वर्ग संघर्ष: बड़ी प्रौद्योगिकी कम्पनियाँ और वर्तमान समय की अन्य चुनौतियाँ

46वाँ डोज़ियर

 

डेटा ‘क्लाउड’ ऐसे लगता है जैसे कोई अलौकिक, जादुई जगह हो। लेकिन वास्तव में यह ऐसा बिल्कुल नहीं है। इस डोज़ियर में दी गई तस्वीरों का उद्देश्य है डिजिटल दुनिया, जिसमें हम आज रह रहे हैं, की भौतिकता की कल्पना करना। एक बादल को चिपबोर्ड पर प्रक्षेपित किया गाय है। एक सब्जी को आनुवंशिक परिवर्तन पेटेंट के रूप में दर्शाया गया है। क्रिप्टोक्यूरेंसी का धरती के अंदर से ‘खनन’ नहीं किया जाता है, बल्कि यह तो बहुत ज़्यादा ऊर्जा खाने वाली कंप्यूटिंग प्रक्रियाओं के माध्यम से बनती है। सैनिकों के नक्शे-कदम के साथ जीपीएस निर्देशांक मैप किए गए हैं। कोड के एक टुकड़े को एक और शून्य से बने धुएँ की परत के रूप में दिखाया गया है। ये सभी चित्र हमें याद दिलाते हैं कि प्रौद्योगिकी (टेक्नॉलजी) निष्पक्ष नहीं है, बल्कि उन लोगों के हितों की सेवा करती है जिनका इस पर नियंत्रण है। प्रौद्योगिकी, इसलिए, वर्ग संघर्ष का एक हिस्सा है।

इंग्रिड नेवेस की तस्वीरों के आधार पर ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान के कला विभाग द्वारा डिज़ाइन किए गए चित्र।

 

Cloud Ccomputing, 2021.

क्लाउड कम्प्यूटिंग, 2021.

आधुनिकता की चुनौती भ्रम के बिना जीना और निराश हुए बिना जीना है

एंटोनियो ग्राम्शी

 

कोरोनाशॉक शब्द का मतलब है कि एक वायरस ने दुनिया को इतनी बुरी तरह से जकड़ लिया कि स्वास्थ्य और सामाजिक संकट को रोकने में बुर्जुआ सरकारों की असमर्थता सबके सामने गई; इससे यह भी स्पष्ट हुआ कि बुर्जुआ देशों में सामाजिक व्यवस्था कैसे चरमरा गई, जबकि दुनिया के समाजवादी हिस्सों की सामाजिक व्यवस्था अधिक लचीलेपन के साथ टिकी रही।

 

नयी डिजिटल तकनीकोंका सवाल चुनौती बनकर खड़ा है, जिसके महत्व के बारे में जनआंदोलनों के भीतर बहस तेज़ हो रही है। प्रौद्योगिकी तक असमान पहुँच ही एकमात्र मुद्दा नहीं है; दमन, नियंत्रण, उपभोक्तावाद और निगरानी के उद्देश्यों के लिए डेटा के उपयोग पर भी चिंता स्थायी रूप से जताई जाती है। इन मुद्दों के साथ यह तथ्य भी जुड़ा हुआ है कि मौजूदा समय के बड़े कॉर्पोरेशन सूचना प्रौद्योगिकी फ़र्म्स हैं, यही कारण है कि समकालीन पूँजीवाद को समझने के लिए नयी डिजिटल तकनीकों के बारे में चर्चा करना आवश्यक है। इन मुद्दों को समझने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं, जिन्हें कई तरह के नये शब्दों और अवधारणाओं के प्रसार के रूप में देखा जा सकता है: जैसे कि डिजिटल अर्थव्यवस्था, डिजिटल पूँजीवाद, मंच पूँजीवाद, तकनीकीसामंतवाद, डेटा पूँजीवाद, और निगरानी पूँजीवाद, आदि। इन अवधारणाओं के बारे में अभी तक कोई सहमति नहीं बनी है, लेकिन दुनिया को बदलने की हिम्मत रखने वालों के लिए समकालीन पूँजीवाद में डिजिटल डेटा और प्रौद्योगिकी कम्पनियों की भूमिका के बारे में एक सामूहिक और वस्तुपरक विश्लेषण का निर्माण करना ज़रूरी चुनौती है।

इस बात को ध्यान में रखते हुए, हमारा 46वाँ डोज़ियर, वर्ग संघर्ष के लिए बड़ी तकनीक और वर्तमान चुनौतियाँ, डिजिटल प्रौद्योगिकी और वर्ग संघर्ष पर भूमिहीन श्रमिक आंदोलन (एमएसटी) द्वारा आयोजित एक सेमिनार में बनी समझ के आधार पर लिखा गया है। इस सेमिनार का उद्देश्य था समकालीन पूँजीवाद में हो रहे इन परिवर्तनों और हमारे संघर्षों को व्यवस्थित करने में उनके निहितार्थ का विश्लेषण करना और सोशल मीडिया पर प्रतिस्पर्धी आख्यानों और डिजिटल सुरक्षा जैसे सवालों से आगे की समझ बनाने की कोशिश करना। ज्ञान निर्माण की इस प्रक्रिया के केंद्र में डिजिटल प्रौद्योगिकी से जुड़े मुद्दों को समझना और उन पर चर्चा शुरू कर हमारे आंदोलनों के लिए कक्षाएँ आयोजित करना था। हमने केवल शोधकर्ता और विशेषज्ञ के विश्लेषण के आधार पर नहीं, बल्कि डिजिटल प्रौद्योगिकियों के अध्ययन के लिए समर्पित अन्य संगठनों के ज्ञान के आधार पर, इस मुद्दे के अलगअलग दृष्टिकोणों को इकट्ठा कर एक सामान्य समझ बनाने के लिए उन पर चर्चा की।

यह लेख उस सामूहिक प्रक्रिया से निकले अंतरिम ज्ञान का परिणाम है। यहाँ हमारा उद्देश्य है, वर्ग संघर्ष के दृष्टिकोण से तकनीकी परिवर्तनों और उनके सामाजिक परिणामों को समझना। इन विषयों पर विस्तृत चर्चा करना या निष्कर्ष देना इस लेख के दायरे से बाहर है। इसके बजाय, यह लेख उन मुद्दों को समझने का पहला प्रयास है जिन्हें हम वर्तमान में सामाजिक संगठन के लिए मौलिक मानते हैं, और यह विश्लेषण ऐसे लेखों, पुस्तकों आदि पर आधारित है जिनमें यह समझने की कोशिश की गई है कि डिजिटल प्रौद्योगिकियाँ पूँजी संचय की दिशा में कैसे काम करती हैं।

 

प्रौद्योगिकी और पूँजीवाद

पूँजीवादी समाज में, वस्तुओं के उत्पादन, वितरण और उपभोग के तरीक़े को बदलने के लिए प्रौद्योगिकी एक असाधारण उपकरण है। प्रौद्योगिकी निष्पक्ष नहीं है, ही यह सामाजिक संरचनाओं से अलग है; बल्कि, यह मानव श्रम द्वारा निर्मित दुनिया पर काम करती है जो किएक पूँजीवादी समाज मेंसंपत्तिधारकों के मुनाफ़े पर केंद्रित है। प्रमुख विचारधारा हमें यह विश्वास दिलाएगी कि प्रौद्योगिकी और विज्ञान का विकास एक लगातार चलने वाले कठोर प्रक्रिया से होता है, और पूँजीवाद का आगमन इस प्रक्रिया का शिखर है, और यह भी कि मानवता एक ऐसी प्रणालीगत अवस्था में पहुँच गई है जो हर चीज़ का उत्पादन सबसे अच्छे और सबसे कुशल तरीक़े से करती है और इससे पहले कीऔर आज इसमें एकीकृत होने का विरोध कर रहीहर प्रणाली अप्रासंगिक है। लेकिन यह विचारधारा इस तथ्य को अस्पष्ट बना देती है कि प्रौद्योगिकियाँ विशिष्ट ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भों में श्रम और सामाजिक संबंधों से उत्पन्न होती हैं।

