Chéri Samba (Democratic Republic of the Congo), Reorganisation, 2002.

चेरी सांबा (कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य), पुनर्गठन, 2002.

 

प्यारे दोस्तों,

ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन।

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के भागीदारों (COP) के 27 वें सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद देशों और निगमों के प्रतिनिधि वापस जा चुके हैं, मिस्र के शर्मअलशेख में रिसॉर्ट्स की धूल वापस से ज़मीन पर बैठ गई है। अंतिम समझौते में एक एकमात्र प्रगति यह हुई है किकमज़ोर देशोंके लिएनुक़सान और क्षति कोषका निर्माण किया गया है। हालाँकि, एक सफलता के रूप में स्वागत किए जाने के बावजूद, यह डील 2019 में COP25 में सैंटियागो नेटवर्क फ़ॉर लॉस एंड डैमेज के वित्तपोषण से थोड़ा ही अधिक है। यह भी देखा जाना बाक़ी है कि क्या यह नया वित्तपोषण वास्तव में धरातल पर उतर पाएगा। पिछले समझौतों के तहत, जैसे कि 2009 में COP15 में स्थापित ग्रीन क्लाइमेट फ़ंड, विकसित देशों ने 2020 तक विकासशील देशों को प्रति वर्ष 100 बिलियन डॉलर का वित्तपोषण प्रदान करने का वादा किया था, लेकिन वे अपने घोषित लक्ष्यों को पूरा करने में विफल रहे हैं। COP27 के समापन पर, संयुक्त राष्ट्र नेगंभीर चिंताव्यक्त की कि पिछले वादों कोअभी तक पूरा नहीं किया गयाहै। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि शर्मअलशेख़ कार्यान्वयन योजना में कहा गया है किकम कार्बन वाली अर्थव्यवस्था में वैश्विक परिवर्तन के लिए प्रति वर्ष कमसेकम $4-6 ट्रिलियन के निवेश की आवश्यकता होती है‘ – एक ऐसी प्रतिबद्धता जो कहीं नज़र नहीं आती। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने कहा कि, 2022 में, वार्षिक वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा निवेश $1.5 ट्रिलियन से कम रहेगा। उन्होंने घोषणा की, यहरिकॉर्ड स्वच्छ ऊर्जा व्ययहै, और फिर भी, यह उस राशि से बहुत कम है जो कि स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में क़दम बढ़ाने के लिए आवश्यक है।

इस साल के शिखर सम्मेलन के समापन पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, ‘नुक़सान और क्षति के लिए कोष आवश्यक है, लेकिन अगर जलवायु संकट एक छोटे से द्वीपीय देश को मानचित्र से समाप्त कर देता है या एक पूरे अफ़्रीकी देश को रेगिस्तान में बदल देता है तो यह कोई जवाब नहीं है। दुनिया को अभी भी जलवायु परिवर्तन की दिशा में काफ़ी काम करने की ज़रूरत है।जलवायु संकट की अग्रिम पंक्ति पर काम करने वालों की आवाज़ अवश्य सुनी जानी चाहिए

उन आवाज़ों में से एक आवाज़ ओरंगुटान (बनमानुस) की है, जो बोर्निया और सुमात्रा के जंगलों के विशालकाय वानर हैं, जिन्हें मलय लोगजंगल के लोगकहते हैं (मलय में, ओरंग का अर्थ हैव्यक्तिऔर हुटन का अर्थ हैजंगल‘) इंटरनेशनल यूनियन फ़ॉर कन्वर्सेशन ऑफ़ नेचर की रेड लिस्ट के अनुसार, बोर्निया, सुमात्रा और तापानुली के ओरंगुटान की जनसंख्या में तेज़ी से गिरावट आई है और अब उन्हें गंभीर रूप से संकटग्रस्त की श्रेणी में शामिल किया गया हैजंगल में विलुप्त होने से पहले का चरण। पिछली सदी में ओरंगुटान की कुल आबादी लगभग आधी होने के साथ ही अब 800 से भी कम तापानुली वनमानुष हैं। हमारी जलवायु संबंधी बहसों में उनकी आवाज़ शामिल नहीं की जाती है।

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Max Ernst (Germany), The Gray Forest, 1927.

मैक्स अर्न्स्ट (जर्मनी), ग्रे फ़ॉरेस्ट, 1927.

