Skip to main content
  • EnglishEN
  • EspañolES
  • PortuguêsPT
  • EnglishEN
  • EspañolES
  • PortuguêsPT
  • FrançaisFR
  • हिन्दीHI
  • TürkçeTR
  • РусскийRU
  • DeutschDE
  • العربيةAR
  • 中文ZH
  • Publications
    • newsletter
    • dossier
    • Wenhua Zongheng
    • Studies
    • Red Alert
    • notebook
    • Books
  • Art
    • Highlights
    • Gallery
    • Art Bulletin
  • Mission
  • History

क्षेत्र

  • Argentina
  • Brasil
  • Asia
  • Pan Africa
  • सदस्यता लें
  • दान करें
  • संपर्क करें
  • फॉलो करें

category

जनवरी 31, 2020

Browse our Newsletters

  • पहले का (सितम्बर 20, 2017)

नवीनतम समाचार पत्र

वे वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था का दम घोंट रहे हैं: अठारहवाँ न्यूज़लेटर (2025)

जब फ़्रांस का क़र्ज़ चुकाने में बर्बाद हो गया हैती: सत्रहवाँ न्यूज़लेटर (2025)

एक नई बांडुंग भावना के इंतज़ार में: सोलहवाँ न्यूज़लेटर (2025)

बुचेनवाल्ड यातना शिविर को कम्युनिस्ट क़ैदियों ने आज़ाद करवाया था: पंद्रहवाँ न्यूज़लेटर (2025)