प्रौद्योगिकी का विकास सबसे पहले एक ऐसी प्रक्रिया है जो श्रम के सामाजिक संगठन से निकलती है। बड़ेबड़े तकनीकी विकास असाधारण व्यक्तियों के दिमाग़ की उपज नहीं होते, बल्कि सामूहिक ज्ञान और रुचियों के उत्पाद होते हैं; वो ज्ञान और रुचियाँ जो जीवन के उत्पादन और पुनरुत्पादन के तरीक़ों और सामाजिक संबंधों से जुड़े हैं और जो उत्पादन और पुनरुत्पादन के इन रूपों द्वारा निर्धारित भी होते हैं और उन्हें निर्धारित करते भी हैं। जैसे, पूँजीवादी समाज अक्सर वो ज्ञान, तथा उन तकनीकों और प्रौद्योगिकियों का उत्पादन करता है जो इसकी प्रकृति और अंतर्विरोधों को व्यक्त करते हैं। ऐसा समाज जो कुछ भी मौजूद है उसे विनियोजित करता है और वास्तविकता को अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप ढालने का प्रयास करता है। यह अपने स्वयं के उद्योग और अपनी मशीनें बनाता है, जो ज़रूरी नहीं कि मानव विकास के लिए सर्वश्रेष्ठ हों, लेकिन जो निश्चित रूप से पूँजी के संचय की प्रक्रिया के लिए सबसे कुशल होते हैं।

चूँकि पूँजीवादी उत्पादन मुनाफ़े के हक़ में श्रम के शोषण पर आधारित है, इसलिए यह अपनी तकनीक का उपयोग उत्पादक प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए करता है, और मानव श्रम की लय को अपनी मशीन के एक हिस्से की तरह निर्देशित करता है। इसके साथ, पूँजी के मालिक अन्य आर्थिक क्षेत्रों से उचित लाभ कमाने के लिए एकदूसरे के साथ स्थायी प्रतिस्पर्धा में रहते हैं और उत्पादक क्षमता को केंद्रीकृत कर उस पर अपना वर्चस्व बनाए रखना चाहते हैं। परिणामस्वरूप, ग़रीबी और बदहाली जनता द्वारा सैद्धांतिक रूप से उपभोग किए जा सकने वाले उत्पादों की संख्या बढ़ने के साथसाथ बढ़ती रहती है।

प्रौद्योगिकी, इसलिए निष्पक्ष नहीं होती, क्योंकि यह वर्गीकृत समाज के सामाजिक संदर्भ से उत्पन्न होती है जो कि दूसरों की अपेक्षा संपत्तिधारक वर्ग को लाभान्वित करती है। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) एक व्यापक प्रक्रिया की तकनीकी और प्रौद्योगिक अभिव्यक्ति है। पूँजीवादी व्यवस्था के विशेष चक्रीय और संरचनात्मक संकट नयी प्रौद्योगिकियों के उद्भव के लिए उपयुक्त क्षण उत्पन्न करते हैं। माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक क्रांति (माइक्रोचिप्स जैसे लगातार छोटे और तेज़ एकीकृत सर्किटों के उत्पादन) से, एक तरफ़ वैश्विक स्तर पर मानव संचार प्रभावित हुआ और दूसरी ओर पूँजी की अभूतपूर्व गतिशीलता की जगह भी बनी। कम्पनियाँ एक ही साथ पुराने कारख़ानों को ध्वस्त कर, उन्हें कई देशों में स्थापित करने में सक्षम हो गईं, और सूचना प्रौद्योगिकी और मानकीकरण के माध्यम से पूरी दुनिया में वास्तविक समय के भीतर उत्पादक प्रक्रियाओं और वित्तीय लेनदेन का समन्वय करने लगीं। नयी प्रौद्योगिकियों ने उत्पादक प्रक्रियाओं की आउटसोर्सिंग और वस्तुओं के संचलन के साथसाथ श्रमिक वर्ग के विखंडन की जगह बनाई, जो आज श्रम के ठेकाकरण और अधिकारों की वापसी के रूप में व्यक्त हो रहा है। उत्पादन को स्थानांतरित करने की इस क्षमता ने पूँजी को श्रमिकों की सौदेबाज़ी करने की और भी ताक़त दे दी; श्रमिक जहाँ इससे पहले एक ही स्थान पर स्थित विशाल औद्योगिक परिसरों में केंद्रित और संगठित होते थे वे अब अलगअलग जगहों और पक्के, गेस्ट, ठेके पर आदि पदों में बँट चुके हैं।

 

The Origin of GPS
, 2021.

जीपीएस का उदय, 2021.

 

बड़ी तकनीक और सरकार

माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक और कॉम्प्यूटेशन के आधार पर विकसित सूचना और संचार प्रौद्योगिकियाँ (आईसीटी), बड़े पैमाने पर सैन्य प्राथमिकताओं का उत्पाद थीं, जो बाद में पूँजीवादी संचय के विस्तार के लिए नागरिक क्षेत्र में फैल गईं। अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से, अमेरिका ने सरकारी एजेंसियों, विश्वविद्यालयों और निजी उद्यमों के माध्यम से सामूहिक प्रयासों को संगठित, समन्वित और समर्थित किया। शीत युद्ध के दौरान लड़ी गई अंतरिक्ष जंग ने भी तकनीकी विकास को बढ़ावा दिया, जो कि आज भी निरंतर अंतरिक्ष अन्वेषण के माध्यम से जारी है।

सरकारें केवल नये बाज़ार बनाने वाली प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए अहम नहीं होतीं, बल्कि नये बाज़ार क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा करने या बाहरी बाज़ारों के विस्तार का समर्थन करने हेतु प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए भी ज़रूरी होती हैं। हाईटेक कम्पनियाँ अपने देश की सरकार से जुड़ी होती हैं और संरचनात्मक रूप से सरकार द्वारा संचालित नवाचार की प्रणालियों पर निर्भर करती हैंऔर इन प्रणालियों का केंद्रीय उद्देश्य मौलिक रूप से सैन्य गतिविधियों से जुड़ा है। आईसीटी उद्योग उत्तरी गोलार्ध के देशों और कम्पनियों के नियंत्रण में स्थापित हुआ था; और आमतौर पर, अंतर्राष्ट्रीय निगमों ने तकनीकी आधार के नियंत्रण और विकास से जुड़ी उत्पादक प्रक्रियाओं और उच्च मूल्य वर्धित सामानों में अपना वर्चस्व बनाए रखा है, ताकि लाभ के बड़े मार्जिन पक्के हो सकें और सैन्य निगरानी गतिविधियों का उपयोग कर वे अपना आधिपत्य सुरक्षित रख सकें।

इसलिए, बड़े प्रौद्योगिकी निगमों (Google, Apple, Facebook, Amazon, Microsoft, आदि) जिन्हें सामूहिक रूप से बड़ी प्रौद्योगिकी कम्पनियाँ या बिग टेक कहा जाता है, के विकास को समझने के लिए यह समझना आवश्यक है कि वे पूँजी संचय के तंत्र से कैसे संबंधित हैं। ये निगम वर्तमान आर्थिक समस्याओं के समाधानके रूप में स्वयं को प्रस्तुत करते हैं, लेकिन वास्तव में ये समस्याओं के लक्षण हैं; यानी, ये दर्शाते हैं कि कैसे संकट में पूँजीवाद प्रौद्योगिकी को अपने हितों की ओर निर्देशित करने का प्रयास करता है। हालाँकि ये निगम उनके द्वारा उपयोग की जाने वाली तकनीकों के स्तर और परिष्कार के संदर्भ में सबसे आगे हैं, लेकिन वे काम को ठेकाप्रथा में बदलकर, अधिकारों को रद्द करके, प्राकृतिक संसाधनों का भारी शोषण करके, पूँजी का केंद्रीकरण करके, सार्वजनिक स्थानों को निजी निगमों के हाथ सौंपकर, पूँजीवाद द्वारा पैदा किए गए संकटों के लिए पूँजीवादी समाधानों की विशिष्ट प्रक्रियाओं के द्वारा मानव समाज को पीछे की ओर ले जा रहे हैं।

