नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा से यह साफ़ हो गया है कि वैश्विक राजनीतिक विमर्श में एक नए तरह का पागलपन रिस रहा है, एक जहरीला कोहरा जो तर्क का दम घोंट देता है। श्वेत वर्चस्व और पश्चिमी श्रेष्ठता के पुराने और कुरूप विचारों में लंबे समय से व्याप्त यह कोहरा, मानवता के हमारे विचारों को धूमिल कर रहा है। इसके कारण जो सामान्य बीमारी पैदा हो रही है वह है चीन के प्रति गहरा संदेह और घृणा। केवल उसके वर्तमान नेतृत्व या सिर्फ़ चीन कि राजनीतिक व्यवस्था के प्रति नहीं, बल्कि पूरे देश और चीनी सभ्यता से घृणा – चीन से ताल्लुक़ रखने वाली किसी भी चीज से घृणा।