2019 में, संयुक्त राष्ट्र ने एक चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की, जिसमें दिखाया गया था कि दुनिया के आठ मिलियन जानवरों और पौधों की प्रजातियों में से दस लाख के क़रीब विलुप्त होने के कगार पर थे, जिसमें 40% उभयचर प्रजातियों और एक तिहाई समुद्री स्तनधारियों की हानि शामिल थी। जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र पर अपने निष्कर्षों के हिस्से के रूप में लेखकों ने लिखा है किजो प्रजातियाँ बड़ी हैं, धीरेधीरे बढ़ती हैं, वे किसी विशेष स्थान पर रहती हैं या मांसाहारी हैंजैसे विशालकाय वानर, उष्णकटिबंधीय कड़ी लकड़ी के पेड़, शार्क और बड़ी बिल्लियाँकई क्षेत्रों से ग़ायब हो रही हैं उन्होंने चेतावनी दी, स्थिति धूमिल है, ‘जब तक जैव विविधता को हानि पहुँचाने वाले कारकों की तीव्रता को कम करने के लिए कार्रवाई नहीं की जाती

इस जैव विविधता को किन चीज़ों से नुक़सान पहुँच रहा है? रिपोर्ट में एक लंबी सूची शामिल है जिसमें एक चीज़ का बारबार ज़िक्र आता है: वनों की कटाई। स्टेट ऑफ़ वर्ल्ड फ़ॉरेस्ट्स 2020, जैसे एक ऐतिहासिक प्रकाशन में,  संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने उल्लेख किया है कि 1990 के बाद से आश्चर्यजनक रूप से 420 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर से वनों का आवरण समाप्त हो गया है, हालाँकि वनों की कटाई के दर में कमी आई है, 1990 के दशक में प्रति वर्ष 16 मिलियन हेक्टेयर वनों की कटाई होती थी, जो 2015 और 2020 के बीच घटकर केवल 10 मिलियन हेक्टेयर प्रति वर्ष रह गई है। वन वैश्विक भूमि क्षेत्र का लगभग एक तिहाई, चार बिलियन हेक्टेयर से अधिक है। आधे जंगल अपेक्षाकृत बरक़रार हैं, जबकि अन्यविशेष रूप से वर्षावनपर नष्ट होने के ख़तरा मंडरा रहा है।

 

Lula da Silva with Indigenous leaders (top from left) Célia Xakriabá, Sônia Guajajara, Joênia Wapichana, and Marina Silva, (bottom from left) Txai Suruí and Narubia Werreria at an event at the COP27 summit in Egypt, November 2022. Credit: Ricardo Stuckert.

लूला दा सिल्वा स्वदेशी नेताओं के साथ (बायें से ऊपर) सेलिया एक्सक्रियाबा, सोनिया गुआजाजारा, जोएनिया वैपिचाना, और (बायें से नीचे) मरीना सिल्वा, टेक्सईसुरूई, और नरूबिया वेरेरिया, नवंबर 2022 में मिस्र में COP27 शिखर सम्मेलन में एक कार्यक्रम में। क्रेडिट: रिकार्डो स्टकर्ट।

 

फिर से राष्ट्रपति चुने जाने के कुछ ही हफ़्ते बाद, लुइज़ इनासियो लूला डा सिल्वा, जो जनवरी 2023 में ब्राज़ील के 39वें राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार ग्रहण करने वाले हैं, COP27 में वैश्विक मंच पर लौट आए। वह ब्राज़ील के स्वदेशी समुदाय के कई नेताओं के साथ पहुँचे, जिनमें कांग्रेस के तीन नवनिर्वाचित सदस्य शामिल थे: सेलिया एक्सक्रियाबा (मिनास गेरैस राज्य के उप प्रमुख), सोनिया गुजाजारा (जो स्वदेशी लोगों के एक नये मंत्रालय का नेतृत्व करने वाली हैं), और मरीना सिल्वा (लूला की पिछली सरकार में पर्यावरण मंत्री, इस बात की पूरी संभावना व्यक्त की जा रही है कि उनको फिर से पर्यावरण मंत्री का पद दिया जाएगा) शिखर सम्मेलन में, लूला ने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और इंडोनेशिया के साथ ब्राज़ील की सहमति की पुष्टि की, जो पिछले साल ग्लासगो में COP26 में किए गएवर्षा वनों का ओपेक (OPEC)’ स्थापित करने के लिए था। दुनिया के आधे से अधिक वर्षावन इन तीन देशों में हैं, जो संसाधनों से समृद्ध हैं, पर्यावरण विनाश की बड़ी क़ीमत पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लाभ पहुँचाने के लिए जहाँ खनन किया गया है, लेकिन वे अपने ही नागरिकों के सामाजिक विकास लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में विफल रहे हैं। इंडोनेशिया के समुद्री मामलों और निवेश के समन्वय मंत्री लुहुत बिनसर पंडजैतन (इंडोनेशिया ने कई उत्पादक संघ बनाने की माँग की है, जिसमें निकेल उत्पादकों के ओपेक (OPEC) जैसे निकाय के लिए कनाडा के साथ उत्पादक संघ शामिल है) ने कहा, ‘इन तीन देशों के लिए वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन वार्ताओं में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए अपने रणनीतिक गठबंधन को मज़बूत करना ज़रूरी है