यही कारण है कि समकालीन पूँजीवाद की अभिव्यक्ति के रूप में बड़ी प्रौद्योगिकी कम्पनियों का उदय वैचारिक आक्रमण के साथ हुआ है; जिसके मूल में व्यक्तिवाद आंत्रप्रेन्यौरशिप को बढ़ावा देना, राजनीति को नकारकर तटस्थता अपनाने का उपदेश देना, और ऐसे अन्य सामाजिक मिथक स्थापित करना है, जो समाज में इन निगमों के मीडिया की भूमिका में आकर प्रमुख वैचारिक एजेंट का रोल निभाने के साथ और मज़बूत होते जा रहे हैं। इन मूलभूत सामाजिक मिथकों में से एक है वर्चुअल दुनियाको समानांतर वास्तविकता के रूप में पेश करना, जिसे कई नामों से छुपाकर प्रस्तुत किया जाता है: जैसे साइबरस्पेस, ग्लोबल विलेज, वर्चुअल वर्ल्ड, वर्ल्ड वाइड वेब, सुपरहाइवे, मेटावर्स, आदि, जो कि क्षैतिज नेटवर्क के भ्रम पर आधारित हैं, जिसमें सभी व्यक्ति समान होते हैं, बशर्ते कि उन सभी के पास एक जैसे उपकरणों तक पहुँच हो। जहाँ सभी की आवाज़ सुनी जा सकती है और सब लोग सामूहिक जीवन में भाग भी ले सकते हैं और उसे प्रभावित भी कर सकते हैं। इस वर्चुअल दुनिया में, नेटवर्क और प्रौद्योगिकियाँ निष्पक्ष हैं और उनका केवल एक ही लक्ष्य है, जैसा कि बड़ी प्रौद्योगिकी कम्पनियों का भी नारा है, ‘समाधान करना और लोगों को जोड़ना लेकिन, इस आभासी क्षैतिजता के पीछे लगातार बड़ी संख्या में डेटा विश्लेषक और वैज्ञानिक काम करते हैं; और वो प्रचारक का काम करते हैं जो जनता के बीच ख़ास क़िस्म की राजनीति का प्रसार करने में महारत रखते हैं। हमें डिजिटल ग़ैरबराबरी और अधिकतर जनता के पास अब ख़ाली समय नहीं बचता है जैसी वास्तविकताओं को समझने से रोकने के लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।

क्लाउडशब्द का बारबार उपयोग अमूर्त स्थान के इस विचार की पुष्टि करता है, एक ऐसा स्थान जहाँ उपयोगकर्ताओं द्वारा उत्पादित डेटा स्थायी रूप से उपलब्ध रहता है और लगभग जादुई रूप से लोकतांत्रिक सार्वभौमिक मानदंडों के अनुसार व्यवस्थित होता है। हालाँकि, सच्चाई इससे बहुत अलग है। क्लाउडवास्तव में एक विशाल, अत्यंत ठोस, बहुप्रौद्योगिकी संरचना है। यह मुख्य रूप से अमेरिकी प्रतिष्ठानों में स्थित अत्यधिक केंद्रीकृत और एकाधिकार वाले सर्वरों के एक समूह से बना है, जहाँ उपयोगकर्ता डेटा के संबंध में किसी भी लोकतांत्रिक या सार्वभौमिक ढोंग से ज़्यादा राजनीतिक और लाभप्रदता दोनों हितों की मनमानी चलती है। इसके अलावा, ये सर्वर अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा और प्राकृतिक संसाधनों का उपभोग करते हैं। इसी तरह से, ‘आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेन्सएक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल अक्सर ऐसे सॉफ़्टवेयर के लिए किया जाता है जो कई प्रकार के जटिल गणितीय कार्यों के साथ बड़े डेटा का विश्लेषण और प्रॉसेसिंग करता है। यह शब्द इस तकनीक को निष्पक्ष दिखाता है: ऐसा लगता है कि एक स्वायत्त मशीन सोचकर निर्णय ले रही है, लेकिन वास्तव में, जिस साफ़्टवेयर से यह तकनीक काम करती है, वह इसे बनाने वाली इकाई के पूर्वाग्रहों के साथ काम करता है।

बड़ी प्रौद्योगिकी कम्पनियों से जुड़ा एक और बड़ा मिथक है आंत्रप्रेन्यौर, जिसके तहत स्वनिर्मित व्यक्तिकी पुरानी कहानी को नये रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है; इस कहानी में सफलता को केवल व्यक्तिगत प्रयास और कौशल के परिणाम के रूप में देखा जाता है। यह मिथक मामूली गराजों में काम करने वाले प्रतिभाशाली व्यक्तियोंआम तौर पर कुशाग्र श्वेत पुरुषों–  की छवि पेश करता है, जो अपने दम पर दुनिया में क्रांति लाते हैं और केवल अपनी योग्यता के परिणामस्वरूप अरबपति बने हैं। स्टीव जॉब्स, बिल गेट्स और मार्क जुकरबर्ग जैसे लोग बिज़नेस गुरु और प्रेरित करने वाले प्रशिक्षकों का दर्जा प्राप्त करते हैं, जैसे कि उनके जीवन के रास्ते हर किसी के लिए उपलब्ध थेबशर्ते उनके पास एक अच्छा विचार और धुन होती। इस कहानी में जो बताया नहीं जाता वो यह है कि इन व्यक्तियों ने हार्वर्ड, स्टैनफ़ोर्ड, प्रिंसटन, एमआईटी और कैलटेक जैसे उत्कृष्ट संस्थानों में पढ़ाई की थी। ये संस्थान भले ही औपचारिक रूप से निजी हैं, लेकिन ये सभी सार्वजनिक निवेश और प्रमुख सार्वजनिक नीतियों के साथसाथ नागरिक तथा सैन्य सरकारी विभागों से फ़ंड लेकर और दूर दराज़ के देशों में स्थित उत्कृष्टता के अन्य केंद्रों से बेहतरीन दिमाग़ों और ज्ञान के आयात को सुलभ बनाने वाली नीतियों के सहारे काम करते हैं।

डिजिटल आंत्रप्रेन्यौरकी विचारधारा के माध्यम से, आईसीटी का वित्तीय पूँजी और सट्टा पूँजीजो इन कम्पनियों के निर्माण और विस्तार में करोड़ों का निवेश करती हैंके साथ संबंध भी अस्पष्ट हो जाता है। जो आईडिया बेचा जाता है वह उन व्यक्तियों की छवि है जिन्होंने कुछ नहीं सेशुरू किया, जबकि इस तथ्य को छोड़ दिया जाता है कि उनके पास पहले से ही करोड़ों डॉलर के फ़ंड तक पहुँच थी; ये फ़ंड सार्वजनिक संसाधनों के सहारे सार्वजनिक रूप से विकसित सार्वजनिक ज्ञान और सार्वजनिक प्रौद्योगिकी के निजी संचय से आते हैं। जुकरबर्ग को फ़ेसबुक शुरू करने के लिए जो 500,000 डॉलर मिले थे, वह केवल एलीट वित्तीय और सट्टा पूँजी के साथ उनके संबंधों के कारण ही संभव हुआ था।

यह भी मज़ेदार है कि इनमें से कई उद्यम, जैसे कि स्पॉटिफ़ाई और ऊबर, लाभप्रद नहीं हैं, और ही लाभप्रद होना उनके लिए आवश्यक है। उनका बाज़ार मूल्य उनकी लाभप्रदता से अधिक महत्वपूर्ण हो गया है; केवल मूल्य का वादा, जिस पर सट्टा लगाया जा सकता है, काफ़ी है। इस वित्तीयकरण का भौतिक आधार है श्रम का शोषण। प्रौद्योगिकी श्रमिकों को अधिक उत्पादक बनाती है, और प्रौद्योगिकियों को मशीनों और उपकरणों में शामिल किया जाता है (मार्क्स के शब्दों में जिसे अचल पूँजी कहा जाता है), जो उनके सन्निहित मूल्यों को नव निर्मित वस्तुओं तक पहुँचाती है। एक अर्थव्यवस्था जितनी अधिक वित्तीयीकृत होती है, उत्पादक क्षेत्र पर उतना ही अधिक दबाव होता है और श्रमिकों का शोषण उतना ही अधिक होता है ताकि शेयर बाज़ार में लगाई गई अनुमानित इन्वेस्टमेंट की क्षतिपूर्ति की जा सके।

 

Mining Cryptocurrency, 2021.

क्रिप्टोकरंसी का खनन, 2021.

