Han Youngsoo (Republic of Korea), Seoul, Korea 1956–1963.

हान यंगसू (कोरिया गणराज्य), सियोल, कोरिया 1956-1963

 

प्यारे दोस्तो,

ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन।

व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) ने अक्टूबर 2023 में अपनी वार्षिक व्यापार एवं विकास रिपोर्ट प्रकाशित की थी। रिपोर्ट में कुछ भी ऐसा नहीं है जिसके बारे में  दुनिया पहले से न जानती हो। वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट जारी है और इसमें सुधार का कोई संकेत नहीं दिख रहा है। महामारी के बाद 2021 में सुधार के संकेत के साथ जीडीपी बढ़कर 6.1% तक पहुँची थी, लेकिन 2023 में आर्थिक विकास महामारीपूर्व के स्तर से भी नीचे गिर कर 2.4% तक पहुंच गया है और 2024 में इसके 2.5% पर रहने का अनुमान है। UNCTAD का कहना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था ‘रुकी हुई गति से उड़ रही हैऔर सभी पारंपरिक संकेतक दर्शाते हैं कि दुनिया का अधिकांश हिस्सा मंदी का सामना कर रहा है।

ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की नोटबुक ‘द वर्ल्ड इन डिप्रेशन: ए मार्क्सिस्ट एनालिसिस ऑफ क्राइसिस’ वर्तमान स्थिति को दर्शाने के लिए मंदीशब्द के उपयोग पर सवाल उठाती है। नोटबुक का तर्क है कि मंदीशब्द का प्रयोग संकट के असल रूप को छिपाने के लिए किया जा रहा है।  नोटबुक में कहा गया है कि आज हम जिस लंबे और गहरे संकट का सामना कर रहे हैं वहमहामंदी है।दुनिया की अधिकांश सरकारें महामंदी से बाहर निकलने और उससे पार पाने के लिए पारंपरिक उपायों का उपयोग कर रही हैं। परिणामस्वरूप, घरेलू बजट पर भारी असर पड़ा है, जबकि घरेलू खर्च पहले से ही आसमान छूती महंगाई से बुरी तरह प्रभावित है और रोज़गार की संभावनाओं में सुधार के लिए आवश्यक निवेश पर रोक जारी है। UNCTAD के अनुसार केंद्रीय बैंक दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता की बजाय अल्पकालिक मौद्रिक स्थिरता को प्राथमिकता दे रहे हैं। बाजार में अपर्याप्त विनियमन और बढ़ती असमानता की प्रति निरंतर बेफ़िक्री की यह प्रवृत्ति विश्व अर्थव्यवस्था को जर्जर कर रही है।ब्राज़ील में हमारी टीम ने, पुर्तगाली भाषा की पत्रिका रेविस्टा एस्टुडोस डो सुल ग्लोबल (‘दक्षिण गोलार्ध अध्ययन का जर्नल‘) के चौथे अंक में प्रकाशित ‘फाइनेंसिरिजाकाओ डो कैपिटल ई ए लुटा डे क्लासेस(‘पूंजी का वित्तीयकरण और वर्ग संघर्ष‘) शीर्षक लेख में इन मामलों की गहराई से पड़ताल की है।

हालाँकि, कुछ अपवाद भी हैं। UNCTAD का अनुमान है कि 2024 में जी-20 देशों में से पाँच देश ब्राज़ील, चीन, जापान, मैक्सिको और रूस बेहतर विकास दर हासिल करेंगे। इन देशों के अपवाद होने के अलगअलग कारण हैं: उदाहरण के लिए UNCTAD ने लिखा है कि ब्राजील में, ‘बढ़ते कमोडिटी निर्यात और बढ़ती पैदावार से विकास में तेजी आ रही है, जबकि मेक्सिको को कम आक्रामक मौद्रिक विनियमन और 2021 2022 में पूर्वी एशिया में उभरी बाधाओं के कारण नई विनिर्माण क्षमता स्थापित करने के लिए निवेश की आमदसे फ़ायदा हुआ है। इन देशों में एक समानता यह लगती है कि इन्होंने मौद्रिक नीति में सख़्ती नहीं लाई है और ये विनिर्माण व बुनियादी ढांचे में आवश्यक निवेश सुनिश्चित करने के लिए राज्य के हस्तक्षेप के विभिन्न रूपों का उपयोग कर रहे हैं।

 

Farhan Siki (Indonesia), Market Review on School of Athens, 2018.