जिस पैमाने पर और जिस गति से वैश्विक वर्षावन को लूटा जा रहा है वह चिंताजनक है। 2021 में, दुनिया ने 11.1 मिलियन हेक्टेयर वर्षा वन को खो दिया, जो लगभग क्यूबा के द्वीप के आकार का था। अभी फ़ुटबॉल विश्व कप चल रहा है, अगर इस संदर्भ में अपनी बात कहनी हो तो कह सकते हैं कि दुनिया ने प्रति मिनट वर्षावन के 10 फ़ुटबॉल पिचों को खो दिया। जायर बोल्सोनारो के नेतृत्व में पिछले साल ब्राज़ील में किसी भी देश की तुलना में सबसे बड़ी तबाही हुई, जिसमें 1.5 मिलियन हेक्टेयर का नुक़सान हुआ। वनस्पति और जानवरों से भरे हुए ये पुराने जंगल अब ख़त्म हो गए हैं। COP27 में लूला ने कहा, ‘हम अवैध वनों की कटाई के ख़िलाफ़ बहुत मज़बूत लड़ाई लड़ने जा रहे हैं।

Miguel Penha (Brazil), Mata Verde (‘Green Jungle’), 2017.

मिगुएल पेन्हा (ब्राज़ील), माता वर्डे (‘ग्रीन फ़ॉरेस्ट‘), 2017

 

ब्राज़ील, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और इंडोनेशिया अकेले नहीं हैं। घाना और संयुक्त राज्य अमेरिका की अध्यक्षता में और 53 देशों को मिलाकर बनी फ़ॉरेस्ट एंड क्लाइमेट लीडर्स पार्टनरशिप ने वनों की कटाई पर रोक लगाने के लिए साहसिक प्रतिज्ञा की है। COP27 से पहले, कोलंबिया की पर्यावरण और सतत विकास मंत्री, सुसाना मुहामद ने उन नौ देशों (ब्राज़ील, बोलीविया, पेरू, इक्वाडोर, कोलंबिया, गुयाना, सूरीनाम, वेनेजुएला, और फ़्रांस अधिकृत गुयाना) के एक अमेज़ॅन ब्लॉक के निर्माण की घोषणा की, जिन देशों में इस क्षेत्र के वर्षावन का विस्तार है। इस बीच, नॉर्वे ने कहा है कि लूला के राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के बाद वह वर्षावन संरक्षण के लिए ब्राज़ील को धन उपलब्ध कराना फिर से शुरू करेगा, जिसे बोलसोनारो के शासनकाल के दौरान रोक दिया गया था।

ब्राज़ीलडेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगोइंडोनेशिया के दृष्टिकोण को सीओपी की कोरी बातचीत के माध्यम से नहीं, बल्कि शमन, अनुकूलन और निवेश के ढाँचे में तैयार किया गया है। पर्यावरण और वानिकी प्रबंधन के लिए इंडोनेशिया के उप मंत्री, नानी हेंद्रियाती ने बताया कि कैसे उनका देशब्लू कार्बनदृष्टिकोण के माध्यम से मैंग्रोव वनों में ईकोटूरिज़्म को बढ़ावा देगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पर्यटन मैंग्रोव को नष्ट नहीं करता है, बल्कि यह लंबे समय से और बड़े पैमाने पर वनों की कटाई को रोकने की मांग कर रहा है (उदाहरण के लिए, इंडोनेशिया की विशाल मैंग्रोव प्रणाली का 40% अकेले 1980 और 2005 के बीच नष्ट हो गया था) देश में नयी पहलें मैंग्रोव को नष्ट होने देने के बजाय उसमें केकड़े की खेती को बढ़ावा दे रही हैं। इसी भावना के साथ, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडो बाली, इंडोनेशिया में G20 बैठक के दौरान, जो कि COP27 के बाद हुई थी, विश्व नेताओं को तमनहुटनराया नगुराह राय फ़ॉरेस्ट पार्क में मैंग्रोव का बीज लगाने के लिए ले गए।

 

I. Nyoman Masriadi (Indonesia), Juling (‘Cross-Eyed’), 2005.

आई. न्यामन मसरीदी (इंडोनेशिया), जूलिंग (‘क्रॉसआइड‘), 2005.

