महामारियों को रोकने के लिए टीके एक महत्वपूर्ण उपाय हैं। हालाँकि, संक्रामक सूक्ष्म जीवों में होने वाले अनुवांशिक परिवर्तन (जीन म्यूटेशन) टीकों को अप्रभावी बना सकते हैं। इसीलिए नये टीकों का विकास और इस्तेमाल अनिवार्य बना रहता है।

Roger Melis (DDR), Kinder in der Kollwitzstraße (‘Children in Kollwitzstraße’), 1974.

रोजर मेलिस (DDR), कोल्वित्स्त्राबे में बच्चे, 1974.

दुनिया के सभी 770 करोड़ लोगों को कोविड-19 वैक्सीन क्यों नहीं लगाया जा रहा है?

कोरोनावायरस (SAR-CoV-2) की शुरुआत के कुछ समय बाद ही, चीन के अधिकारियों ने वायरस की अनुक्रमण (सीकुएनसिंग) कर इसकी जानकारी एक सार्वजनिक वेबसाइट पर साझा की। सार्वजनिक और निजी संस्थानों के वैज्ञानिकों ने वायरस को बेहतर ढंग से समझने और मानव शरीर पर इसके प्रभावों का इलाज करने बीमारी के ख़िलाफ़ टीका बनाने के लिए तुरंत यह जानकारी डाउनलोड करनी शुरू कर दी। इस समय तक, किसी भी जानकारी पर कोई पेटेंट जारी नहीं किया गया था।

इसके कुछ महीने के भीतर, आठ निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के फ़र्मों ने ऐलान किया कि उनके पास परीक्षण करने के लिए वैक्सीन हैं: पीफाइज़र/बायोएनटेक, मॉडर्ना, एस्ट्राज़ेनेका, नोवावेक्स, जॉनसन एंड जॉनसन, सनोफी/जीएसके, सिनोवैक, सिनोफार्म और गामालेया। सिनोवैक, सिनोफार्म, और गामालेया के टीके चीन और रूस के सार्वजनिक क्षेत्र बना रहे हैं (मार्च के मध्य तक, चीन रूस 41 देशों को वैक्सीन की 80 करोड़ टीके प्रदान कर चुके थे) बाक़ी फ़र्मों के टीके निजी कंपनियाँ बना रही हैं जिन्हें इसके लिए भारी मात्रा में सार्वजनिक धन मिला है। उदाहरण के लिए, मॉडर्ना को अमेरिकी सरकार से 248 करोड़ डॉलर मिले, जबकि पीफाइजर को यूरोपीय संघ और जर्मन सरकार से 54.8 करोड़ डॉलर मिले थे। इन फ़र्मों ने वैक्सीन बनाने में सार्वजनिक धन का उपयोग किया और फिर इनकी बिक्री से और इनके पेटेंट द्वारा भारी लाभ कमाया है। यह महामारी से मुनाफ़ा कमाने का एक उदाहरण है।

दुनिया के विभिन्न हिस्सों तक पहुँच रहे और वहाँ बिक रहे टीकों के आँकड़े हर दिन बदल रहे हैं। बहरहाल, इस बात पर अब आम सहमति बन रही है कि कई ग़रीब देशों के पास 2023 से पहले अपने नागरिकों के लिए टीके नहीं होंगे, जबकि उत्तरी गोलार्ध के देशों ने अपनी ज़रूरत से कहीं अधिक वैक्सीन ख़रीद लिए हैंउनके पास इतने वैक्सीन हैं कि वे अपनी आबादी का तीन बार टीकाकरण कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, कनाडा के पास अपने नागरिकों को पाँच बार टीका लगाने के लिए पर्याप्त वैक्सीन हैं। उत्तरी गोलार्ध, जहाँ दुनिया की 14% से भी कम आबादी रहती है, ने कुल अनुमानित टीकों में से आधे से अधिक अपने लिए सुरक्षित कर लिए हैं। इसे ही वैक्सीन की जमाख़ोरी या वैक्सीन राष्ट्रवाद कहा जाता है।

भारत और दक्षिण अफ़्रीका की सरकारों ने अक्टूबर 2020 में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से आवेदन किया कि व्यापारसंबंधित पहलुओं पर बौद्धिक संपदा अधिकार समझौते (टीआरआईपीएस) के तहत पेटेंट बाध्यताओं को कुछ समय के लिए हटा दिया जाए। यदि विश्व व्यापार संगठन कुछ समय के लिए पेटेंट हटाने पर सहमत हो जाता, तो ये देश वैक्सीन का सस्ता जेनेरिक संस्करण बनाकर अपने सामूहिक टीकाकरण अभियान में उन्हें वितरित कर सकते थे। लेकिन, उत्तरी गोलार्ध के देशों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया; इसके लिएमहामारी के बावजूदयह तर्क दिया गया कि इस तरह की छूट अनुसंधान और नवाचार को बाधित करेगी (जबकि ये भी एक तथ्य है कि वैक्सीन बनाने में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक धन ख़र्च किया गया है) उत्तरी गोलार्ध के देशों ने सफलतापूर्वक विश्व व्यापार संगठन को यह आवेदन स्वीकार करने से रोक दिया।

