इकत्तीस देशों में हुए एक हालिया सर्वे में पाया गया कि 45% लोग मानसिक स्वास्थ्य को ‘सबसे बड़ी स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या’ मानते हैं। जबकि औसतन देश अपने स्वास्थ्य बजट का केवल 2% ही मानसिक स्वास्थ्य पर खर्च करते हैं। मानसिक स्वास्थ्य संकटों को सुलझाना है तो हमें स्वीकार करना होगा कि ये समस्याएँ केवल जैविक तत्वों से प्रभावित नहीं होतीं, बल्कि सामाजिक संरचनाओं में पनपती और बढ़ती हैं। खंडित मनुष्यता को स्वस्थ करने के लिए, हमें अपने समाज का पुनर्निर्माण करना होगा।