इस विषय पर अधिक

dossier
एक नए शीत युद्ध से उत्तर-पूर्व एशिया में हड़कंप
मई 21, 2024

अन्य न्यूज़लेटर

  • वे वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था का दम घोंट रहे हैं: अठारहवाँ न्यूज़लेटर (2025)
  • जब फ़्रांस का क़र्ज़ चुकाने में बर्बाद हो गया हैती: सत्रहवाँ न्यूज़लेटर (2025)
  • एक नई बांडुंग भावना के इंतज़ार में: सोलहवाँ न्यूज़लेटर (2025)
  • बुचेनवाल्ड यातना शिविर को कम्युनिस्ट क़ैदियों ने आज़ाद करवाया था: पंद्रहवाँ न्यूज़लेटर (2025)
  • अफ्रीकी लेखिका ऐंड्री ब्लौइन हमारे जैसी क्रांतिकारी हैं: चौदहवाँ न्यूज़लेटर (2025)
  • रोडॉल्फ़ो वॉल्श हमसे क्या उम्मीद रखते: तेरहवाँ न्यूज़लेटर (2025)
  • एकतरफ़ा प्रतिबंध और महिलाओं के ख़िलाफ़ जारी जंग: बारहवाँ न्यूज़लेटर (2025)
  • आख़िर कब तक अफ्रीकी महिलाओं को पानी लाने के लिए मीलों चलना पड़ेगा: ग्यारहवाँ न्यूज़लेटर (2025)
  • आईएमएफ में वैश्विक उत्तर के पास दक्षिण के मुक़ाबले वोट करने की नौ गुना ज़्यादा ताक़त है: दसवाँ न्यूज़लेटर (2025)
  • तकनीकी विकास में दुनिया की अगुआई करता चीन: नौवाँ न्यूज़लेटर (2025)
  • पढ़ने वालों के नाम, एक बेहतर समाज गढ़ने वालों के नाम: आठवाँ न्यूज़लेटर (2025)
  • साफ़ पानी और हरे-भरे पहाड़ भी सोने-चाँदी के भंडार जितने ही मूल्यवान हैं: सातवाँ न्यूज़लेटर (2025)
  • चलो हम अपने खोए हुए मोती ढूँढ लाएँ: छठा न्यूज़लेटर (2025)
  • जनसंहार ने फ़िलिस्तीनियों की ज़िंदगी के कई साल घटा दिए हैं: पाँचवाँ न्यूज़लेटर (2025)
  • अश्वेत देशों की विराट आकांक्षाएँ: चौथा न्यूज़लेटर (2025)
  • युद्धों का अंत समझौते से होता है, यूक्रेन में भी यही होगा: तीसरा न्यूज़लेटर (2025)
  • डॉ. विक्टर फ़्रैंकेन्स्टायन ने अपने दानव को त्याग दिया: दूसरा न्यूज़लेटर (2025)
  • हमारे बच्चों के आँसू: पहला न्यूज़लेटर (2025)
  • प्रतिरोध करो, मेरे लोगो, उनका प्रतिरोध करो: बावनवाँ न्यूज़लेटर (2024)
  • सीरिया में सत्ता परिवर्तन को कैसे समझा जाए: इक्यावनवाँ न्यूज़लेटर (2024)
  • दुनिया का आठवाँ महाद्वीप है- काइयाँपन: पचासवाँ न्यूज़लेटर (2024)
  • वक़्त की पुकार है- अफ्रीका से बाहर निकले फ्रांस: उनचासवाँ न्यूज़लेटर (2024)
  • अमेरिका ने अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय को अंगूठा दिखाया: अड़तालीसवां न्यूज़लेटर (2024)
  • हमें एक शांतिमय दुनिया चाहिए: सैंतालीसवाँ न्यूज़लेटर (2024)
  • नरक में फँसे हुओं की तड़प: छियालिसवाँ न्यूज़लेटर (2024)
  • वो दुनिया जहाँ बंदूकें सजी हों, बस अजायबघरों में: चौवालिसवाँ न्यूज़लेटर (2024)
  • हमारे वजूद और मानव सभ्यता के विकास के लिए हैं हमारी क्रांतियाँ: तैंतालीसवाँ न्यूज़लेटर (2024)
  • समग्र विश्लेषण कैसे किया जाए: बयालीसवाँ न्यूज़लेटर (2024)
  • हवाई बमबारी की विभीषिका: इकतालीसवाँ न्यूज़लेटर (2024)
  • चीन का शिऑन्ग’आन न्यू एरिया: चालीसवाँ न्यूज़लेटर (2024)
  • मानसिक स्वास्थ्य के लिए जूझती दुनियाः उनचालीसवां न्यूज़लेटर (2024)
  • किलेबंदी के लिए बाक़ी है बस एक रात: अड़तीसवाँ न्यूज़लेटर (2024)
  • एक गीत से जलती है जनता के मन में क्रांति की चिंगारी: सैंतीसवाँ न्यूज़लेटर (2024)
  • प्रवासियों की दुनिया में शरणार्थियों की तीन नई किस्में: छत्तीसवाँ न्यूज़लेटर (2024)
  • इससे पहले कि वो दुनिया के लिए अपनी कहानी लिख पाती, उसे बेरहमी से कत्ल कर दिया गया: पैतींसवाँ न्यूज़लेटर (2024)
  • इस अनिश्चित दौर में लैटिन अमेरिकी सरकारों की कमज़ोरी: चौतीसवाँ न्यूज़लेटेर (2024)
  • खास किस्म के चरम दक्षिणपंथ पर दस विचार: तैंतीसवाँ न्यूज़लेटर (2024) 
  • वेनेज़ुएला एक अनूठा गतिशील देश: बत्तीसवाँ न्यूज़लेटर (2024) 
  • फिलिस्तीन में भी लौटेंगे पंछी: इकत्तीसवाँ न्यूज़लेटर (2024)
  • एक जंग लगी बेल्ट और टूटी सड़क का देश: तीसवाँ न्यूज़लेटर (2024)
  • प्रशांत महासागर और उसके द्वीप न निषिद्ध हैं और न उन्हें भुला दिया गया है: उनतीसवाँ न्यूज़लेटर (2024)
  • एक शांतिमय या पुरसुकून दुनिया बनाना ही एकमात्र यथार्थवादी काम है: अट्ठाईसवाँ न्यूज़लेटर (2024)
  • कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में युद्ध होगा खत्म: सत्ताइसवाँ न्यूज़लेटर