 

ऐसी तस्वीर महत्वपूर्ण हैं यदि वे वास्तव में वनों की कटाई की समस्या पर प्रकाश डालना चाहते हैं। हालाँकि, दुनिया भर में उष्णकटिबंधीय वर्षावनों को नष्ट करने वाली बहुराष्ट्रीय खनन कंपनियों पर ऐसा कोई प्रकाश नहीं डाला गया। प्रोसीडिंग्स ऑफ़ नेशनल एकेडमी ऑफ़ साइंसेज़ ऑफ़ युनाइटेड स्टेट ऑफ़ अमेरिका द्वारा प्रकाशित एक हालिया अध्ययन ने उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में वनों की कटाई पर औद्योगिक खनन के प्रभाव की जाँच की गई। इस अध्ययन के लिए 26 देशों का चयन किया गया, शोधकर्ताओं ने पाया कि 2000 से 2019 के बीच इन देशों में औद्योगिक खनन के लिए होने वाली वनों की कटाई में अकेले इंडोनेशिया की 58.2% हिस्सेदारी है। हालाँकि, इसी संबंध में, इंडोनेशिया की सरकार ने 2020 में एक नया खनन क़ानून पारित किया। जो बहुत कम या बिना किसी पर्यावरणीय विनियमन के खनन के लिए परमिट प्रदान करता है। एनजीओ एक्शन फ़ॉर इकोलॉजी एंड एमैनसिपेशन ऑफ़ पीपुल (एईईआर) के पायस गिनटिंग ने कहा, ‘जब खनन रियायतें बढ़ती हैं, तो इससे वनों की कटाई को बढ़ावा मिलता है और इसके परिणामस्वरूप जैव विविधता का नुक़सान होता है और [जानवरों तथा मनुष्यों के] आवास को क्षति पहुँचती है।इंडोनेशिया ने इस वर्ष लगभग दो हज़ार खनन परमिट रद्द कर दिए, लेकिन परमिट के रद्द किए जाने का कारण अधिकतर मामलों में परमिट प्रणाली का नियमितीकरण है, कि पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिक नियमन। इंडोनेशिया में जनता के आंदोलनों के दबाव के साथसाथ जलवायु और पर्यावरणीय आपदाओं के भयावह प्रभाव ने सरकार को बहुराष्ट्रीय खनन कंपनियों के साथ निकटता और घनिष्ठता के बारे में फिर से सोचने के लिए बाध्य किया है।

 

Made Bayak (Indonesia), reCLAIM-ing our dreams and the future, 2014.

मादे बयाक (इंडोनेशिया), हमारे सपनों और भविष्य की पुनः प्राप्ति, 2014.

 

इस बीच, ओरंगुटान का प्रश्न अनुत्तरित रहता है। 2000 से 2019 तक ओरंगुटान संरक्षण पर ख़र्च किए गए $1 बिलियन राशि की एक अकादमिक समीक्षा में पाया गया किओरंगुटान आबादी को बनाए रखने के लिए आवास संरक्षण, गश्त, और सार्वजनिक आउटरीच पर सबसे अधिक ख़र्च किया गया हालाँकि, इन फ़ंडों से बहुत कुछ हासिल नहीं हुआ है। वनों की कटाई को रोकने का प्रमुख मुद्दाबोर्नियो और सुमात्रा में पाम ऑयल, पल्पवुड, और लॉगिंग प्लांटेशन के विस्तार को रोकने सहितसूची से बाहर है। जैविक विविधता पर कन्वेंशन के पक्षकारों के आगामी सम्मेलन में, जो मॉन्ट्रियल (कनाडा) में 7-19 दिसंबर तक आयोजित किया जाना है, इन मामलों पर कितना ध्यान दिया जाएगा? क्या ओरंगुटान की आवाज़ कोई सुनेगा?

अक्टूबर में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रमुख, क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने वाशिंगटन डीसी में नागरिक समाज संगठनों के एक समूह को बताया कि IMF ‘वास्तव में जैव विविधता का समर्थन कर रहा है। उदाहरण के लिए, हमारे पास अर्थशास्त्री हैं जो हाथी के मौद्रिक मूल्य और व्हेल के मूल्य को मापने में सक्षम हैं जॉर्जीवा की टिप्पणियाँ कार्ल मार्क्स द्वारा कैपिटल (1867) के खंड एक में किए गए एक अवलोकन को प्रतिध्वनित करती हैं: ‘इंग्लैंड में, नहर की नावों को खींचने के लिए घोड़ों के बजाय कभीकभी महिलाओं का उपयोग किया जाता है, क्योंकि घोड़ों और मशीनों का उत्पादन करने के लिए आवश्यक श्रम की सटीक गणना की जा सकती है, जबकि महिलाओं की अतिरिक्त जनसंख्या के भरणपोषण के लिए जो आवश्यक है वह गणना से परे है

ओरंगुटान का मौद्रिक मूल्य क्या है, अकेले ग्रह के अस्तित्व को छोड़ दें? शासक वर्ग उन मूल्यों की गणना करने में सक्षम हो सकता है, लेकिन यह स्पष्ट है कि वे ग्रह को बचाने के लिए बिल का भुगतान करने को तैयार नहीं है।

स्नेहसहित,

विजय