अप्रैल 2020 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अन्य भागीदारों के साथ मिलकर कोविड-19 वैक्सीन ग्लोबल एक्सेस (कोवैक्स) की स्थापना की। कोवैक्स का उद्देश्य  है टीकों की समान पहुँच सुनिश्चित करना। यूनिसेफ़; जीएवीआई, वैक्सीन एलायंस; कोअलिशन फ़ॉर एपिडेमिक प्रिपेयरड्नेस इनवेशन्स; और डब्ल्यूएचओ इस परियोजना का नेतृत्व कर रहे हैं। इस गठबंधन पर दुनिया के अधिकांश देशों ने हस्ताक्षर किए थे, इसके बावजूद दक्षिणी गोलार्ध के देशों को पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं। दिसंबर 2020 के एक अध्ययन में पाया गया कि, 2021 के दौरान, दक्षिणी गोलार्ध के देशों में लगभग सत्तर देश दस लोगों में से केवल एक व्यक्ति का टीकाकरण कर पाएँगे।

पेटेंट पर छूट देने के लिए भारतदक्षिण अफ़्रीका आवेदन स्वीकार करने की बजाय, कोवैक्स ने पेटेंट पूलिंग के लिए कोविड-19 टेक्नॉलजी एक्सेस पूल (सीटैप) नामक एक प्रस्ताव का समर्थन किया। पेटेंट पूलिंग में दो या दो से अधिक पेटेंट धारक अपने पेटेंट का लाइसेंस एक दूसरे को या किसी तीसरी पार्टी को देने के लिए सहमत होते हैं। कोवैक्स को आज तक दवा कंपनियों से कोई योगदान नहीं मिला है।

मई 2020 में, डबल्यूएचओ ने एक अंतर्राष्ट्रीय कोविड-19 वैक्सीन एकजुटता परीक्षण स्थापित करने का प्रस्ताव रखा, जिसमें डबल्यूएचओ एक साथ कई देशों में परीक्षण स्थलों का समन्वय करता। इस प्रक्रिया से उभरते हुए संभावित वैक्सीन को  जल्दी और पारदर्शी रूप से  क्लिनिकल ट्राइयल स्टेज में प्रवेश करने का मौक़ा मिलता; उन्हें एक साथ अलगअलग लोगों के बीच टेस्ट किए जाने से उनकी विशिष्टताओं और सीमाओं की बेहतर तुलना की जा सकती थी। पर बड़ी फ़ार्मा कंपनियों और उत्तरी गोलार्ध के देशों ने इस प्रस्ताव को लागू नहीं होने दिया।

 

 

Joaquín Torres García (Uruguay), Energía Atómica (Atomic Energy), 1946.

जोआक़्विन टॉरेस गार्सिया (उरुग्वे), परमाणु ऊर्जा, 1946.

दुनिया के सभी 770 करोड़ लोगों के लिए बेसिक वैक्सीन बनाने के लिए क्या चाहिए?

वैक्सीन के उत्पादन में रोगजनक की नक़ल बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक के अनुसार उनकी लागत में अंतर आता है। कोविड-19 टीकों के लिए, कई तकनीकी मंच सफल हुए हैं। उदाहरण के लिए (मॉडर्ना द्वारा बनाए जा रहे) आरएनए टीके और (एस्ट्राज़ेनेका द्वारा बनाए जा रहे) एडेनोवायरस टीके। ये तकनीकी मंच अपने आप में मज़बूत हैं, जिसका मतलब है कि यदि (वैक्सीन उत्पादन के व्यापार रहस्यों सहित) इसकी उत्पादन प्रक्रिया की जानकारी हो और कुशल कर्मचारी उपलब्ध हों और विनिर्माण बेहतर किया जाए बढ़ा दिया जाए, तो पूरी आबादी के लिए वैक्सीन का उत्पादन किया जा सकता है। यहाँ यदि शब्द महत्वपूर्ण है, क्योंकि बौद्धिक संपदा अधिकारों के पूँजीवादी तर्क और सामाजिक ज़िम्मेदारियों को केंद्र में रखने वाले सार्वजनिक क्षेत्र को कमज़ोर करने की लम्बी प्रक्रिया से उत्पन्न होने वाली यही सबसे बड़ी बाधाएँ हैं।

वैक्सीन के उत्पादन का एक और तरीक़ा है फ़रमेंटेशन टैंकों में बड़े पैमाने पर कृत्रिम प्रोटीन बनाई जाए (उदाहरण के लिए नोवावैक्स वैक्सीन इसी तरह से निर्मित हो रहा है) इस तकनीक को समझा जाना आसान है इसके लिए कौशल वाले कर्मचारी अधिक मात्रा में उपलब्ध हैं। इन प्लेटफ़ार्मों में गुणवत्ता प्रत्येक बैच के साथ बदल सकती है; जो कि इस प्रकार के व्यापक विकेंद्रीकृत उत्पादन में एक बाधा उत्पन्न करता है।

टीकों के उत्पादन का एक बहुत सरल तरीक़ा है: संक्रामक एजेंट को विकसित करना, उसे निष्क्रिय करना (अर्थात, इसके ख़तरे को समाप्त कर देना), और इस निष्क्रिय एजेंट को शरीर में इंजेक्ट करना (जैसे कि भारत में कोवैक्सिन टीके बनाए जा रहे हैं) लेकिन इसमें भी समस्याएँ हैं, क्योंकि एंटीबॉडी विकसित करने के लिए हानिकारक रोगजनक को उसके स्वरूप में पूरी तरह रखते हुए उसे निष्क्रिय करना आसान नहीं है।

Alfred Eisenstaedt (USA), Student Nurses at Roosevelt Hospital (1938).