  • परमाणु युद्ध कभी मामूली नहीं होते: छब्बीसवाँ न्यूज़लेटर (2024)
  • क्या डॉलर की सत्ता अंत की ओर बढ़ रही है?: पच्चीसवाँ न्यूज़लेटर (2024)
  • समझौते और डर से नहीं आएगा लोकतंत्र: चौबीसवाँ न्यूज़लेटर (2024) 
  • उनकी नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था दरअसल माफ़िया राज है: तेईसवां न्यूज़लेटर (2024)
  • ये पीड़ा के गीत हैं, युद्ध के नहीं : 21 वां न्यूज़लेटर (2024)
  • माई हार्ट मेक्स माई हेड स्विम: 20वां न्यूज़लेटर (2024)
  • अफ़्रीका में लोग कहते हैं, 'फ्रांस, बाहर निकलो!': 19वां न्यूज़लेटर (2024)
  • पाखंड बर्दाश्त नहीं करेंगे छात्र: अठारहवाँ न्यूज़लेटर (2024)
  • ब्राज़ील के भूमिहीन मज़दूर चालीस साल से मानवता के निर्माण के लिए संघर्ष कर रहे हैं: 16वां न्यूज़लेटर (2024)
  • प्रेम बिना जी रहे हैं हज़ारों लोग, पानी बिना कोई नहीं जी सकता: 14वां न्यूज़लेटर (2024)
  • फ़िलिस्तीन के लोग फ़िलिस्तीन की धरती पर ही रहेंगे: 13वां न्यूज़लेटर (2024)
  • महिलाओं की मुक्ति का संघर्ष हमेशा सार्थक रहेगा: 12वां न्यूज़लेटर (2024)
  • जीत, जंग, मृत्यु और अकाल सीधे दिल पर वार करते हैं: ग्यारहवां न्यूज़लेटर (2024)
  • सबसे अंधेरे समय में भी पढ़ना, गाना और नाचना जारी रहेगा: दसवाँ न्यूज़लेटर (2024)
  • नगण्य लोगों का जीवन, उनकी जान लेने वाली गोलियों से ज़्यादा मूल्यवान है: नौवां न्यूज़लेटर (2024)
  • अगर दुनिया को समझ लूँ, तो इसे बदलने के लिए आगे आ सकता हूँ: आठवाँ न्यूज़लेटर (2024)
  • शांति जैसा शब्द युद्ध की गोली से भी तेज़ है: सातवाँ न्यूज़लेटर (2024)
  • हर तरफ़ भोर हो रही है, और दुनिया जाग रही है: छठा न्यूज़लेटर (2024)
  • फ़िलिस्तीनियों से नहीं छीना जा सकता सपने देखने का अधिकार: पांचवां न्यूज़लेटर (2024)
  • उजियारा लाने का एक जतन और: चौथा न्यूज़लेटर (2024)
  • विकासशील देशों ने इज़रायल को अदालत में घसीटा : तीसरा न्यूज़लेटर (2024)
  • चीन की क्रांति के बारे में मेरे विचार: दूसरा न्यूज़लेटर (2024)
  • आओ विनाश की संस्कृति छोड़ मानवता की संस्कृति अपनाएं: पहला न्यूज़लेटर (2024)
  • एशिया फिर बन रहा है विश्व अर्थव्यवस्था की धुरी : 52वां न्यूज़लेटर (2023)
  • बहुराष्ट्रीय कंपनियों की लूटमार से त्रस्त है दुनिया : 51वां न्यूज़लेटर (2023)
  • कला की ताक़त से डरते हैं शासक: 50वां न्यूज़लेटर
  • क्या फ़िलिस्तीनी ज़िंदगी की कोई क़ीमत नहीं ?: 49वां न्यूज़लेटर (2023)
  • धुर-दक्षिणपंथ का मोहक छलावा: 48वां न्यूज़लेटर (2023)
  • दुनिया में हो रहे बदलाव वैश्विक मुनरो सिद्धांत का अंत कर देंगे: 47वां न्यूज़लेटर (2023)
  • उदारवाद और दक्षिणपंथ का गठजोड़: 46वां न्यूज़लेटर (2023)
  • क्या गाज़ा और क्यूबा में इंसान नहीं बसते?: 45वां न्यूज़लेटर (2023)
  • युद्ध की सूरत हमेशा ही निराशाजनक और वीभत्स होती है: 44वां न्यूज़लेटर (2023)
  • ग़रीब देशों में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) की लूट बदस्तूर जारी है: 43वाँ न्यूज़लेटर (2023)
  • फ़िलिस्तीनी लोग पहले से ही आज़ाद हैं: बयालीसवाँ न्यूज़लेटर (2023)
  • ट्राईकॉन्टिनेंटल रिसर्च सर्विसेज़ की ओर से दिल्ली पुलिस के लिए एक अध्ययन सूची: 41वां न्यूज़लेटर (2023)
  • अफ़्रीका के पास एक शक्तिशाली, आधुनिक और औद्योगीकृत महाद्वीप बनने के लिए जरूरी सभी चीज़ें मौजूद हैं: 40वाँ न्यूज़लेटर (2023)
  • क्या यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस को संयुक्त राष्ट्र में अपनी स्थायी सीटें नहीं छोड़नी चाहिए? 39वां न्यूज़लेटर (2023)
  • 2011 में नाटो का आक्रमण और अब डेनियल तूफ़ान: तबाही के अवशेषों का ठौर बना लीबिया: 38वाँ न्यूज़लेटर
  • मानवता के सामने सुरसा सी मुँह बाए खड़ी तमाम चुनौतियों का एक ही कारण है, पूंजीवाद: 37वां न्यूज़लेटर (2023)
  • अगर 1973 में चिली में तख़्तापलट न हुआ होता तो? 36वां न्यूज़लेटर (2023)
  • 1 जनवरी 2024 को दुनिया का शक्ति संतुलन बदल जाएगा: 35वाँ न्यूज़लेटर (2023)
  • नाइजर के लोग अपनी लाचारी का अंत करना चाहते हैं: 34वां न्यूज़लेटर (2023)
