जिओंग वेन्यून (चीन), मूविंग रेनबो, 1998-2001.

 

प्यारे दोस्तों,

ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन।

20 मार्च 2023 को चीन के राष्ट्रपति शी ज़िनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने निजी बातचीत में चार घंटे से अधिक समय बिताया। बैठक के बाद जारी आधिकारिक बयानों के अनुसार, दोनों नेताओं ने चीन और रूस के बीच बढ़ती आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी के बारे में बात कीजिसमें साइबेरिया-2 पाइपलाइन का निर्माणऔर यूक्रेन में युद्ध के लिए चीन द्वारा की जा रही शांति की पहल शामिल है। पुतिन ने कहा किचीन द्वारा पेश की गई शांति योजना के कई प्रावधान रूसी दृष्टिकोण के अनुरूप हैं और जब पश्चिम और कीव इसके लिए तैयार हों तो इसे शांतिपूर्ण समाधान के आधार के रूप में अपनाया जा सकता है।

शांति की दिशा में उठाए गए इन क़दमों का वाशिंगटन में गर्मजोशी से स्वागत नहीं हुआ। शी की मॉस्को यात्रा से पहले, यूएस नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता, जॉन किर्बी ने घोषणा की कि चीन और रूस द्वारा यूक्रेन मेंसंघर्ष विराम के लिए कोई भी आह्वान अस्वीकार्य होगा।जब बैठक का विवरण सामने आया तब अमेरिकी अधिकारियों ने कथित तौर पर आशंका व्यक्त की कि चीन और रूस की तरफ़ से पेश किए गए शांतिपूर्ण समाधान तथा युद्ध को समाप्त करने के प्रयासों की दुनिया भर में सराहना हो सकती है। वास्तव में, अटलांटिक शक्तियाँ दोगुनी ताक़त के साथ इस प्रयास में लग गई हैं कि संघर्ष में और अधिक इज़ाफ़ा हो।

जिस दिन शी और पुतिन के बीच बैठक हुई उसी दिन यूनाइटेड किंगडम की रक्षा राज्य मंत्री बैरोनेस एनाबेल गोल्डी ने हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स को बताया कियूक्रेन को चैलेंजर 2 मुख्य युद्धक टैंकों का एक दस्ता देने के साथ ही हम उसे आर्मरपियर्सिंग राउंड सहित गोलाबारूद देंगे जो कम मात्रा की रेडियोधर्मी यूरेनियम से बना होगा।गोल्डी का बयान इराक़ पर यूएसयूके के आक्रमण की बीसवीं वर्षगांठ पर आया, जिसमें पश्चिम ने इराक़ी आबादी पर हानिकारक प्रभाव के लिए कम मात्रा की रेडियोधर्मी यूरेनियम का इस्तेमाल किया था। यूक्रेन की सेनाओं को कम मात्रा की रेडियोधर्मी यूरेनियम वाले हथियार दिए जाने के संदर्भ में पुतिन ने कहा किऐसा लगता है कि पश्चिम ने वास्तव में अंतिम यूक्रेनी व्यक्ति के बचे रहने तक रूस से लड़ने का फ़ैसला किया हैअब सिर्फ़ बयानबाज़ी से नहीं, बल्कि वास्तव में जवाब में, पुतिन ने कहा कि रूस बेलारूस में सामरिक परमाणु हथियार तैनात करेगा।

 

लिउ ज़ेडॉन्ग (चीन), ईस्ट, 2012.

 

चीन के भीतर, शी जिनपिंग की रूस यात्रा को लेकर काफ़ी चर्चा हुई है और सामान्य तौर पर इस चर्चा के पीछे गौरव का भाव था क्योंकि चीन की सरकार पश्चिम की महत्वाकांक्षाओं को अवरुद्ध करने के साथसाथ संघर्ष में शांति की तलाश का नेतृत्व कर रही है। विभिन्न पत्रिकाओं तथा वीचैट, डॉयिन, वीबो, लिटिलरेडबुक, बिलिबिली और झिहू जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर होने वाली चर्चाओं में इस बात पर ज़ोर दिया जाता है कि एक विकासशील देश होने के बावजूद चीन अपनी कमियों को दरकिनार करते हुए दुनिया का नेतृत्व करने में सक्षम हो सका है।