अल्फ्रेड ईसेनस्टैड (यूएसए), रूजवेल्ट अस्पताल में छात्र नर्सें (1938).

 

770 करोड़ लोगों को टीके कैसे लगाए जा सकते हैं?

दुनिया भर में कोविड-19 वैक्सीन को व्यापक रूप से लगाने करने के लिए, हमें तीन बिंदुओं पर विचार करने की ज़रूरत है:

  1. सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियाँ: प्रभावी टीकाकरण कार्यक्रमों के लिए मज़बूत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों की आवश्यकता होती है। लेकिन दुनिया के कई देशों में लंबे समय से चल रही कटौती की नीतियाँ इन्हें जर्जर कर चुकी हैं। इसलिए, टीका लगाने में कुशल और पर्याप्त रूप से अभ्यस्त स्वास्थ्य कर्मियों की कमी है; चूँकि ये टीके संवेदनशील हैं, वैक्सीन की तैयारी कर उसे लगाने का काम प्रशिक्षित सार्वजनिक स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा किया जाना चाहिए (ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वैक्सीन सभी लोगों तक पहुँचे और इसके दुष्प्रभावों को रोका जा सके)

  2. टीकों का परिवहन और कोल्ड चेन: चूँकि क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर वैक्सीन नहीं बन रहे हैं, इसलिए टीकों को दूरदूर तक पहुँचाने की ज़रूरत है। कुछ कोविड-19 टीके, जिन्हें अल्ट्राकोल्ड चेन की आवश्यकता है, उन्हें दक्षिणी गोलार्ध के ज़्यादातर हिस्सों तक पहुँचना मुमकिन ही नहीं है।

  3. चिकित्सा निरीक्षण प्रणालियाँ: अंत में, वैक्सीन के प्रभावों पर निगरानी के लिए विकसित निरीक्षण प्रणालियों की आवश्यकता है। इसके लिए लंबे समय तक फ़ॉलोअप करते रहने की आवश्यकता होगी जिसके लिए ज़रूरी स्वास्थ्य कर्मियों और प्रौद्योगिकियों की (वैश्विक आर्थिक व्यवस्था के पीड़ित) ग़रीब देशों में अक्सर कमी है।

 

Otman Ghalmi (Democratic Way/Morocco), Dr. Nawal El-Saadawi (1931-2021), 2021.

ऑटमैन ग़ल्मी (डेमोक्रेटिक वे/मोरक्को), डॉ नवल एलसादावी (1931-2021), 2021.

 

प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पर आल्माअता घोषणा (1978) और पीपुल्ज़ चार्टर फ़ॉर हेल्थ (2000) को व्यापक रूप से पढ़ा जाना ज़रूरी है। ये दोनों दस्तावेज़ स्वास्थ्य देखभाल पर मानवीय दृष्टिकोण के महत्वपूर्ण बयान हैं। पीपुल्ज़ चार्टर जीवन पर पेटेंट‘, जिसमें वैक्सीन पर पेटेंट करना भी शामिल है, को अस्वीकार करता है। पीपुल्ज़ वैक्सीन का कोई विकल्प नहीं हो सकता है, मुनाफ़ों से ऊपर जीवन को प्राथमिकता देने का कोई विकल्प नहीं सकता है।

स्नेहसहित,

विजय

   

 

<मैं हूँ ट्राईकॉन्टिनेंटल>

पिलर ट्रोया फर्नांडीज, शोधकर्ता, अंतर क्षेत्रीय कार्यालय

मैं ट्राइकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान के लेखों का अंग्रेज़ी और पुर्तगाली से स्पैनिश में अनुवाद करती हूँ और विभिन्न जनआंदोलनों अन्य मंचों के लिए दस्तावेज़ों, बैठकों के अनुवादों का समन्वयन करती हूँ। मैं उन महिलाओं पर शोध भी कर रही हूँ जिन्होंने नारीवाद और समाजवाद को एक समन्वित दृष्टिकोण के साथ देखने का काम किया। फ़िलहाल मैं एक कम्युनिस्ट नारीवादी और इक्वाडोर की नेता, नेला मार्टिनेज, पर शोध कर रही हूँ। लोकप्रीय नारीवादी आंदोलन, महिलाओं के जनआंदोलनों लैंगिक समानता पर सार्वजनिक नीतियों पर शोध करना मेरी रुचि के विषय है।