  • ब्रिक्स शक्ति का संतुलन बदल रहा है, लेकिन वो दुनिया को अकेले नहीं बदल पाएगा: 33वां न्यूज़लेटर (2023)
  • क्या ग़रीब देश सौ साल पुराने निर्भरता के निराशाकारी चक्र को तोड़ पाएंगे?: 32वां न्यूज़लेटर (2023)
  • दुनिया के संसाधन इंसानी जरूरतों के लिए पर्याप्त हैं, पूंजीवादी लालच के लिए नहीं: 31वां न्यूज़लेटर (2023)
  • दुनिया के युवाओं एक हो: 30वां न्यूज़लेटर (2023)
  • अगर सब को नाटो में ही शामिल होना है, तो संयुक्त राष्ट्र की क्या ज़रूरत है? 29वां न्यूज़लेटर (2023)
  • दुनिया को एक नए समाजवादी विकास सिद्धांत की ज़रूरत है, जो गरीबों को गरीबी में जकड़ कर न रखे: 28वां न्यूज़लेटर (2023)
  • चीन के चावल की टोकरी उसके लोगों के हाथों में महफ़ूज़ है: 27वां न्यूज़लेटर (2023)
  • क्या ट्रायड का यूरोपीय चरण अटलांटिक गठबंधन से मुक्त हो सकता है?: 25वां न्यूज़लेटर (2023)
  • ट्रायड की अवधारणा को पुनर्जीवित करना: बाईसवाँ न्यूज़लेटर (2023)
  • बांग्लादेश में एक हज़ार से अधिक कपड़ा मज़दूरों की मृत्यु: सोलहवाँ न्यूज़लेटर (2023)
  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष झूठ की झड़ी लगाए हुए है: पंद्रहवाँ न्यूज़लेटर (2023)
  • इस आकाश में महिलाओं की हिस्सेदारी 76.2 प्रतिशत है: चौदहवाँ न्यूज़लेटर (2023)
  • तीसरी दुनिया के साथ खड़ा होना चीन की ऐतिहासिक नियति है: तेरहवाँ न्यूज़लेटर (2023)
  • तुम महिलाओं पर प्रहार करते हो, तुम चट्टान पर प्रहार करते हो, तुम कुचले जाओगे: बारहवाँ न्यूज़लेटर (2023)
  • फिर से वैश्विक शांति और पारस्परिक सम्मान के सपने का जन्म: ग्यारहवाँ न्यूज़लेटर (2023)
  • साम्राज्यवादी 'नियम-आधारित व्यवस्था' के आठ विरोधाभास: दसवाँ न्यूज़लेटर (2023)
  • ह्यूगो चावेज़ की तरह, जो जीवन के लिए मरते हैं, उन्हें मृत नहीं कहा जा सकता: नौवाँ न्यूज़लेटर (2023)
  • किसी सभ्यता की सच्ची परीक्षा यही है कि लोगों को स्वास्थ्य की कोई चिंता न हो: आठवाँ न्यूज़लेटर (2023)
  • संयुक्त राज्य अमेरिका ताइवान को पूरब का यूक्रेन बनाना चाहता है: छठा न्यूज़लेटर (2023)
  • जेनिन पर आक्रमण करने वाली ख़ुशी के बारे में लिखना: पाँचवाँ न्यूज़लेटर (2023)
  • वे मज़दूर ही थे जो लोकतंत्र लेकर आए थे, और मज़दूर ही आज से गहरा लोकतंत्र स्थापित करेंगे: चौथा न्यूज़लेटर (2023)
  • जब लोगों के पास खाने को कुछ नहीं बचेगा, तब वो अमीरों को खा जाएँगे: तीसरा न्यूज़लेटर (2023)
  • नया शीत युद्ध आर्कटिक सर्कल में पहुँच चुका है: दूसरा न्यूज़लेटर (2023)
  • समाजवाद कोई काल्पनिक आदर्श नहीं है, बल्कि एक ज़रूरत है, जिसे धरातल पर उतारा जा सकता है: पहला न्यूज़लेटर (2023)
  • उदारवादी देश में ‘पवित्र’ नवउदारवाद के संकट: 51वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • डॉलर से मुक्ति का मार्ग सऊदी अरब से होकर गुज़रेगा: 50वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • ऑस्ट्रेलिया को फ़्रंट-लाइन देश बनाकर लड़े जा रहे नये शीत युद्ध से कुछ भी अच्छा नहीं होगा: 49वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • फ़्रांस से माली का अलगाव ट्रान्सअटलांटिक गठबंधन में दरार का एक लक्षण है: 48वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • मलय भाषा में, ओरंगुटान का अर्थ है 'जंगल के लोग', लेकिन वे जंगल ग़ायब हो रहे हैं: सैंतालीसवाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • जो दुनिया को बदलने के लिए संघर्ष करते हैं वे इस दुनिया को भली-भाँति जानते हैं: 46वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • प्रकृति पर हमला मानवता को ख़तरे में डाल रहा है: 45वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • अफ़्रीका नये शीत युद्ध के लिए प्रजनन स्थल नहीं बनना चाहता: 44वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • हमें दक्षिणी गोलार्ध में रहने वाले ग़रीबों का एक नया ट्रेड यूनियन चाहिए: 43वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • हैती को एक और सैन्य हस्तक्षेप नहीं चाहिए: 42वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • बुर्किना फासो में सितारे कब चमकेंगे?: 41वां न्यूज़लैटर (2022)