 

वित्तीयकरण

वित्त पूँजी और आईसीटी का मिलन केवल इन उद्यमों के वित्तपोषण और स्वामित्व के माध्यम से ही नहीं होता है। वित्तीय विनियमन की कमी (जो कि नवउदारवाद की विशिष्टता है) और स्मार्टफ़ोन्स के माध्यम से कनेक्टिविटी ने फ़िनटेक (फ़ाइनैन्स टेक्नॉलजी) के उद्भव को संभव बनाया है। ये वे कम्पनियाँ हैं जो डिजिटल वित्तीय उत्पादों को विकसित करती हैं और मुख्य रूप से डिजिटल पेमेंट प्लेटफ़ॉर्म्स के निर्माण पर केंद्रित करती हैं, ताकि ऑनलाइन ख़रीद और बिक्री को संचालित कर सकें और वित्तीय प्रणाली में बैंक से नहीं जुड़ेअरबों लोगों को सम्मिलित किया जा सके।

विश्व बैंक का अनुमान है कि दुनिया भर में 1.7 अरब लोगों के पास बैंक खाते नहीं हैं। यह लोग आम तौर पर ग्रामीण इलाक़ों में रहते हैं। उदाहरण के लिए, लैटिन अमेरिका में 50% -70% आबादी के पास बैंकिंग तक पहुँच नहीं है। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में वित्तीय व्यवसायों का आकार तीन गुना हो गया है। जिन 1.7 अरब लोगों के पास बैंकिंग तक पहुँच नहीं है, उनमें से 1.1 अरब के पास मोबाइल फ़ोन है। फ़िनटेक के लिए, बैंक खाता या एक निश्चित पता होना आवश्यक नहीं है, ही न्यूनतम आय का होना या विभिन्न प्रकार के शुल्क देना अनिवार्य है। केवल एक मोबाइल फ़ोन और एक इंटरनेट कनेक्शन चाहिए होता है, जिसका अर्थ है कि इस तरह का समावेश मुख्य रूप से सबसे कमज़ोर आबादी के बीच होता है।

चीन का फ़िनटेक भी वैश्विक परिधि के बैंकिंग बाज़ारों में प्रतिस्पर्धा कर रहा है। हुआवे अफ़्रीका में स्थानीय ऑपरेटरों के साथ मिलकर सुरक्षित सेवाओं, ऋण, प्रेषण और यहाँ तक ​​कि केन्या और इथियोपिया में अंतिम क्रियाक्रम के बाद बीमा देने का काम कर रहा है। इसी तरह, अरबपति और बीजिंग कुनलुन टेक्नोलॉजी के संस्थापक, झोउ याहुई, एक ऐसे प्लेटफ़ॉर्म में निवेशक हैं जो केन्या में मोबाइल फ़ोन के माध्यम से ऋण प्रदान करता है; अफ़्रीका में सबसे बड़ा मोबाइल फ़ोन विक्रेता, ट्रान्स्शन, का मुख्यालय शेन्ज़ेन में है और वो नाइजीरिया और घाना में एक अन्य प्लेटफ़ॉर्म में निवेश किया है, जबकि अलीपे, जो कि अलीबाबा ग्रूप का हिस्सा है, ने दक्षिण अफ़्रीका के लिए एक सुपर ऐपविकसित किया है। वाणिज्यिक ख़ुदरा क्षेत्र (कमर्शियल रीटेल सेक्टर) एक अन्य क्षेत्र है जिसमें आईसीटी और वित्त पूँजी संयुक्त रूप से कार्य करते हैं। 2000 के दशक के मध्य में पहली सार्सकोव महामारी के दौरान, अलीबाबा और टेंसेंट जैसी कम्पनियों के उदय के साथ इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स का विस्तार हुआ; ये कम्पनियाँ आज विशाल ख़ुदरा विक्रेता हैं।

हालाँकि, कोविड-19 महामारी से पहले, लैटिन अमेरिका उन क्षेत्रों में से एक था, जिसने ग़रीबी दर के कारण हो या बैंकों और कनेक्टिविटी तक पहुँच की कमी के कारण सबसे कम इंटरनेट वाणिज्य को अपनाया था। इसलिए, अमेरिकी बैंक गोल्डमैन सैक्स ने कहा था कि इस महामारी के दौरान, 2000 के दशक की चीनी इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स घटना फिर से लैटिन अमेरिका के संदर्भ में देखी जा सकती है। सार्स (सार्सकोव1) के पहले प्रकोप के दौरान, चीन के कॉमर्स का तेज़ी से विस्तार हुआ था और कई ऑनलाइन बिक्री प्लेटफ़ॉर्म उभरे। उनमें से एक अलीबाबा था, जो आज इस क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े ख़ुदरा विक्रेताओं में से एक है। चीन की आबादी में ऑनलाइन ख़रीदारी लगातार बढ़ रही है; गोल्डमैन सैक्स का अनुमान है कि यह प्रवृत्ति लैटिन अमेरिका में कॉमर्स को बढ़ाएगी। सेमिनार में इस बात को रेखांकित करते हुए, शोधकर्ता लारिसा पैकर ने बताया कि लैटिन अमेरिका में 2020 में ट्रांज़ैक्शन की संख्या और नये ऑनलाइन उपभोक्ताओं में 50% की वृद्धि हुई है, जिसके चलते इस क्षेत्र में खाद्य पदार्थों से जुड़े ऑनलाइन ख़ुदरा विक्रेता 500% की मासिक राजस्व वृद्धि देख रहे हैं, जो अब 1.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 12 करोड़ अमेरिकी डॉलर का व्यापार हो गया है। उदाहरण के लिए, कोलम्बियाई कम्पनी रप्पी का आकार केवल छह महीनों में दोगुना हो गया है।

 

Genetic Patent, 2021

आनुवंशिक (जेनेटिक) पेटेंट, 2021.

 

प्रकृति के ख़िलाफ़ बड़ी प्रौद्योगिकी कम्पनियाँ

यदि, एक ओर, कोरोनाशॉक ने लोगों और वस्तुओं की आवाजाही को सीमित किया और वस्तुओं के आयातनिर्यात में समस्याओं के कारण वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में दरार पैदा की, तो दूसरी ओर, इसने डिजिटलीकरण की माँग को तेज़ भी किया। महामारी ने औद्योगिक आधार की जगह पर और शहरी उद्योगों तथा निष्कर्षण कृषि उद्योगों, दोनों में उत्पादन और वितरण के तरीक़ों में प्रौद्योगिकी के गहन अनुप्रयोग को बढ़ावा भी दिया, और कामकाजी ग़ैरकामकाजी समय, उत्पादक प्रजनन श्रम, और काम करने फ़ुरसत का समय बिताने की जगह के ग़ैरपृथक्करण को और गहरा कर दिया है।

महामारी के दौरान, कृषि व्यवसाय में, कृषि क्षेत्र की बड़ी कम्पनियों, प्रौद्योगिकी क्षेत्र की बड़ी कम्पनियों और इन फ़िनटेक कम्पनियों के बीच विलय, अधिग्रहण और सौदों में वृद्धि हुई है। इस नये बुनियादी ढाँचे के परिणामस्वरूप ये अभिनेता पुन:संगठित हो रहे हैं, और यह ट्रेंड आने वाले समय में समाज को ऑलिगापॉली [एकाधिकार] की तरफ़ ले जाएगा, ऐसी स्थिति जहाँ सीमित प्रतिस्पर्धा होती है, एक बाज़ार को बहुत कम उत्पादक या विक्रेता साझा करते हैं। इस प्रकार के पुन:संगठन में, कृषि व्यवसाय शृंखला के लगभग सभी चरणों से बड़े पैमाने पर आँकड़े जुटाने की ज़रूरत बढ़ती है। इसके अलावा, यह पुनर्गठन एक तरफ़ सार्वजनिक सूचनाओं की उपलब्धता कम करवाकर और दूसरी ओर सार्वजनिक सेवाओं के लिए निजी प्लेटफ़ॉर्म बिग टेक इन्फ़्रास्ट्रक्चर की आपूर्ति में वृद्धि करके सार्वजनिक सेवाओं की अनिश्चितता को गहरा करता है। और यह स्पष्ट रूप से सरकारों की अपने देशों में निर्णय लेने की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करता है।

जॉन डीरे और बॉश कम्पनियों का ट्रैक्टर और मशीनरी के क्षेत्र में प्रभुत्व है, जबकि लॉजिस्टिक और सेल्स में, कारगिल, आर्चर डेनियल, लुई ड्रेफस और बंज हावी हैं। और फिर बड़े ख़ुदरा विक्रेता हैं: जैसे वॉलमार्ट, अलीबाबा और अमेज़ॉन आदि।