फरहान सिकी (इंडोनेशिया), एथेंस स्कूल की बाजार समीक्षा, 2018

 

नवंबर 2023 में प्रकाशित हुई ओईसीडी की आर्थिक आउटलुक रिपोर्ट का आकलन भी UNCTAD रिपोर्ट के अनुरूप है। इसके अनुसार वैश्विक विकास तेजी से बढ़ती एशियाई अर्थव्यवस्थाओं पर अत्यधिक निर्भर है।ओईसीडी का अनुमान है कि अगले दो वर्षों तक यह आर्थिक विकास भारत, चीन और इंडोनेशिया में केंद्रित रहेगा, जो कि सामूहिक रूप से दुनिया की लगभग 40% आबादी को दर्शाते हैं। हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा प्रकाशित चाइना स्टम्बल्ज़ बट इज़ अन्लाइक्ली टू फ़ॉलरिपोर्ट में ईश्वर प्रसाद लिखते हैं कि चीन का आर्थिक प्रदर्शन पिछले तीन दशकों में शानदार रहा है।आईएमएफ के चीन डेस्क के पूर्व प्रमुख, प्रसाद इस प्रदर्शन का श्रेय अर्थव्यवस्था में बड़ी मात्रा में राज्य निवेश और हाल के वर्षों में (अत्याधिक गरीबी उन्मूलन के कारण) बढ़ी घरेलू खपत को देते हैं। आईएमएफ और ओईसीडी के अन्य लोगों की तरह प्रसाद भी इस बात से आश्चर्यचकित हैं कि चीन कैसे इतनी तेज़ी से बढ़ने में सक्षम रहा है, जबकि उसके पास सुचारु वित्तीय प्रणाली, मजबूत संस्थागत ढांचा, बाजारउन्मुख अर्थव्यवस्था और लोकतांत्रिक व खुली सरकारी प्रणाली जैसी अर्थशास्त्रियों द्वारा विकास के लिए महत्त्वपूर्ण मानी गई कई विशेषताएँ नहीं हैं।प्रसाद का इन चार कारकों का वर्णन विशेष विचारधारा से प्रेरित है और भ्रामक भी। उदाहरण के लिए, आवास संकट, जिसने अटलांटिक दुनिया में बैंकिंग संकट पैदा कर दिया है, को देखते हुए अमेरिका की वित्तीय प्रणाली को सुचारूमान लेना मुश्किल है। इसके अलावा लगभग 360 खरब डॉलर यानी वैश्विक तरलता का पांचवां हिस्सा अवैध टैक्स हेवेन में बिना किसी निगरानी या विनियमन के पड़ा है।

आँकड़े यह दिखाते हैं कि एशियाई देशों का एक समूह बहुत तेज़ी से विकास कर रहा है, जिसमें भारत और चीन अग्रणी हैं, और इनमें भी चीन कम से कम पिछले तीस वर्षों से आर्थिक विकास की सबसे लंबी अवधि बरकरार रख के आगे है। इस बात पर कोई विरोध नहीं है। विवाद इसके स्पष्टीकरण में है, कि चीन आर्थिक विकास की इतनी उच्च दर कैसे हासिल कर पाया है, कि वह अत्यधिक ग़रीबी को कैसे ख़त्म करने में सक्षम रहा है, और हाल के दशकों में, चीन को सामाजिक असमानता के ख़तरों को दूर करने के लिए संघर्ष क्यों करना पड़ा है। आईएमएफ और ओईसीडी चीन का उचित मूल्यांकन करने में असमर्थ हैं, क्योंकि वे शुरू से ही इस बात को ख़ारिज करते हैं कि चीन एक नए तरह के समाजवादी रास्ते पर चल रहा है। यह दक्षिण गोलार्ध में विकास और अल्पविकास के कारणों को व्यापक रूप से समझने में पश्चिम की विफलता को भी दर्शाता है।

 

पिछले एक साल से, ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान उन चीनी विद्वानों के साथ काम कर रहा है जो यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि उनका देश अल्पविकास का विकासकरने से कैसे मुक्त हो पाया है। इस प्रक्रिया में, हम एक अंतरराष्ट्रीय त्रैमासिक संस्करण तैयार करने हेतु चीनी पत्रिका वेनहुआ ज़ोंगहेंग (文化纵横) के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। यह पत्रिका उक्त विषय पर चीनी विद्वानों के लेखों के अलावा चीन के साथ अपने अनुभव पर अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के विद्वानों के लेख भी प्रकाशित करती है। इस पत्रिका के पहले तीन अंक दुनिया में बदलते भूराजनीतिक संरेखण (ऑन द थ्रेशोल्ड ऑफ ए न्यू इंटरनेशनल ऑर्डर‘, मार्च 2023), चीन की दशकों पुरानी समाजवादी आधुनिकीकरण की प्रक्रिया (चाइनास पाथ फ़्रोम एक्स्ट्रीम पावर्टी टू सोशलिस्ट मॉडर्नाइज़ेशन‘, जून 2023), और चीन एवं अफ्रीका के संबंध (चाइनाअफ़्रीका रेलेशंज़ इन बेल्ट एंड रोड एरा‘, अक्टूबर 2023) जैसे विषयों पर केंद्रित थे।