  • मानवता के सामने उत्पन्न अब तक की सबसे ख़तरनाक स्थिति: 40वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • घायल लैटिन अमेरिका ड्रग्स पर जारी तर्कहीन युद्ध को समाप्त करने की मांग करता है: 39वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • संस्कृति के बिना आज़ादी नामुमकिन है: अड़तीसवाँ न्यूज़लेटर (2022) 
  • इस धरती पर मंडराते ख़तरे का जवाब युद्ध नहीं है: 37वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • हम आगे बढ़ते रहेंगे, भले ही हमें पाकिस्तानी बाढ़ से होकर गुज़रना पड़े: छत्तीसवाँ न्यूज़लेटर (2022) 
  • पूँजीवाद ने जलवायु संकट पैदा किया; समाजवाद इस आपदा को टाल सकता है: 35वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • अपना स्टील कारख़ाना बचाने की आंध्र प्रदेश के मज़दूरों की लड़ाई: 34वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • वारंगल की जनता का आवास के लिए संघर्ष: 33वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • क्या हम चीन के बारे में समझदारी से बातचीत कर सकते हैं?: 32वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • श्रीलंका के लोग एक ऐसी दुनिया की तलाश में हैं जिसमें सब मिलकर हँसी बाँट सकें: इकत्तीसवाँ समाचारपत्र (2022)
  • मैं एक ही चीज़ माँगती हूँ, कि तुम आज शांति के लिए लड़ो: 30वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • अँधेरा है, लेकिन मैं गाता हूँ क्योंकि सवेरा आना ही है: 29वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • क्या हमारे बच्चे साक्षर होंगे? क्या वे गरिमा के साथ अपना जीवन जी सकेंगे?: 28वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • संयुक्त राज्य अमेरिका एक ऐतिहासिक तथ्य को छुपाना चाहता है - यूरेशियाई एकीकरण: 27वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • लोग भूखे हैं। लोग भूखे हैं: 26वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • ज़रूरत है कि हम अपने भविष्य का ढाँचा तैयार करें: 25वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • वाशिंगटन का घातक वैश्विक मुनरो सिद्धांत: 24वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • दक्षिण अफ़्रीका की ज़मीन उसपर काम करने वालों की साझी संपत्ति होगी: 23वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • अफ़्रीका, युद्ध उससे बहुत दूर चल रहा लेकिन वह उसका भुक्तभोगी है: 22वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • और फिर अचानक कोई साम्राज्य नहीं बचा था: 21वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • कला एक सपना है जिसमें हम अपने भविष्य की कल्पना करते हैं: 20वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • एक बुरी तरह से विकृत और झूठ से भरी दुनिया में, हम करुणा की तलाश करते हैं: 19वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • लगातार गर्म होते ग्रह में, हथियारों पर पैसा ख़र्च किया जा रहा है: 18वाँ न्यूज़लेटर  (2022)
  • ये अंधेरे समय भी रौशनी से भरे हैं: 16वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • हम विभाजित ग्रह नहीं चाहते हैं; हम ऐसी दुनिया चाहते हैं जहाँ दीवारें न हों: 15वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • यह निश्चितता का युग नहीं है। हम विरोधाभासों के दौर में जी रहे हैं: चौदहवाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • इतिहास कंकालों की गिनती को समाप्त कर उसे शून्य बना देता है: 13वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • दुनिया में, कई तरह के जाल हैं, और उन्हें तोड़ना ज़रूरी है: 12वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • हम ढाँचागत बदलावों के दौर से गुज़र रहे हैं: 11वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • तुम भी युद्ध के शिकार हो हमारी तरह: 10वाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • बढ़ते तनाव के इन दिनों में, शांति एक प्राथमिकता है: नौवाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • ग्वांतानामो में जिनेवा सम्मेलनों का उल्लंघन करने वाले आज़ाद हैं, जबकि उनके अपराधों को बेनक़ाब करने में मदद करने वाला आदमी जेल में बंद है: आठवाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • इस साल रेड बुक्स डे (21 फ़रवरी) पर आप कौन-सी रेड बुक पढ़ेंगे?: सातवाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • वामपंथ के पास संस्कृति है, लेकिन दुनिया अभी भी बैंकों की है: छठा न्यूज़लेटर (2022)