प्रौद्योगिकी की बड़ी कम्पनियाँ, अपने क्षेत्र की कम्पनियों के साथ एकीकरण नहीं करके, बल्कि मूल्य शृंखला के आधार पर लंबवत एकीकरण कर कृषि क्षेत्र में पलायन कर रही हैं; और यह इन कम्पनियों की खेत से उपभोक्ता तक की शृंखला को लंबवत रूप से अवशोषित और पुनर्गठित करने की क्षमता को दर्शाता है। प्राकृतिक परिदृश्य और संसाधनों के क्षेत्र में और आनुवंशिक अनुक्रमण के क्षेत्र में पृथ्वी के डिजिटलीकरण की प्रवृत्ति लगातार तेज़ी से बढ़ रही है। उदाहरण के लिए, माइक्रोसॉफ़्ट दुनिया भर के आनुवंशिक बैंकों को डिजिटल बनाने हेतु बुनियादी ढाँचा प्रदान करने के लिए दुनिया भर के जर्मप्लाज़्म केंद्रों के साथ साझेदारी में काम कर रहा है। 2018 में दावोस में हुई वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम की बैठक के दौरान, अमेज़ॉन डेटा बैंक परियोजना शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य पृथ्वी पर बीज, अंकुर, जानवरों और विभिन्न प्रकार के एककोशिकीय जीवों के आनुवंशिक अनुक्रमण से संबंधित कैटलॉग और पेटेंट जानकारी को सूचीबद्ध करना था। यह अर्थ बैंक ऑफ़ कोड्सप्रोग्राम का केवल पहला चरण है।

औपनिवेशिक विशेषताओं के साथ हमारे समक्ष एकाधिकार बाज़ार उभर रहा है: अंतर्राष्ट्रीय निगम, जो कि मुख्य रूप से उत्तरी गोलार्ध के देशों में स्थित हैं और दक्षिणी गोलार्ध से कम मूल्य वर्धित कच्चे माल को निकलने की क़ीमत पर लंबे समय से विज्ञान और प्रौद्योगिकी में निवेश कर रहे हैं, हमेशा ही ख़ुद को पेटेंट और बौद्धिक संपदा अधिकार दे देते हैं। इसके अलावा, इस तकनीकी बढ़त के कारण खनिज और ऊर्जा के अन्य कच्चे माल (जैसे, लिथियम, लोहा, तांबा और पृथ्वी के अन्य दुर्लभ धातु) की माँग भी बढ़ती है, और उनकी आपूर्ति की गारंटी के लिए श्रम के अंतर्राष्ट्रीय विभाजन को और आक्रामकता के साथ संगठित किया जाता है। उदाहरण के लिए, बोलीविया में, 2019 का तख़्तापलट सीधे तौर पर वहाँ के लिथियम भंडार, जो कि दुनिया के सबसे बड़े लिथियम भंडारों में से एक है, के राष्ट्रीयकरण से संबंधित था।

ग्रामीण इन्फ़्रास्ट्रक्चर क्षेत्र का भी पुनर्गठन हो रहा है। पिछले पाँच वर्षों में, सिंजेंटा, बेयर और बीएएसएफ़ जैसी कम्पनियों ने कृषि साफ़्टवेयर और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म विकसित किए हैं, जो उत्पादकों को कृषि अनुशंसाएँ प्रदान करने के लिए मोबाइल फ़ोन पर इंस्टॉल किया जाता है। आज आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेन्स से लैस ट्रैक्टर बन रहे हैं जो मिट्टी की नमी, संरचना, और रोपण के लिए सर्वोत्तम स्थान तथा वर्ष का सबसे अच्छा मौसम इत्यादि के बारे में जानकारी एकत्र करते हैं। किसान अपने मोबाइल फ़ोन के माध्यम से अपना डेटा भी इनपुट कर सकते हैं। इस डेटा का संग्रह अपने आप में समस्या नहीं है, क्योंकि किसी अन्य सामाजिक व्यवस्था में इस डेटा का उपयोग किसानों को उनके काम में सहायता करने के लिए किया जा सकता है। लेकिन, एक पूँजीवादी व्यवस्था में, यह डेटा बड़ी कम्पनियों द्वारा अपने स्वयं के लाभ कमाने के हिसाब से नियंत्रित किया जाता है। इन कम्पनियों के पास केवल साफ़्टवेयर है, पर हार्डवेयर नहीं है, जो कि जॉन डीरे और बॉश जैसी बड़ी कम्पनियों के पास है, जो आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेन्स और रोबोटाइजेशन विकसित कर रही हैं। इसका परिणाम रोबोटिक ट्रैक्टर, सेंसर, ड्रोन आदि के रूप में दिखाई दे रहा है।

इन पेटेंटों और एग्रीबिजनेस की बड़ी कम्पनियों द्वारा उत्पादित जानकारी को बड़ी प्रौद्योगिकी कम्पनियों के डिजिटल इंफ़्रास्ट्रक्चर पर संग्रहीत करने की आवश्यकता होती है: इसलिए, माइक्रोसॉफ़्ट के पास उसका क्लाउड, एज़्योर, है। एपल ने सटीक कृषि के लिए एपल वॉच विकसित की और किसानों के लिए रिज़ॉल्यूशन ऐप बनाया। ऐमेज़ॉन ने, ग्रामीण क्षेत्रों के लिए, ऐमेज़ॉन वेब सर्विसेज़ पर एक स्टोरेज (भंडारण) फ़ंक्शन बनाया है। फ़ेसबुक किसानों के लिए एक डिजिटल कंसल्टेंसी (परामर्श) ऐप बना रहा है। गूगल के पास संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन के लिए उसके द्वारा बनाए गए गूगल अर्थ का एक संस्थागत संस्करण है, आदि। इन सेवाओं के प्राथमिक उपभोक्ता वे हैं जो वस्तु निर्यात बाज़ार में बड़े कृषि उत्पादक हैं; जबकि, 50 करोड़ किसान परिवारों के पास इस नये तकनीकी पैकेज को इस्तेमाल करने के साधन नहीं हैं। हाँ, उनके पास उनके मोबाइल फ़ोन हैं, जिस पर वे अन्य किसानों द्वारा स्वतंत्र रूप से अपलोड की गई जानकारी के आधार पर एसएमएस या व्हाट्सएप के माध्यम से कृषि संबंधी सलाह प्राप्त कर सकते हैं। बड़े पैमाने पर डेटा निकलने की इस प्रक्रिया में भाग लेने के बदले में ज़्यादातर छोटे किसानों को उनके मोबाइल पर ये ऐप्लिकेशन मुफ़्तमें उपलब्ध है।

यहीं पर फ़िनटेक, बिग टेक और कृषि की बड़ी कम्पनियों के एकीकरण का मुद्दा सामने आता है। केन्या में, यूरोपीय टेलीफ़ोनी कम्पनी वोडाफ़ोन से संबंधित एक कम्पनी अरिफू एसएमएस और व्हाट्सएप के माध्यम से कृषि परामर्श प्रदान करती है। अरिफू की सिनजेंटा और डिगफ़ार्म के साथ साझेदारी है, जिससे सिनजेंटा को वहाँ के बीजों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद मिलती है, जबकि डिगफ़ार्म केन्याई किसानों को माइक्रोक्रेडिट प्रदान करता है। डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म की संरचना इस एकीकरण को संभव बनाती है: वे मामूलीसी फ़ीस लेते हैं, इनपुट बेचते हैं, और डिजिटल मुद्राओं के उपयोग की अनुमति देते हैं। लेकिन आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेन्स और एल्गोरिदम निगमों को मुफ़्त सलाह देने में सक्षम बनाने के लिए, छोटे किसानों की भूमि को उनके देशी बीजों की विविधता के साथ कैसे पढ़सकते होंगे? इस प्रकार की तकनीक बड़ेबड़े खेतों और मोनोकल्चर के लिए काम करती है। छोटे किसानों को ऐसे तकनीकी पैकेज बेचकर इसमें शामिल नहीं किया जा सकता, लेकिन इन प्लेटफ़ॉर्मों पर फ़िनटेक द्वारा उपलब्ध कराए गए माइक्रोक्रेडिट और डिजिटल मुद्राओं के माध्यम से उन्हें इस प्रक्रिया से जोड़ा जा सकता है। ऐसा करना संभव बनाने के लिए, अर्थव्यवस्था और कृषि पर सरकार के विनियमन को कम करना आवश्यक है।

यह वाक़या हाल ही में भारत में देखा गया, जब कृषि वस्तुओं के बाज़ार में सरकार के विनियमन को समाप्त करने वाले तीन क़ानूनों को रद्द करने की माँग करते हुए जनवरी और फ़रवरी 2021 के बीच दस लाख किसानों ने नयी दिल्ली को घेर लिया था। ये नये क़ानून, किसानों के उत्पाद के लिए उचित मूल्य का भुगतान करने की ज़िम्मेदारी से सरकार को आज़ाद करते हैं, बाज़ार को खोलने और नियंत्रण मुक्त करने की क़वायद करते हैं, जिससे बड़े ख़ुदरा और प्रौद्योगिकी निगम छोटे ख़ुदरा विक्रेताओं की जगह लेकर उन्हें ख़त्म कर सकेंगे। व्यवहारिक तौर पर, इसका मतलब यह है कि ये बड़े निगम इस क्षेत्र में उत्पादन और उपभोग को अपने हिसाब से व्यवस्थित करेंगे।

 

The Fragmentation of Work
, 2021

काम का बंटवारा, 2021.