कमसेकम तीन ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से चीन के भीतर होने वाली चर्चा देश के बाहर ठीक से जा नहीं पाती: पहला, वे चीनी भाषा में होती हैं और अक्सर अन्य भाषाओं में अनुदित नहीं होती हैं; दूसरा, वे चर्चाएँ उन सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर होती हैं जिनका उपयोग चीन के ही लोग करते हैं और जिनके बारे में चीनी भाषी समुदाय के बाहर कोई विशेष चर्चा नहीं होती; और तीसरा, बढ़ता ज़नोफ़ोबिया, जो विचार औपनिवेशिक इतिहास के गर्भ से उपजा है जिसे नये शीत युद्ध ने और गहरा कर दिया है, इस ज़नेफ़ोबिया ने उन चर्चाओं की उपेक्षा की है जिनमें पश्चिमी विश्वदृष्टि को नहीं अपनाया जाता है। इन कारणों से, तथा कुछ अन्य कारणों से भी, विश्व व्यवस्था में बदलाव और इन बदलावों में देश की भूमिका के बारे में चीन में जिस प्रकार का विचार विमर्श होता है उसके बारे में चीन के बाहर के लोगों को कोई जानकारी नहीं मिल पाती।

चीन के भीतर, बौद्धिक वादविवाद की एक समृद्ध परंपरा है जो वहाँ की पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं, किसीकिसी रूप में चेन डक्सियू की शिन किनगियान या न्यू यूथ नामक पत्रिका इन पत्रिकाओं को लिए प्रेरणास्रोत है, जिसका प्रकाशन पहली बार 1915 में हुआ था। उस पत्रिका के पहले अंक में चेन (1879-1942) ), जो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक सदस्य थे, ने युवाओं के नाम एक पत्र प्रकाशित किया जिसमें उन चेतावनियों की एक सूची शामिल थी जो अगले सौ वर्षों के बौद्धिक एजेंडे की दिशा को निर्धारित करने वाली थीं :

स्वतंत्र रहें ग़ुलाम नहीं (自主的而非奴隶的)

प्रगतिशील बनें रूढ़िवादी नहीं (进步的而非保守的)

सबसे आगे रहें पीछे नहीं (进取的而非退隐的)

अंतर्राष्ट्रीयवादी बनें पृथकतावादी नहीं (世界的而非锁国的)

व्यावहारिक बनें जुमलेबाज़ नहीं (实利的而非虚文的)

वैज्ञानिक बनें अंधविश्वासी नहीं (科学的而非想象的)

न्यू यूथ के अनुभव के बाद कई पत्रिकाएँ निकलनी शुरू होती हैं, प्रत्येक पत्रिकाओं का एजेंडा होता है चीन के विकास के बारे में समुचित सिद्धांत का निर्माण करना जो देश की संप्रभुता स्थापित करने और उसे तथाकथितअपमान की सदी‘ (百年屈辱)  से बाहर निकालने की कोशिश करता हो। जिस अवधि में चीन पश्चिमी और जापानी साम्राज्यवादी हस्तक्षेप को झेल रहा था उस अवधि को चीन मेंअपमान की सदीके रूप में जाना जाता है। 2008 में, देश के कई प्रमुख बुद्धिजीवियों ने एक नयी पत्रिका, वेनहुआ ज़ोंगहेंग (文化纵横) की शुरुआत की, जो बहुत जल्द विचार विमर्श का एक मंच बन गया, जिसे शी नेचीनी राष्ट्र का महान कायाकल्प‘ (中华民族伟大复兴) कहा था। द्विमासिक पत्रिका में देश के प्रमुख लोग लिखते हैं, जो COVID-19 के बाद की दुनिया और ग्रामीण पुनरोद्धार का महत्व आदि समसामयिक महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं।

 

 

पिछले साल, ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान और डोंगशेंग ने वेनहुआ ज़ोंगहेंग के संपादकों के साथ बातचीत शुरू की, जिसके बाद यह तय हुआ कि इस पत्रिका का एक त्रैमासिक अंतर्राष्ट्रीय संस्करण तैयार किया जाएगा। इस साझेदारी के माध्यम से, पत्रिका के चीनी संस्करणों के चुनिंदा निबंधों का अंग्रेज़ी, पुर्तगाली और स्पेनिश में अनुवाद किया जाता है, और इसके साथ ही चीनी संस्करण में अतिरिक्त कॉलम प्रकाशित किया जाता है जिसमें अफ़्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के महत्वपूर्ण व्यक्तियों के विचार शामिल किए जाते हैं ताकि चीन के साथ संवाद स्थापित किया जा सके। हमें यह बताते हुए ख़ुशी हो रही है कि इस सप्ताह इस अंतर्राष्ट्रीय संस्करण का पहला अंक (वॉल्यूम 1, नंबर 1) लॉन्च किया गया है, जिसका विषय हैऑन थ्रेशोल्ड ऑफ़ न्यू इंटरनेशनल ऑर्डर