पत्रिका का ताज़ा अंक, चायनीज़ पर्सपेक्टिव्स ऑन ट्वेंटीफ़र्स्ट सेंचुरी सोशलिज़म‘ (दिसंबर 2023), वैश्विक समाजवादी आंदोलन के विकास और इसकी भविष्य की दिशा पर केंद्रित है। इस अंक में, वेनहुआ ज़ोंगहेंग के चीनी भाषा संस्करण के संपादक यांग पिंग और शंघाई एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के सांस्कृतिक मार्क्सवाद संस्थान के मानद अध्यक्ष पैन शिवेई का तर्क है कि समाजवादी इतिहास में एक नया युग वर्तमान में उभर रहा है। यांग और पैन के अनुसार, उन्नीसवीं सदी के यूरोप में मार्क्सवाद के जन्म और बीसवीं सदी में अनेक समाजवादी राज्यों व समाजवाद से प्रेरित राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलनों के उदय के बाद समाजवाद की यह नई लहरया नया रूपउभर रहा है, जो चीन में 1970 के दशक में सुधारवाद और उदारवाद के दौर के साथ शुरू हुआ था। उनका मानना है कि सुधार और प्रयोग की क्रमिक प्रक्रिया के माध्यम से, चीन ने एक विशिष्ट समाजवादी बाजार अर्थव्यवस्था विकसित की है। यांग और पैन ने इन दोनों पक्षों का आकलन पेश किया है कि चीन विभिन्न घरेलू व अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों से पार पाने के लिए अपनी समाजवादी व्यवस्था को कैसे मजबूत कर सकता है और चीन के उदय का वैश्विक स्तर पर क्या प्रभाव होगा कि क्या चीन दुनिया में समाजवादी विकास की एक नई लहर को बढ़ावा दे सकेगा है या नहीं।

 

Denilson Baniwa (Brazil), The Call of the Wild//Yawareté Tapuia, 2023.

डेनिल्सन बानिवा (ब्राज़ील), जंगल की पुकार//यावेरेटे तापुइया, 2023

 

इस अंक के परिचय में, ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान के शोधकर्ता मार्को फर्नांडीस लिखते हैं कि चीन की वृद्धि पश्चिम से बिल्कुल अलग रही है क्योंकि यह दक्षिणी गोलार्ध में औपनिवेशिक लूट या प्राकृतिक संसाधनों के हिंसक शोषण पर निर्भर नहीं रही है। इसके बजाय, फर्नांडीस का तर्क है कि चीन ने अपना स्वयं का समाजवादी मार्ग तैयार किया है, जिसमें वित्त पर सार्वजनिक नियंत्रण, अर्थव्यवस्था की राज्य योजना, प्रमुख क्षेत्रों में भारी निवेश आदि कदम शामिल हैं जो विकास के साथसाथ सामाजिक प्रगति भी पैदा करते हैं और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की संस्कृति को बढ़ावा देते हैं। सार्वजनिक वित्त, निवेश और योजना का रास्ता अपना कर चीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में प्रगति तथा मानव पूंजी व मानव जीवन में सुधार करते हुए औद्योगीकरण का विस्तार कर पाया है।

चीन ने वित्त को नियंत्रित करने, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के उपयोग तथा औद्योगीकरण जैसे उपायों की आवश्यकता पर कई सबक़ दुनिया के साथ साझा किए हैं। एक दशक से जारी बेल्ट एंड रोड पहल, चीन और दक्षिणी गोलार्ध के बीच इसी तरह के सहयोग का एक ज़रिया है। हालाँकि, चीन के विकास ने विकासशील देशों को अधिक विकल्प प्रदान किए हैं व उनकी विकास संभावनाओं में सुधार किया है, लेकिन फर्नांडीस एक नई समाजवादी लहरकी संभावना को लेकर बहुत आश्वस्त नहीं हैं। उनका कहना है कि दक्षिण गोलार्ध के सामने खड़ी भुखमरी व बेरोजगारी जैसी जटिल समस्याओं पर औद्योगिक विकास के बिना काबू नहीं पाया जा सकता। वे लिखते हैं कि:

चीन (या रूस) के साथ केवल संबंध बना लेने से ऐसा नहीं हो सकता। प्रगतिशील सामाजिक क्षेत्रों, विशेषकर श्रमिक वर्गों की व्यापक भागीदारी के साथ राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय परियोजनाओं को मज़बूत किए बिना किसी भी प्रकार के विकास के फल उन लोगों तक नहीं पहुँचेंगे जिन्हें उनकी सबसे अधिक आवश्यकता है। यह देखते हुए कि वर्तमान में दक्षिण गोलार्ध के कुछ ही देशों में जन आंदोलन बढ़ रहे हैं, वैश्विक स्तर पर तीसरी समाजवादी लहरकी संभावनाएँ बहुत चुनौतीपूर्ण बनी हुई हैं; इसकी बजाय, प्रगतिशील दिखने वाले विकास की एक नई लहर की संभावना ज़्यादा लगती है।

ठीक इसी बात पर हमने अपने डोसियर दुनिया को एक नए समाजवादी विकास सिद्धांत की ज़रूरत हैमें ज़ोर दिया था। मानव जाति और पृथ्वी की बेहतरी के भविष्य का सपना अपने आप साकार नहीं होगा; वह संगठित सामाजिक संघर्षों से ही हासिल होगा।

 

फिलिप फागबेइरो (नाइजीरिया), गुमनामी की गलियाँ, 2019

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स्नेहसहित,

विजय