 

प्रौद्योगिकी और काम

डेटा अर्थव्यवस्था और वित्तीयकरण के संयोजन ने काम की दुनिया को भी बदल दिया है। ऊबेराइजेशन‘, ‘काम का प्लेटफ़ॉर्माइजेशन‘, और गिग इकॉनमीकुछ ऐसे शब्द हैं जिनका इस्तेमाल बड़े प्रौद्योगिकी के युग में अनिश्चित काम का वर्णन करने के लिए किया जाता है, और ऊबर के और ऐप डिलिव्री ड्राईवरों द्वारा आयोजित हड़तालों के मद्देनज़र इस विषय पर किए जाने वाले अध्ययनों की प्रासंगिकता बढ़ गई है। इन सभी शब्दों से जो भी अर्थ उभरकर सामने आता है उसके बावजूद, यह ऐप्स स्वयं इस बदलाव का कारण नहीं हैंये किसी प्रकार का तकनीकी नियतिवाद नहीं हैबल्कि ये परिवर्तन उन प्रक्रियाओं के परिणाम हैं जो पहले से ही पिछले कई दशकों से काम कर रही हैं और तेज़ी से श्रमिकों को स्थायी रूप से अस्थिर श्रम संबंधों के सेवाप्रदाताओं में बदल रही हैं।

समाजशास्त्री लुडमिला एबिलियो (2019) के अनुसार, इन परिवर्तनों को परिधि देशों के अनुभव के माध्यम से समझने की आवश्यकता है। इस ऐतिहासिक रूप से ग़ैरबराबर दुनिया में, अधिग्रहण श्रम अधिकारों के माध्यम से काम की औपचारिकता स्थापित करना कभी भी आदर्श नहीं रहा है। इसके बजाय, हमारी दुनिया में जीवन औपचारिक और अनौपचारिक श्रम संबंधों, स्वतंत्र (फ़्रीलैन्स) कार्य और काम समझी जाने वाली गतिविधियों के बीच स्थायी असंतुलन पर निर्मित होता है। इस संदर्भ में अनिश्चितता या अनौपचारिकता की बात करने का क्या अर्थ है?

जिसे उबेराइजेशनकहा जाता है, उसे परिधि के देशों में जीवन के विशेष तौरतरीक़ों के वैश्वीकरण के रूप में समझा जा सकता। ये कम्पनियाँ समाज के अन्य स्तरों को बदलने के लिए आईं हैं, मध्यम वर्ग और श्वेत पुरुषों महिलाओं के जीवन को पुनर्गठित कर अंत में उत्तरी गोलार्ध की ओर अपना रास्ता बनाने के लिए आई हैं। ये पूँजी की परिधि के संरचनात्मक और ढाँचागत तत्व हैं, जहाँ यह वास्तविकता कभी अपवाद नहीं रही। लेकिन काम की अनौपचारिकता और अनिश्चितता, आज पहले से कहीं अधिक बड़ा नियम बन गया है।

हम वैश्वीकरण की नवउदारवादी प्रक्रिया को गहरा होते हुए देख रहे हैं; इस प्रक्रिया ने श्रम के नियंत्रण और प्रबंधन के रूपों को अनभिज्ञ बनाने के उद्देश्य से सब्सिडीएरी और आउटसोर्सिंग के माध्यम से उत्पादन का विकेंद्रीकरण किया है। धीरेधीरे, अंतर्राष्ट्रीय एकाधिकार वाली कम्पनियों ने अनौपचारिक कार्य को अपने हाथ में ले लिया है, जो अब काम को अपने हिसाब से व्यवस्थित, विनियमित और परिभाषित कर रही हैं। एल्गोरदम प्रबंधन की निष्पक्षदुनिया में, कार्यसमय, कार्यस्थल या कार्य उपकरण किसी तरह से परिभाषित नहीं हैं। सभी जोखिम और पूरी लागत श्रमिकों पर हस्तांतरित कर दिए गए हैं, जो कि अस्पष्ट लेकिन अनौपचारिक श्रमिकों के युक्तिसंगत प्रबंधन के लिए बेहद प्रभावी केंद्रीय तरीक़ों से नियंत्रित किए जाते हैं और आश्रित स्वप्रबंधनमें अपने स्वयं के सामानों, घरों, वाहनों, सिलाई मशीनों, जूतों का इस्तेमाल कर काम करते हैं।

लेकिन, पूर्ण ऑटोमेशन हासिल करने का सपना डिजिटल श्रम के योगदान के बिना संभव नहीं है; कहने का मतलब यह है कि आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेन्स और यहाँ तक ​​कि डेटा का उत्पादन करने के लिए छिपे हुए मानव श्रम (जैसे इन्फ़ॉर्मेशन की माइनिंग, क्लीनिंग, और फ़ॉर्मैटिंग) की आवश्यकता होती है। दक्षिणी गोलार्ध के हज़ारों लोग उत्तर की कम्पनियों के लिए मशीनों को उनका काम सिखाने का काम करते हैं, जिसके लिए उन्हें मामूलीसी मज़दूरी मिलती है।

लुडमिला एबिलियो (2019) के अनुसार, जस्टइनटाइम मॉडल की जीत हुई है और हम इसके पुख़्ता होने के दौर में जी रहे हैं। तकनीकी विकास से आज पूँजीपति श्रम (जो कि उन्हें हर समय उपलब्ध है) का प्रबंधन इस प्रकार कर सकते हैं कि केवल ज़रूरत पड़ने पर ही उसका इस्तेमाल किया जाए। शायद माल के वितरण की जगह पर श्रमिकों द्वारा अनुभव की जाने वाली युद्ध की स्थिति ही उन्हें समकालीन कार्य के तरीक़ों में शोषण, उत्पीड़न और अधीनता के ख़िलाफ़ विरोध खड़ा करने के कुछ सुझाव दे सकती है।

 

दो शक्तियों के बीच प्रौद्योगिकी

बड़ी प्रौद्योगिकी के उदय को समझने के लिए, हमें यह स्वीकार करना होगा कि वैज्ञानिक और तकनीकी श्रम वैश्विक स्तर पर संगठित होता है, और यह संगठन तकनीकी ज्ञान के उत्पादन को रणनीतिक रूप से प्रमुख (कोर) देशों में केंद्रित रखता है, जबकि परिधि क्षेत्र इनके द्वारा बनाई गई प्रौद्योगिकी के उपभोक्ताओं की भूमिका निभाते हैं। कोर और परिधि के देशों के बीच का अंतर बहुत बड़ा है: 2015 में, अनुसंधान और विकास में कुल सार्वजनिक और निजी वैश्विक ख़र्च में से उत्तरी अमेरिका, यूरोपीय संघ, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया ने 82% ख़र्च किया था, और पूरी दुनिया के लगभग सभी वैज्ञानिक और तकनीकी उत्पादनों पर सिर्फ़ 30 देशों का नियंत्रण है। उस वर्ष, अकेले अमेरिका ने अनुसंधान और विकास पर 502 बिलियन अमेरिकी डॉलर ख़र्च किए, जो कि उस साल के वैश्विक ख़र्च का 26% था।

