तकनीकी विकास में दुनिया की अगुआई करता चीन: नौवाँ न्यूज़लेटर (2025)
क्या अमेरिका द्वारा ग्रीनलैंड, यूक्रेन और रूस को लेकर चली जा रही भू-राजनीतिक चालें महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी में चीन की तेज़ प्रगति को रोक पायेंगी?

मेरा भविष्य महज़ सपना नहीं 05, त्सो फे (चीन), 2006.
प्यारे दोस्तो,
ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन।
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में लौटने के पहले महीने में ही ग्रीनलैंड पर कब्ज़ा करने और यूक्रेन के लिए शांति समझौता कराने मंशा जताई, जिसमें यूक्रेनी खनिजों और धातुओं तक पहुंच शामिल होगी। गौरतलब है कि ग्रीनलैंड में दुनिया के कुछ बहुत दुर्लभ खनिजों के भंडार हैं जैसे डिस्प्रोसियम, नियोडिमियम, स्कैंडियम और इट्रीयम (दुनिया में सत्रह ऐसे दुर्लभ खनिज हैं जो किसी भी तरह के तकनीकी विकास के लिए बेहद ज़रूरी हैं)। इस वजह से ग्रीनलैंड पहले ही विवाद से घिरा हुआ है। ग्रीनलैंड डेनमार्क का हिस्सा है इसलिए यूरोपीय संघ (ईयू) के नियमों से बँधा है। 2011 में ईयू ने आवश्यक कच्चे माल की एक लिस्ट जारी की जिसमें ऊपर दिए गए दुर्लभ खनिज भी शामिल हैं। इसके बाद 2023 में ईयू ने क्रिटिकल रॉ मटीरीयलस एक्ट पारित किया जिसमें इन ज़रूरी खनिजों और धातुओं के घरेलू उत्पादन और महाद्वीप में इनके आयात पर बल दिया गया। यूक्रेन में धरती की दुर्लभ धातुओं के भंडार हैं (ऐपटाइट से लेकर जिरकोनियम तक) इसके साथ ही लिथियम और टाइटेनियम के भी। ट्रम्प की माँग है कि कम-से-कम 500 अरब डॉलर के मूल्य तक के ये दुर्लभ भंडार यूक्रेन को अमेरिका को देने चाहिए, युद्ध में यूक्रेन की मदद करने के एवज में। फ़रवरी में ट्रम्प ने पत्रकारों से कहा ‘मैं दुनिया की दुर्लभ चीज़ों को ज़मानत के तौर पर चाहता हूँ’। ट्रम्प ने किसी फ़ैंटेसी उपन्यास के पात्र की तरह यह बात कही।
फ़िलहाल अमेरिका और यूरोप दोनों ही ये ज़रूरी पर दुर्लभ खनिज चीन से आयात करते हैं। अमेरिका ने चीन के तकनीकी क्षेत्र पर प्रतिबंध और शुल्क का शिकंजा कसना शुरू कर दिया जिसके बदले दिसंबर 2024 में चीन की सरकार ने ऐन्टिमनी, गैलियम और जर्मेनियम के साथ-साथ सुपरहार्ड पदार्थों (वे पदार्थ जो 40 gigapascals या GPa से ज़्यादा कठोर होते हैं) के अमेरिका को निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के शासनकाल में अमेरिका ने आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेन्स (एआई) और चिप निर्माण यंत्रों के क्षेत्र में चीन की प्रगति को रोकने की कोशिश की। उन्होंने चीन के हाई-बैंडविड्थ मेमरी (HBM) चिप आयात को रोकने के प्रयास किए। सप्लाई चेन को नियंत्रित करने की चीन की क्षमता पश्चिम के लिए संकट पैदा कर रही है इसीलिए ट्रम्प ने ग्रीनलैंड और यूक्रेन के दुर्लभ खनिजों के भंडार के संदर्भ में बयान दिए।

एक वीरान शहर की डायरी नम्बर 2, लिओ शिओदोएन (चीन), 2015.
अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से यूक्रेन में युद्धविराम लागू करवाने की इच्छा स्वाभाविक ही है। अमेरिका को इस युद्ध से कुछ फ़ायदा नहीं हो रहा और यह केवल यूरोप के अभिजात वर्ग के लिए नाक का सवाल बन गया है। अगर ट्रम्प फिर से रूस से रिश्ते ठीक करने की कोशिश करें तो इसका फ़ायदा उठाकर वे यूक्रेन के खनिज और धातुओं के साथ-साथ ग्रीनलैंड के संसाधनों (ग्रीनलैंड को सीधे हथियाने की बजाय) पर नियंत्रण की माँग कर सकते हैं।
लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि अगर रूस के साथ अमेरिका अपने संबंध फिर से ठीक कर पाने में सफल होता है तो उसकी कोशिश रहेगी कि रूस और चीन के रिश्ते कमज़ोर हो जाएँ। यह किसिंजर रणनीति से उलट है: पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हेनरी किसिंजर ने 60 के दशक के अंत में चीन से दोस्ती कर सोवियत संघ को अलग-थलग करने की नीति अपनायी थी, जबकि ट्रम्प चीन को अकेला करने के लिए रूस से उसके रिश्ते तोड़ने की नीति अपनाने की कोशिश में हैं। 4 फ़रवरी 2022 को चीन और रूस ने ‘नो लिमिट्स’ (असीम) दोस्ती के समझौते पर हस्ताक्षर किए; बीस दिन बाद रूस के सैनिक यूक्रेन में घुसे और इस क़दम से पूरी तरह सहमति न रखने के बावजूद चीन ने पूरे युद्ध के दौरान रूस का साथ दिया। इसलिए लगता नहीं कि रूस ट्रम्प की रणनीति में फँसेगा। हालाँकि रूस के अभिजात वर्ग के कुछ लोग ज़रूर चाहते हैं कि पश्चिम से मेलमिलाप बढ़ाया जाए।
अगर यूक्रेन में युद्धविराम होता है तो अमेरिका का इसमें कोई नुक़सान नहीं होगा। वह विश्व की अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण चाहता है और इसमें रूस उसके लिए ख़तरा नहीं है। रूस तो तेल, प्राकृतिक गैस और अन्य खनिज व धातु जैसी चीज़ों का बस एक निर्यातक है। अमेरिका को पता है कि रूस अपने परमाणु हथियारों से उस पर हमला नहीं करेगा क्योंकि यह आत्महत्या करने जैसा होगा। उसे पता है कि रूस बस इतना चाहता है कि उसके पड़ोसी देशों में तैनात परमाणु हथियारों से उसके शहरों की सुरक्षा की गारंटी उसे दी जाए।
अमेरिका अपना रसूख़ बनाए रखने के रास्ते में चीन को सबसे बड़ी चुनौती के तौर पर देखता है। ट्रम्प ने जब शुल्क बढ़ाने और संभवतः हथियाने के अपने मंसूबों की घोषणा की उसके एक हफ़्ते के अंदर चीन की एक छोटी सी कंपनी ने DeepSeek नाम के एक ओपन-सोर्स मशीन लर्निंग प्लैटफ़ॉर्म (एक क़िस्म का एआई) दुनिया के सामने पेश किया जिसने अमेरिका में स्थित ChatGPT जैसे अन्य प्लेटफ़ॉर्म को तकनीकी और गणित से जुड़े कामों जैसी कई चीज़ों में पीछे छोड़ दिया। इसके साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म TikTok पर प्रतिबंध की आशंका के बीच अमेरिका में इसे इस्तेमाल करने वाले लोगों ने इसकी जगह कोई पश्चिमी विकल्प न चुनकर चीन के Xiaohongshu (या रेड नोट) को चुना। Physics World में छपा कि चीन के फ़्यूज़न यंत्र (बिजली पैदा करने के लिए परमाणु संलयन से उत्पन्न ऊर्जा का प्रयोग करने वाला यंत्र) Experimental Advanced Superconducting Tokamak (EAST) ने ‘1,066 सेकंड के लिए एक स्थिर हाई-कन्फ़ाइन्मेंट प्लाज़्मा उत्पन्न किया, इसने 2023 का अपना 403 सेकंड का पिछला रिकॉर्ड तोड़ दिया’। यह आख़िरी घटना दरअसल फ़्यूज़न ऊर्जा प्लांट की संभावना की दिशा में बढ़ा एक कदम है। इससे कम कार्बन पैदा करने और काफ़ी हद तक बिना रेडियोएक्टिव कचरा पैदा करने वाली अंतहीन ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है।

हूलाहूप से खेलता एक आदमी, यू हों (चीन), 1992.