इस अंक में चीन के तीन प्रमुख विद्वानयांग पिंग (वेनहुआ ज़ोंगहेंग के संपादक), याओ झोंगकिउ (स्कूल ऑफ़ इंटरनेशनल स्टडीज़ के प्रोफ़ेसर और सेंटर फ़ॉर हिस्टोरिकल पॉलिटिकल स्टडीज़, चीन के रेनमिन विश्वविद्यालय के डीन) और चेंग यावेन ( स्कूल ऑफ़ इंटरनेशनल रिलेशंस एंड पब्लिक अफ़ेयर्स, शंघाई इंटरनेशनल स्टडीज़ यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान विभाग के डीन) का लेख शामिल हैं, साथ ही मेरा संक्षिप्त संपादकीय भी। प्रोफ़ेसर याओ और चेंग दोनों ने अपने लेख में वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में बदलाव, मुख्य रूप से अमेरिकी एकध्रुवीयता की गिरावट और क्षेत्रवाद के उदय पर विचार किया है। प्रोफ़ेसर याओ ने अपने लेख में मिंग राजवंश (1388-1644) का उल्लेख करते हुए यह बताने की कोशिश की है कि आज जो परिवर्तन हो रहे हैं ज़रूरी नहीं कि वह नयी व्यवस्था की निर्मिति हो, बल्कि चीन ने दुनिया में ख़ुद कोपुन:स्थापितकिया है, साथ ही चीन, भारत और ब्राज़ील सहित प्रमुख विकासशील देशों के उभरने से अमेरिका की महत्वाकांक्षा सीमित हो गई है जिसकी वजह से अधिक संतुलित विश्व व्यवस्था की वापसी हुई है।

 

झोउ चुन्या (चीन), नयी पीढ़ी के तिब्बती, 1980.

 

तीनों निबंध में विकासशील दुनिया में चीन की भूमिका के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिसके  आर्थिक पहलू भी हैं (जैसे कि दस वर्षीय बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, या बीआरआई के माध्यम से) और राजनीतिक पहलू भी (जैसे यूक्रेन में चीन द्वारा पुन: शांति प्रक्रिया आरंभ करने के प्रयास के माध्यम से) संपादक यांग पिंग पूरी मज़बूती के साथ अपने विचार रखते हैं किचीन की ऐतिहासिक नियति तीसरी दुनिया के साथ खड़ा होना है‘, क्योंकिअपनी प्रमुख प्रगति के बावजूदजैसा कि प्रोफ़ेसर चेंग का तर्क है कि चीन अब भी एक विकासशील देश है और क्योंकि बहुपक्षवाद पर चीन का ज़ोर है, इसका अर्थ यह है कि चीन अमेरिका को विस्थापित करके नये सिरे से दुनिया पर आधिपत्य स्थापित करना नहीं चाहता है। यांग ने तीन विचारों के साथ अपने लेख को समाप्त किया: पहला, कि चीन को केवल व्यावसायिक हितों की रक्षा नहीं करनी चाहिए, बल्किरणनीतिक अस्तित्व और राष्ट्रीय विकास सुनिश्चित करने के लिए जो चीज़ें आवश्यक है उसे प्राथमिकता देनी चाहिए‘; दूसरा, कि चीन कोपरामर्श, योगदान और साझा लाभके BRI के सिद्धांतों को आगे करके नयी अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली के बारे होने वाली बहसों में हस्तक्षेप करना चाहिए, जिसमें युद्ध की आदतों के ख़िलाफ़ शांति क्षेत्र का विस्तार करना शामिल है; और तीसरा, कि चीन को आर्थिक सहयोग से परे एक संस्थागत तंत्र के निर्माण को प्रोत्साहित करना चाहिएजैसे कि राष्ट्रों की वास्तविक संप्रभुता को बढ़ावा देने के लिएडेवलपमेंट इंटरनेशनलका निर्माण, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के उदारवादीऋण के जाल में फँसे लोगों की गरिमा को वापस लौटाना तथा नये अंतर्राष्ट्रीयवाद को बढ़ावा देना।

 

झू वेई (चीन), चीन डायरी, संख्या 52, 2001.

 

वैश्विक संवाद के दृष्टिकोण से यांग, याओ और चेन का लेख महत्वपूर्ण है जिसे ज़रूर पढ़ा जाना चाहिए। वेनहुआ ज़ोंगहेंग के पहले अंतर्राष्ट्रीय संस्करण के विषय में हमें आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार है। फ़िलहाल हम दूसरे संस्करण पर काम कर रहे हैं, जो चीन के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया पर केंद्रित होगा।

जैसा कि संयुक्त राज्य अमेरिका एशियाप्रशांत क्षेत्र में प्रमुख शक्तियों के संघर्ष पर ज़ोर देता है, ऐसे में यह ज़रूरी है कि संचार के नये तरीक़े तलाश किए जाएँ और चीन, पश्चिम और विकासशील दुनिया के बीच आपसी समझ विकसित की जाए। जैसा कि मैंने अपने संपादकीय के अंत में लिखा है, ‘नये शीत युद्ध ने इस दुनिया का विभाजित कर दिया है, ऐसे में एक दूसरे से सीखना और सहयोग करना हमारा मिशन होना चाहिए कि एक दूसरे से टकराना

स्नेहसहित

विजय