  • वैश्विक निरक्षरता के स्थिर संकट के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएँ: पाँचवाँ न्यूज़लेटर (2022)
  • आओ पूरी दुनिया को बताएँ कि इस दुनिया में दक्षिणी गोलार्ध के देश भी मौजूद हैं: चौथा न्यूज़लेटर (2022)
  • हम इंसान हैं, पर अंधेरे में हम उजाले की कामना करते हैं: तीसरा न्यूज़लेटर (2022)
  • भविष्य के समाज के लिए कार्यक्रम जिसे हम वर्तमान में बनाएँगे: दूसरा न्यूज़लेटर (2022)
  • स्वास्थ्य का उच्चतम प्राप्य मानक प्रत्येक मनुष्य का मौलिक अधिकार है: पहला  न्यूज़लेटर (2022)
  • हम अपने हथौड़े को पीटते हुए और हँसुए को लहराते हुए नये साल में नृत्य करते हैं: 52वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • मैं उन अमेरिकियों से हमारे अधिकार प्राप्त करना चाहता हूँ जिन्होंने हमें नुक़सान पहुँचाया: 51वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • वे हमें कभी नहीं ढूँढ़ पाएँगे क्योंकि हमारा प्यार चट्टानों से बँधा हुआ है: 50वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • एक असाधारण दुनिया का निर्माण करने के लिए साधारण लोगों का अद्भुत दृढ़ संकल्प: 49वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • हमें अपनी ज़मीन पर खड़ा होना है, जहाँ से हम आसानी से सितारों तक पहुँचें: 48वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • यह जीत भविष्य के संघर्षों के लिए विश्वास जगाती है: 47वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • जलवायु को बचाने के नाम पर, वे खेतों को बाज़ारू वस्तु जैसा बना देंगे: 46वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • तुम हमें हमारे जीवन के साथ समझौता करने के लिए क्यों कह रहे हो?: 45वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • क्या बंदूक़धारी हमारे ग्रह को साँस लेने देंगे: 44वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • यमन में एक बच्चा होना बुरे सपने जैसा है: 43वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • अगर सभी शरणार्थी एक देश में रह रहे होते, तो वह देश दुनिया का 17वाँ सबसे बड़ा देश होता: 42वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • महिलाएँ आधे से ज़्यादा आसमान की मालिक हैं: 41वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • भुखमरी रहित दुनिया: 40वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • यदि संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर पर आज वोट हो, तो क्या वो पास होगा?: 39वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • जहाँ फूलों को बढ़ने के लिए पर्याप्त शांति भी नहीं मिलती: 38वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • उसके आने की आहट मुझे जगाती है और मैं अपनी ज़मीन की तबाही समझने लगता हूँ: 37वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • केवल बढ़ती अव्यवस्था के कारण: 36वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • अफ़्रीका का विद्रोह, उम्मीद से भरे अपने विलाप के साथ जम चुका है: 35वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • मैं जगी थी यहाँ जब पृथ्वी नयी नयी थी: 34वाँ (2021)