चीन ने भी सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। इस क्षेत्र में बुनियादी ढाँचे, ज्ञान और उत्पादन का विकास करना, चीन द्वारा वैश्विक शक्ति के रूप में ख़ुद को मज़बूत करने हेतु किए गए प्रयासों में से एक है। इसके अलावा, चीन अंतर्राष्ट्रीय निगरानी और नियंत्रण प्रणालियों से अपनी संप्रभुता और डिफ़ेन्स की रक्षा करने की भी कोशिश कर रहा है, ताकि अपने घरेलू वेब ट्रैफ़िक को अन्य देशों द्वारा अवरुद्ध किए जाने से बचा सके। चीन की प्रगति के कारण अमेरिका और उसके सहयोगियों की प्रतिक्रियाएँ भी शुरू हो गई हैं, ख़ास तौर पर इसलिए क्योंकि 5जी के माध्यम से वैश्विक दूरसंचार के बुनियादी ढाँचे में आए बदलावों से आईसीटी उद्योग गुणात्मक रूप से बदलने के कगार पर है। यह नयी तकनीक 4जी की तुलना में बीस गुना तेज़ी से बड़ी मात्रा में डेटा को प्रसारित और प्राप्त करने की अनुमति देगी। यह मात्रा और गति उन क्षेत्रों को प्रभावित करेगी जो बहुत अधिक डेटा की खपत करते हैं या जिन्हें बहुत बड़ा डेटा स्टोर करने की आवश्यकता होती है, जैसे कि स्वायत्त वाहन या मनोरंजन भी, जिससे उच्च गुणवत्ता वाली फ़िल्में मोबाइल फ़ोन पर सेकंडों में उपलब्ध हो जाती हैं। इन बदलावों ने प्रौद्योगिकी कम्पनियों और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए सम्पूर्ण औद्योगिक प्रणाली में ख़ुद को पुन:निर्धारित करने के अवसर खोले हैं।

हालाँकि चीनी सरकार की क्षमता की बदौलत, देश बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक 5जी नेटवर्क लागू करने वाला पहला देश बना है, लेकिन अमेरिका के इंटेग्रेटेड सर्किट उत्पादों और प्रौद्योगिकियों पर देश की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष निर्भरता अमेरिका के लिए चीन की प्रगति को रोकना या उसे विलंबित करना संभव बना देती है। अत्याधुनिक सेमीकंडक्टरों और उन्हें बनाने वाली मशीनों के उत्पादन के साथ इन क्षेत्रों में अमेरिका की तकनीकी बढ़त और चीन की इन मुख्य घटकों पर निर्भरता, अमेरिका को वैश्विक उत्पादन नेटवर्क में हस्तक्षेप करने और आईसीटी में चीन के विकास को अवरुद्ध करने के चैनल बनाने की क्षमता प्रदान करती है। अत्यधिक वैश्वीकृत आईसीटी तंत्र की जटिलता और चीनी बाज़ार की केंद्रीयता ज़ाहिर तौर पर अमेरिका के पूँजीवादी हितों को खंडित करती है, और अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर एस्तेर माजरोविच के शब्दों में विषम और उलझी हुई प्रतिस्पर्धा और पूरकता की ज्यामितिको दर्शाती है जहाँ अमेरिकी सरकार की रुकावट की रणनीति का प्रतिरोध भी होता है, जहाँ पूरकता प्रमुख है चूँकि हुआवे ऐसी एकमात्र कम्पनी है जो बड़े पैमाने पर 5जी नेटवर्क को लागू करने के लिए बड़ी मात्रा में आवश्यक उपकरण प्रदान करती है, इसलिए इस कम्पनी पर प्रतिबंध लगानाजैसा कि अमेरिका ने सुझाव दिया हैउन देशों के लिए भी ख़तरनाक होगा जिनके पास स्वयं अपने बुनियादी ढाँचे का निर्माण करने और  दूरसंचार उपकरण बाज़ार में प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता नहीं है, जिसके कारण वे अन्य बाज़ारों में प्रतिस्पर्धा करने से वंचित रहेंगे और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेन्स के विकास के लिए आवश्यक विशिष्ट प्रकार के डेटा के उत्पादन की जगह पर पहुँच जाएँगे।

जैसा कि हम देख सकते हैं, वैश्विक दूरसंचार इन्फ़्रास्ट्रक्चर में आए बदलावों से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए सम्पूर्ण औद्योगिक प्रणाली में ख़ुद को पुन:निर्धारित करने के अवसर खुले हैं। पूँजीवाद के परिधि देशों, जिनके पास स्वयं अपना इन्फ़्रास्ट्रक्चर बनाने की क्षमता नहीं है, में 5जी के प्रसार से एक तरफ़ तकनीकी और वित्तीय निर्भरता बढ़ेगी, और साथहीसाथ अंतर्राष्ट्रीय निगरानी प्रणालियों का विस्तार भी होगा। परिधि में 5जी को लागू करने के लिए वित्तीय संसाधनों का प्रावधान एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ बड़ी शक्तियों और विकसित अर्थव्यवस्थाओं के बीच प्रतिस्पर्धा देखी जा सकती है। एक संप्रभु विकास परियोजना के बिना, परिधीय देश बड़ी शक्तियों या विकसित देशों के हितों में डिज़ाइन किए गए और उनके उद्देश्यों के अनुरूप ढले विकास मॉडल का पालन करने को मजबूर हो जाते हैं।

 

Genetic Patent, 2021.

जुड़ी हुई तारें, 2021.

 

प्रस्थान बिंदू

जन आंदोलनों और संगठनों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है डेटा अर्थव्यवस्था के बारे में फैलाई गई कहानियों को किनारे लगाना। डेटा अर्थव्यवस्था का विश्लेषण समकालीन पूँजीवाद के केंद्रीय घटक के रूप में किया जाना चाहिए जो अपने विस्तार के लिए सहायक पाँच बुनियादी स्थितियों (शर्तों) को मज़बूत करने की कोशिश कर रहा है। ये शर्तें हैं:

  1. मुक्त बाज़ार (डेटा के लिए): यदि एक तरफ़, उपयोगकर्ता डेटा एकत्र किया जाता है और स्वतंत्र रूप से उपयोग किया जाता है, तो प्रौद्योगिकी कम्पनियों के संदर्भ में इसका उलटा भी सच होना चाहिए। लेकिन जब बात प्रौद्योगिकी कम्पनियों पर आती है, तो उनके द्वार प्रयोग किया जाने वाले डेटा, मेट्रिक्स और एल्गोरिदम पर उनके मालिकाना हक़ हैं जिन्हें वो लॉक करके रखते हैं। जबकि, उपयोगकर्ता डेटा, जो अभूतपूर्व मात्रा में उत्पन्न हो रहा है, वस्तु और वित्तीय संपत्ति बन गया है, जिसका कॉर्पोरेट मुनाफ़े की गारंटी के लिए, बिना नियंत्रण, बेरोकटोक और डेटा उत्पन्न करने वाले उपयोगकर्ताओं के हितों की फ़िक्र किए बिना सरक्यूलेट होना ज़रूरी हैं।
  1. आर्थिक वित्तीयकरण: डेटा पूँजीवादी कम्पनियाँ अपने विकास और संघटन के लिए सट्टा पूँजी के प्रवाह पर निर्भर करती हैं। ये कम्पनियाँ, पूँजी को उत्पादक क्षेत्रों से केवल सट्टाआधारित क्षेत्रों में स्थानांतरित करवाती हैं। इसके कारण उत्पादक क्षेत्रों पर शोषण और अनिश्चितता बढ़ाने का दबाव बढ़ता जाता है।
  1. अधिकारों का वस्तुओं में परिवर्तन: बड़ी प्रौद्योगिकी और इसके अन्य घटकों द्वारा पेश किए गए तकनीकी समाधानसार्वजनिक सेवाओं के क्षेत्र में भी प्रवेश कर चुके हैं, जहाँ सरकारों ने बड़ी प्रौद्योगिकी कम्पनियों के साथ कई मिलियन डॉलर के अनुबंध किए हैं। निपुणता और परिष्कार के विमर्श के तहत शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन जैसे अधिकारों को वस्तुओं में बदल दिया गया है। सार्वजनिक जीवन का एक हिस्सा उन एल्गोरिदम और हितों द्वारा संचालित किया जा रहा है जो आबादी की पहुँच से बाहर हैं, एक ऐसे समय में जब, बड़ी मात्रा में धन प्रौद्योगिकी कम्पनियों को हस्तांतरित किया जाता है।
  1. सार्वजनिक जगहों का अभाव: समाज का ऐसा नज़रिया बनाया जा रहा है जहाँ समाज व्यक्तिगत संतुष्टिपर आधारित खंडित इच्छाओं वाले स्वकेंद्रित व्यक्तियों का एक समूह भर है। विभिन्न मतों और वस्तुनिष्ठ आँकड़ों के आधार पर सार्वजनिक बहस को व्यस्त रहने की ज़रूरत के नाम पर दरकिनार किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य है ज्ञान के सामूहिक और सामान्य निर्माण के बजाय प्रतिक्रियाएँ प्रदान करना और व्यक्तिगत निश्चितताओं की पुष्टि करना।
  1. संसाधनों, उत्पादक शृंखलाओं और बुनियादी ढाँचे का संकेंद्रण: डेटा अर्थव्यवस्था को लाभप्रदता के लिए उच्च स्तर के केंद्रीकरण की आवश्यकता होती है। मुट्ठी भर निगमों के बीच संसाधनों और शक्ति का केंद्रीकरण आज पूँजीवाद की एक स्पष्ट आवश्यकता है: भले ही यह सहायक कम्पनियों और विभिन्न उद्यमों, कम्पनियों और सेवाओं के माध्यम से संचालित हो। इन निगमों की केंद्रित शक्ति राजनीतिक, आर्थिक, पर्यावरण और नैतिक प्रश्नों पर किसी भी लोकतांत्रिक और लोकसम्मत बहस को ख़त्म कर देती है।

