‘ख़ून की राजनीति’ दक्षिण अफ़्रीका में राजनीतिक दमन
अगस्त 4, 2020
दक्षिण अफ्रीका में, जमीनी स्तर के कार्यकर्ता राजनीतिक हत्याओं और सरकार द्वारा किए जा रहे दमन का जिक्र करते हुए ‘खून की राजनीति’ की बात करते हैं। इस डोजियर से पता चलता है कि जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं और ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं के प्रति राज्य का दमनकारी रवैय्या रंगभेद के समय से शुरु होकर अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस (एएनसी) के शासनकाल में भी लगातार जारी रहा है। लेकिन कार्यकर्ता हलकों के बाहर इस क्रूर दमन को लगातार नकारा गया है।
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- समझदार लोग जानते हैं कि युद्ध जीतना हारने से बेहतर नहीं होता: 38वाँ न्यूज़लेटर (2020)।
- एक बाग़ नहीं, एक खेत नहीं, हम सारी दुनिया माँगेंगे: 37वाँ न्यूज़लेटर (2020)।
- महामारी के समय की छः जटिलताएँ: 36 वाँ न्यूज़लेटर (2020)।
- जनता के संघर्ष से ही देश को आज़ादी मिलेगी: 35 वाँ न्यूज़लेटर (2020)।
- लोगों से कहना कि संघर्ष जारी रहना चाहिए: 34वाँ न्यूज़लेटर (2020)।
- देर हो चुकी है, लेकिन यह भोर है, अगर हम थोड़ा ज़ोर दें तो: 33 वाँ न्यूज़लेटर (2020)
- हमें आत्मसमर्पण के लिए आसमान नहीं छूना है: 32वाँ न्यूज़लेटर (2020)।
- मानवता मौत के अपराधों का प्रतिरोध करती है: 31वाँ न्यूज़लेटर (2020)
- एक दुनिया में दो दुनिया: 30वाँ न्यूज़लेटर (2020)
- दिल की हर धड़कन हमारा गीत होना चाहिए, और ख़ून की लालिमा हमारा परचम: 29वाँ न्यूज़लेटर (2020)
- यहाँ मौत नहीं, भविष्य भयावह है: 28वाँ न्यूज़लेटर (2020).
- हम फिलिस्तीन में हैं, हबीबी, और फिलिस्तीन स्वर्ग है: 27 वां न्यूज़लेटर (2020)
- नरेन्द्र मोदी और जायर बोलसोनारो की ख़तरनाक अक्षमता: 26वाँ न्यूज़लेटर (2020)
- कोविड-19 के बाद दक्षिणी गोलार्ध के देशों के लिए दस एजेंडा: 25वाँ न्यूज़लेटर (2020)
- जीना कोई मखौल नहीं है: 24वाँ न्यूज़लेटर (2020)
- राक्षस अजेय नहीं होते: 23वाँ न्यूज़लेटर (2020)
- यदि आप मानवजाति का दर्द महसूस नहीं करते, तो आप मानव होना भूल गए हैं: 22वाँ न्यूज़लेटर (2020)
- युद्ध की तैयारियों के ख़िलाफ़ बोफ़िशा अपील: 21वाँ न्यूज़लेटर (2020)
- भूख से तबाह होती दुनिया: 20वाँ न्यूज़लेटर (2020)
- समस्या के समाधान के लिए क्रांति की दरकार होती है: 19 वाँ न्यूज़लेटर (2020)
- प्लेग के देवता की विदाई: 18 वाँ न्यूज़लेटर (2020)
- समाजवाद महामारी को हराएगा या फिर महामारी समाजवाद को: 17वाँ न्यूज़लेटर (2020)
- ऐसा देश हो जिसमें कोई रह सके, खेती कर सके, प्यार कर सके और गाना गा सके, बिना इसके कोई कैसे ज़िंदा रह सकता है : 16 वाँ न्यूज़लेटर (2020)
- महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा क्वारंटाइन की परवाह नहीं करता: 15 वाँ न्यूज़लेटर (2020)
- दुनिया के मज़दूर-वर्ग पर कोरोना का असर: 14 वां समाचार-पत्र (2020)
- हम सामान्य परिस्थिति में वापस नहीं जाएँगे, क्योंकि सामान्य परिस्थिति ही असल समस्या थी: 13 वां समाचार-पत्र (2020)
- लहूलुहान दुनिया को नर्स और डॉक्टर प्रेरित कर रहे हैं: 12 वाँ न्यूज़लेटर (2020)
- हम लड़ेंगे साथी, जब तक लड़ने की ज़रूरत बाक़ी है: 11वां समाचार पत्र 2020
- संघर्षरत महिलाओं की विरासत: दसवाँ न्यूज़लेटर (2020)