  • दो, तीन नहीं, कई साइगॉन बनाओ। यही आज का नारा है: 33वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • बच्चों को हरे खेत दिखाओ और सूरज की रौशनी उनकी ज़ेहन में उतरने दो: 32वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • चीन ग़रीबी ख़त्म कर रहा है और अरबपति अपने मज़े के लिए अंतरिक्ष में घूमने जा रहे हैं: 31वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • हमारे समय का सबसे बड़ा मुक़ाबला मानवता और साम्राज्यवाद के बीच है: 30वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • वाशिंगटन सत्ता परिवर्तन का ढोल पीटता रहता है, लेकिन क्यूबा अपनी क्रांतिकारी लय के साथ काम करता है: 29वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • क़यामत का एक निरर्थक गिरजाघर: 28वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • दुनिया में हर जगह महिलाएँ हाशिए पर हैं: 27वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • क्यूबा की वैक्सीन शील्ड और दुनिया पर क़ब्ज़ा करने वाले पाँच एकाधिकार: 26वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • काराबोबो की प्रेरणा मोनरो की दुर्गंध पर विजयी होगी: 25वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • भारत में किसानों का कम्यून: 24वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • दुनिया का हर कोना बुरी तरह से प्रभावित है: 23वाँ न्यूज़लेटर (2021)।
  • हम पेड़ों से चिपक जाते हैं क्योंकि पेड़ों की आवाज़ नहीं होती: 22वाँ न्यूज़लेटर (2021).
  • लेनिन पेरिस कम्यून और सोवियत गणराज्य का जश्न मनाने के लिए बर्फ़ में नाचे थे: 21वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • संघर्ष की राह पर: 20वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • यदि मैं संघर्ष करते हुए गिर जाऊँ, तो मेरी जगह ले लेना: 19वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • केरल में, वर्तमान पर भविष्य हावी है: 18वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • मैं‌ ‌अभी‌ ‌भी‌ ‌यहीं‌ ‌हूँ‌,‌ ‌‌हालाँकि‌ ‌मेरा‌ ‌देश‌ ‌पश्चिम‌ की ओर ‌जा‌ ‌चुका‌ ‌है:‌ ‌‌17‌‌‌वाँ ‌न्यूज़लेटर‌ ‌(‌2021)‌
  • ज़रा सी उम्मीद, जो मियामी में नहीं मिलती: 16वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • मैंने अपने देश के न्यायालय में प्रवेश किया और उसे एक सँपेरे के मंदिर जैसा पाया: 15वाँ न्यूज़लैटर (2021)
  • ज़ाम्बिया‌ ‌वैश्विक‌ ‌कुत्ते‌ ‌की‌ ‌पूँछ‌ ‌का‌ ‌सिरा‌ ‌है:‌ ‌‌14‌‌वाँ ‌न्यूज़लेटर‌ ‌(‌2021)
  • मानव समाज में टीके  सार्वजनिक होने चाहिए: 13वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • जिसे आप प्यार कहते हैं वह अवैतनिक श्रम है: 12वाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • केरल से बहुत कुछ सीखा जाना चाहिए: 11वाँ न्यूज़लेटर (2021)।
  • नवउदारवाद चिली में पैदा हुआ था; चिली में नवउदारवाद का अंत होगा: दसवाँ न्यूज़लेटर (2021)।
  • शांति से जीने का अधिकार: नौंवा न्यूज़लेटर (2021)
  • तुम्हारे विशेषाधिकार सार्वभौमिक नहीं हैं: आठवाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • मार्क्स द्वारा रचित पूँजी कभी हमारा संबल भी है और कभी संघर्षों को तेज़ करने का प्रेरणास्त्रोत भी: सातवाँ न्यूज़लेटर (2021)
  • हमारे दौर के तीन रंगभेद (पैसा, दवाई और भोजन): छठा न्यूज़लेटर (2021)।
  • क्या हम सब कल की खोज में नहीं हैं: पाँचवा न्यूज़लेटर (2021)
  • हम सभी को आक्रोशित होना चाहिए, लेकिन आक्रोश बहुत कारगर शब्द नहीं है: चौथा न्यूज़लेटर (2021)।
  • तुम जीतो सच की ये बाज़ी, है ये दुआ मेरी: तीसरा न्यूज़लेटर (2021)
  • वो देश जहाँ स्वतंत्रता एक मूर्ति है: दूसरा न्यूज़लेटर (2021)
  • हम एक आपात स्थिति में रह रहे हैं जिसके लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है (नोम चॉम्स्की के साथ मिलकर लिखा गया एक नोट): पहला न्यूज़लेटर (2021)
  • भविष्य में वही होगा जिसकी बुनियाद हम आज डालेंगे: 53वाँ न्यूज़लेटर (2020)
  • सारी तोपें चुपचाप खड़ी ज़ंग खाती रहेंगी: 52वाँ न्यूज़लेटर (2020)
  • क्रांतिकारी जब उठ खड़े होते हैं, तब वो किसी बात की चिंता नहीं करते, सिवाय प्यार के: 51वाँ न्यूज़लेटर (2020)
  • हम डोनाल्ड ट्रम्प की मरणासन्न सरकार की नहीं सुनेंगे: 50वाँ न्यूज़लेटर (2020।
  • हम घास हैं, हम हर चीज़ पर उग आएँगे: 49वाँ न्यूज़लेटर (2020)।
  • हम एक लाइलाज बीमारी के मारे हैं, जिसे उम्मीद कहते हैं: 48वाँ न्यूज़लेटर (2020)।
  • आज़ादी, केवल आज़ादी ही हमारी प्यास बुझा सकेगी: 47वाँ न्यूज़लेटर (2020)।
  • गहरी साँस लो और फिर बेहतर दुनिया बनाने के काम पर लौट आओ: 46वाँ न्यूज़लेटर (2020)।