ये विशेषताएँ तथाकथित डेटा अर्थव्यवस्था की ख़ास विशेषताएँ नहीं हैं; बल्कि, ये व्यापक पूँजीवादी व्यवस्था का अभिन्न अंग हैं। प्रौद्योगिकी का विकास उस सामाजिक संगठन से स्वायत्त रूप से नहीं होता है जिसमें वह सन्निहित होती है। इस संबंध को समझने का एक प्रमुख तत्व है पूँजीवाद की एक मूलभूत विशेषता को याद रखना: उत्पादन के साधनों का निजी स्वामित्व। यदि प्रौद्योगिकी एक सार्वजनिक संसाधन होती और कुछ लोगों की पूँजी के हितों को आगे बढ़ाने के लिए उपयोग की जाने वाली संपत्ति नहीं होती, तो इससे हम सभी मनुष्यों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त उत्पादन भी सुनिश्चित कर पाते और काम के घंटे काफ़ी कम करके ख़ुद को बेहतर मनुष्य के रूप में विकसित करने का ख़ाली समय निकाल पाते।

एक बार जब हम यह समझ जाते हैं कि डेटा अर्थव्यवस्था कैसे पूँजीवाद का पुन:उत्पादन कर उसे विस्तारित करती है, तो विकल्प बनाने की माँग करने वाले जन आंदोलनों और संगठनों के भीतर एक नयी चुनौती उत्पन्न होती है। यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने संगठनों का विश्लेषण करें और इनमें से कुछ चुनौतियों पर विचार करें। तकनीकी संसाधनों और सूचनाओं तक पहुँच अपने आप ही असमानता को कम नहीं कर देती। वास्तव में, ये उपलब्धता असमानता को बढ़ा भी सकती है। इन बुद्धिमानउपकरणों पर आधारित प्रत्येक क्रिया या नीति, बुद्धिमान क्रिया या नीति नहीं होती। हमें हमेशा यह याद रखना चाहिए कि प्रौद्योगिकी अंतर्विरोधों की वाहक होती है, जिसमें मुक्ति प्रदान करने और अलगाव पैदा करने दोनों की क्षमताएँ होती हैं, और वर्ग संघर्ष के आधार पर बने समाज में यह हमेशा विवादास्पद रहेगी। श्रमिकों के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग वास्तव में प्रभावी होने के लिए ज़रूरी है कि यह उपयोग सामरिक और रणनीतिक वर्ग परियोजना से जोड़ा जाए। और हमें कारणों और परिणामों को लेकर कभी भी अपने विश्लेषणों में या अपने व्यवहार में अस्पष्ट नहीं होना चाहिए। इलेक्ट्रॉनिक निगरानी (चाहे वह व्यक्ति के स्तर पर हो या सामूहिक स्तर पर), फ़ेक न्यूज़, द्वेषपूर्ण भाषण, लोकतंत्रविरोधी गतिविधियाँ, और ऐप्लिकेशन्स के नाम पर थोपी जा रही अनिश्चितता एक गहरे आर्थिक तंत्र की अभिव्यक्ति हैं। ये बहस यह समझने के लिए ज़रूरी है कि तत्काल, मध्यम या दीर्घकालिक लक्ष्यों के संदर्भ में हमारी ऊर्जा कहाँ और कैसे ख़र्च होनी चाहिए।

हम अपने आप को टेक्नोफ़ोबिक (टेक्नॉलजी से डरने वाले) नहीं कह सकते, और ही हम प्रौद्योगिकियों के महत्व और संघर्ष निर्माण में उनकी क्षमता को नकार सकते हैं। लेकिन, हम ये भी नहीं मान सकते कि प्रौद्योगिकी अपने आप संगठित मज़दूर वर्ग के लिए प्रगति का रास्ता खोलेगी। तकनीकी विकास उस सामाजिक संगठन से अलग नहीं होता जिसमें इसे विकसित किया गया होता है; वर्ग संघर्ष वैज्ञानिक ज्ञान के विनियोग और व्यवहार्य वैकल्पिक प्रौद्योगिकियों के निर्माण में हमारा प्रकाशस्तंभ है। डिजिटल प्रौद्योगिकियों और पूँजीवाद के बारे में बहस एक विशिष्ट बहस नहीं हो सकती, जो कि इस विषय में रुचि रखने वाले व्यक्तियों या छोटे समूहों का आइडिया है। अर्थव्यवस्था, राजनीति, भूराजनीति, शिक्षा, संस्कृति, संगठन, लामबंदी और संघर्ष पर इस मुद्दे के प्रभाव को देखते हुए, सभी संगठनों द्वारा इसके सभी आयामों पर बहस की जानी चाहिए। केवल एक व्यापक, सामूहिक और भागीदारीपूर्ण बहस के ज़रिये ही हम समाजवादी दृष्टिकोण से तकनीकी समाधानऔर निपुणताकी शर्तों को फिर से परिभाषित कर सकेंगे।

 

Smoke Screen, 2021

धूएँ की परत, 2021.

 

Endnotes

[1] Grain, ‘Controle digital’, 2021.

[2] For more information, follow the weekly ‘News on China’ summary from the Dongsheng (Eastern Voices) Collective: https://dongshengnews.org/en/

[3] Schmidlehne, ‘Blockchain e contratos inteligentes’, 2020.

[4] Prashad, ‘Bolivia’s lithium’, 2019.

[5] Grain, ‘Controle digital’, 2021.

[6] Tricontinental, The Farmers’ Revolt, 2021.

[7] DigiLabour, ‘Uma Internet alternativa’, 2019a; DigiLabour, ‘A Invisibilidade do Trabalho de Dados’, 2019b.

[8] Moura, ‘Ensayo sobre la ceguera’, 2018.

[9] Tricontinental, Twilight, 2021.

[10] Majerowicz, ‘A China e a Economia Política Internacional’, 2020.

[11] Majerowicz, ‘A China e a Economia Política Internacional’, 2020.

[12] Majerowicz, ‘A China e a Economia Política Internacional’, 2020.

[13] Majerowicz, ‘A China e a Economia Política Internacional’, 2020.

 

Bibliography

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DigiLabour. ‘A Invisibilidade do Trabalho de Dados: entrevista com Jérôme Denis’, DigiLabour, March 2019b. https://digilabour.com.br/2019/03/27/o-trabalho-invisivel-de-dados-entrevista-com-jerome-denis/

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Majerowicz, E. ‘China and the International Political Economy of Information and Communication Technologies’. Geosul 35, no. 77 (December 2020): 73-102. https://periodicos.ufsc.br/index.php/geosul/article/view/77503.

Moura, B. D. ‘Ensayo sobre la ceguera: la industria 4.0 en América Latina’. Hemisferio Izquierdo, 20 June 2018. https://www.hemisferioizquierdo.uy/single-post/2018/06/17/ensayo-sobre-la-ceguera-la-industria-40-en-am%C3%A9rica-latina.

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Schmidlehne, Michael F. ‘Blockchain e contratos inteligentes: as mais recentes tentativas do capital de se apropriar da vida na Terra’. World Rainforest Movement, no. 247 (January 2020). https://wrm.org.uy/pt/artigos-do-boletim-do-wrm/secao1/blockchain-e-contratos-inteligentes-as-mais-recentes-tentativas-do-capital-de-se-apropriar-da-vida-na-terra/.

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Tricontinental: Institute for Social Research. The Farmers’ Revolt in India. 14 June 2021. https://thetricontinental.org/dossier-41-india-agriculture/.

Tricontinental: Institute for Social Research. Twilight: The Erosion of US Control and the Multipolar Future. 4 January 2021. https://thetricontinental.org/dossier-36-twilight/.