यह प्रगति आकस्मिक नहीं है, बल्कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में चल रही वहाँ की सरकार की दूरदर्शी नीति का नतीजा है।1978 के सुधार के दौर से ही चीन इस बारे में बहुत सतर्क रहा कि वह विदेशी पूँजी और उद्योग को तभी देश में आने देगा जब इनसे उसकी अपनी अर्थव्यवस्था को फ़ायदा हो। और फ़ायदा हुआ अपना बाज़ार खोलने के बदले तकनीक और विज्ञान हासिल करने के सौदे के रूप में। वैश्विक उत्तर की कंपनियाँ बेहतर गुणवत्ता वाले श्रमिक चाहती थीं, लेकिन कम वेतन पर, इसलिए उन्होंने यह सौदा स्वीकार कर लिया। चीन की सरकार ने अपने उच्च शिक्षा के संस्थानों में पैसा लगाया, निजी क्षेत्र को आविष्कार के लिए प्रोत्साहित किया और निर्यात से मिलने वाले अतिरिक्त मुनाफ़े का इंफ़्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए इस्तेमाल किया। योजना के तहत की गई प्रगति ने चीन के औद्योगिक क्षेत्र को अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने का मौक़ा दिया। चीन अब कठिन श्रम या पुरानी तकनीक के भरोसे ही उत्पादन करते रहने के लिए मजबूर नहीं है।
सितंबर 2023 में राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने हेलोंगचियांग प्रांत के दौरे के दौरान ‘नई गुणवत्ता वाली उत्पादन शक्तियों’ का ज़िक़्र किया। तब तक यह विचार चीन भर की नई तरह की फ़ैक्टरियों में साकार हो चुका था (इन्हें ‘अंधेरी’ या पूरी तरह से स्वचालित फ़ैक्टरी कहा जाता है)। इसके बाद मार्च 2024 में दो सत्रों की बैठक में यह शब्दावली- ‘नई गुणवत्ता वाली उत्पादन शक्तियाँ’ सरकारी काम की रिपोर्ट में शामिल हो गयी। जुलाई 2024 में तीसरे पूर्ण अधिवेशन में ‘क्रांतिकारी तकनीकी आविष्कारों, उत्पादन शक्तियों को नए तरह से आवंटित करने और औद्योगिक क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन करने और उद्योगों को बेहतर’ बनाने पर ज़ोर देकर इस विचार को और सुदृढ़ किया गया।

सिरीज 2 न.10, फ़ांग लीचुन (चीन), 1992-1993.
ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने 2001 में Australian Strategic Policy Institute स्थापित किया जिसे आंशिक तौर से ऑस्ट्रेलिया की सेना द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती है। इस संस्थान ने क्रिटिकल टेक्नॉलजी ट्रैकर बनाया है जो चौंसठ बेहद अहम तकनीकों पर करीबी नज़र रखता है। अगस्त 2024 में आई इसकी नवीनतम रिपोर्ट में यह आकलन किया गया है कि इक्कीस सालों में किन देशों ने ज़रूरी तकनीकों के विकास की अगुआई की है। 2003 से 2007 के बीच अमेरिका चौंसठ में से साठ तकनीकों के विकास में अव्वल रहा, जबकि चीन ने सिर्फ़ तीन। लेकिन 2019 से 2023 के बीच अमेरिका ने सिर्फ़ सात तकनीकों का विकास किया जबकि चीन ने चौंसठ में से सत्तावन का। चीन विभिन्न तरह की तकनीकों के विकास की अगुआई कर रहा है जैसे सेमीकंडक्टर चिप निर्माण, गृत्वाकर्षण सेन्सर, उच्च गुणवत्ता वाले कम्प्यूटर का विकास, क्वांटम सेन्सर और अंतरिक्षयान लौन्च करने की तकनीक। अमेरिका परमाणु घड़ियाँ, अनुवांशिक इंजीनियरिंग, न्यूक्लीयर मेडिसिन और रेडिओथेरेपी, छोटी सैटेलाइट, वैक्सीन इत्यादि क्षेत्रों में आगे है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘चीन का बड़े पैमाने पर निवेश और दशकों की सोची-समझी योजना का फल अब दिखाई दे रहा है’। चीन का पूरा समाज नई खोज और आविष्कारों के लिए प्रतिबद्ध है। शंघाई के लिनकांग न्यू एरिया में स्थानीय प्रशासन ने ऐसी नीतियाँ तैयार कीं जिनसे उच्च स्तरीय कम्प्यूटिंग शक्ति वाला औद्योगिक क्षेत्र बनाया जा सके जो अब तक स्थापित कर दी गई नई गुणवत्ता वाली उत्पादक शक्तियों का इस्तेमाल कर औद्योगिक खोज और आविष्कारों में तेज़ी ला सके।
दूसरी ओर ट्रम्प प्रशासन ने अमेरिका में विज्ञान के लिए दी जा रही राशि में कटौती की घोषणा कर दी है। चैथम हाउस का एक लेख जनवरी महीने के अंत में प्रकाशित हुआ जिसका शीर्षक था ‘The World Should Take the Prospect of Chinese Tech Dominance Seriously, and Start Preparing Now’ (दुनिया को तकनीक के क्षेत्र में चीन के वर्चस्व की संभावना को गंभीरता से लेना चाहिए और इसके लिए अभी से तैयारी करनी चाहिए)। दिलचस्प है कि यह शीर्षक सीधे-सीधे अमेरिका का ज़िक़्र न करके ‘दुनिया’ शब्द का प्रयोग करता है क्योंकि लेखक को चिंता इस बात की है कि ‘अत्यधिक चरम स्थिति यह हो सकती है कि चीन अमेरिका को बहुत जल्द पीछे धकेल दे’।

क्रांतिकारी परिवार, ल्यू वे (चीन), 1992.
छिंग साम्राज्य के अंतिम दौर के कवि और राजनयिक हुआंग ज़ुन्शिएन (1848-1905) 1891 में एलेवेटर के ज़रिए आइफ़ल टावर पर चढ़े (जो बस दो साल पहले ही खुला था)। हुआंग ने ऊपर से जो अद्भुत दृश्य देखा, ‘नीचे लाखों एकड़ तक फैले दुनिया की सबसे उर्वर ज़मीन देखी’ उस पर ‘आइफ़ल टावर पर चढ़ना’ (登巴黎铁塔) नाम से एक कविता लिखी। हालाँकि वे उस तकनीक से ज़्यादा प्रभावित थे जिसके ज़रिए वे इतना ऊपर चढ़ पाए और नीचे के दृश्य से कम:
सारा यूरोप एक युद्धभूमि है;
यहाँ के लोग युद्धप्रेमी हैं और आसानी से समझौता नहीं करते।
आज ये महाद्वीप छह महान राजाओं में आपस में बँटा हुआ है,
हरेक ख़ुद को दुनिया का सबसे ताकतवर राजा बताता है।
ये सब कुएँ के मेंढक सरीखे हैं
जिन्होंने अपना समय जीत और हार में गँवा दिया।
आज भी कुछ ख़ास बदला नहीं है बस युद्ध की भाषा बदल गयी है: शुल्क, बेबस करने के लिए की जा रही एकतरफ़ा कार्रवाई, मध्य दूरी के परमाणु हथियार और आयरन डोम।
वैश्विक महामारी के दौरान भारत जैसे देशों का विचार था ‘सहयोग, न कि विरोध’। कितना अच्छा हो अगर अमेरिका चीन के विकास को पीछे धकेलने की बजाय इसके साथ सहयोग करे ताकि दुनिया की भलाई के काम किए जा सकें।
सस्नेह,
विजय