  • जंग जंगों के फ़लसफ़े के ख़िलाफ़: 45वाँ न्यूज़लेटर (2020)
  • हम वो इतिहास हैं जो बदनाम हैं, लेकिन जो फिर से उभर आता है जब आपको इसकी सबसे कम उम्मीद होती है: 44वाँ न्यूज़लेटर (2020)।
  • कॉर्पोरेट व्यक्तियों के मानव पीड़ितों के लिए स्वर्ग: 43वाँ न्यूज़लेटर (2020)।
  • गोलियाँ बीज नहीं हैं जीवन का: 42वाँ न्यूज़लेटर (2020)।
  • हम भूखों का मुक़ाबला करने के लिए, साम्राज्यवादी अपनी बंदूक़ें उठा लेते हैं: 41वाँ न्यूज़लेटर (2020)।
  • अगर मैं नहीं करता यक़ीं, तो मेरा साँस लेना भी मुश्किल होता: 40वाँ  न्यूज़लेटर (2020)।
  • कोरोनावायरस से पहले भूख हमें मार देगी: 39वाँ न्यूज़लेटर (2020)।
  • समझदार लोग जानते हैं कि युद्ध जीतना हारने से बेहतर नहीं होता: 38वाँ न्यूज़लेटर (2020)।
  • एक बाग़ नहीं, एक खेत नहीं, हम सारी दुनिया माँगेंगे: 37वाँ न्यूज़लेटर (2020)।
  • महामारी के समय की छः जटिलताएँ: 36 वाँ न्यूज़लेटर (2020)।
  • जनता के संघर्ष से ही देश को आज़ादी मिलेगी: 35 वाँ न्यूज़लेटर (2020)।
  • लोगों से कहना कि संघर्ष जारी रहना चाहिए: 34वाँ न्यूज़लेटर (2020)।
  • देर हो चुकी है, लेकिन यह भोर है, अगर हम थोड़ा ज़ोर दें तो: 33 वाँ न्यूज़लेटर (2020)
  • हमें आत्मसमर्पण के लिए आसमान नहीं छूना है: 32वाँ न्यूज़लेटर (2020)।
  • मानवता मौत के अपराधों का प्रतिरोध करती है: 31वाँ न्यूज़लेटर (2020)
  • एक दुनिया में दो दुनिया: 30वाँ न्यूज़लेटर (2020)
  • दिल की हर धड़कन हमारा गीत होना चाहिए, और ख़ून की लालिमा हमारा परचम: 29वाँ न्यूज़लेटर (2020)
  • यहाँ मौत नहीं, भविष्य भयावह है: 28वाँ न्यूज़लेटर (2020).
  • हम फिलिस्तीन में हैं, हबीबी, और फिलिस्तीन स्वर्ग है: 27 वां न्यूज़लेटर (2020)
  • नरेन्द्र मोदी और जायर बोलसोनारो की ख़तरनाक अक्षमता: 26वाँ न्यूज़लेटर (2020)
  • कोविड-19 के बाद दक्षिणी गोलार्ध के देशों के लिए दस एजेंडा: 25वाँ न्यूज़लेटर (2020)
  • जीना कोई मखौल नहीं है: 24वाँ न्यूज़लेटर (2020)
  • राक्षस अजेय नहीं होते: 23वाँ न्यूज़लेटर (2020)
  • यदि आप मानवजाति का दर्द महसूस नहीं करते, तो आप मानव होना भूल गए हैं: 22वाँ न्यूज़लेटर (2020)
  • युद्ध की तैयारियों के ख़िलाफ़ बोफ़िशा अपील: 21वाँ न्यूज़लेटर (2020)
  • भूख से तबाह होती दुनिया: 20वाँ न्यूज़लेटर (2020)
  • समस्या के समाधान के लिए क्रांति की दरकार होती है: 19 वाँ न्यूज़लेटर (2020)
  • प्लेग के देवता की विदाई: 18 वाँ न्यूज़लेटर (2020)
  • समाजवाद महामारी को हराएगा या फिर महामारी समाजवाद को: 17वाँ न्यूज़लेटर (2020)
  • ऐसा देश हो जिसमें कोई रह सके, खेती कर सके, प्यार कर सके और गाना गा सके, बिना इसके कोई कैसे ज़िंदा रह सकता है : 16 वाँ न्यूज़लेटर (2020)
  • महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा क्वारंटाइन की परवाह नहीं करता: 15 वाँ न्यूज़लेटर (2020)
  • दुनिया के मज़दूर-वर्ग पर कोरोना का असर: 14 वां समाचार-पत्र (2020)
  • हम सामान्य परिस्थिति में वापस नहीं जाएँगे, क्योंकि सामान्य परिस्थिति ही असल समस्या थी: 13 वां समाचार-पत्र (2020)
  • लहूलुहान दुनिया को नर्स और डॉक्टर प्रेरित कर रहे हैं: 12 वाँ न्यूज़लेटर (2020)
  • हम लड़ेंगे साथी, जब तक लड़ने की ज़रूरत बाक़ी है: 11वां समाचार पत्र 2020
  • संघर्षरत महिलाओं की विरासत: दसवाँ न्यूज़लेटर (2020)
  • समाज बदलने की बात करो, या चुप रहो: नौवाँ समाचार-पत्र (2020)
  • तुम ज़मीं पे ‘ज़ुल्म’ लिखो, आसमान में 'इंक़लाब' लिखा जाएगा: आठवां समाचार पत्र (2020)
  • कैसे आकाश में सुराख़ नहीं हो सकता: सातवाँ समाचार पत्र (2020)
  • यह एकजुटता का समय है, लांछन का नहीं: छठा समाचार पत्र (2020)
  • मानवीय आकांक्षाओं को विकृत करने वाला आर्थिक युद्ध कब ख़त्म होगा?: पाँचवाँ समाचार पत्र
  • वो लोकतंत्र जिसका वादा था...जो संविधान में लिक्खा था...वो क्या हुआ?
  • सदस्यता लें
  • दान करें
  • संपर्क करें
  • गोपनीयता नीति और लाइसेंस
  • फॉलो करें
  • दान करें
  • सदस्यता लें
  • फॉलो करें

Sign up for our weekly newsletter, a curated note that offers a window into some of the struggles and conflicts of our time.

Loading