महामारी के बढ़ते वैश्विक संकट में जनहित में काम करें…
English Español Português Français
इंटरनेशनल असेंबली ऑफ पीपल्स और ट्राईकांटिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने SARS-CoV-2 या COVID19 को वैश्विक महामारी घोषित कर दिया है। दुनिया के अधिकतर देश/क्षेत्र इसकी चपेट में आ चुके हैं, और बाक़ी देशों में इसका क़हर प्रत्याशित है। ये निस्संदेह एक ऐसा संघर्ष है जिसमें पूरी दुनिया को लामबंद करने की ज़रूरत है। एक ऐसा संघर्ष जिसे मानव ज़िंदगी को मुनाफ़े से ऊपर रख कर ही लड़ा जा सकता है। चीन ने साबित किया है कि इस संघर्ष को हम तभी जीत पाएँगे जब सब लोग एकजुट रहेंगे और अनुशासन बनाए रखेंगे, जब सरकारें अपने काम से लोगों का सम्मान पाएँगी, और जब पूरी दुनिया आपसी समन्वय बना कर काम करेगी।
वैश्विक ऋण 2500 ख़रब डॉलर है, और कॉर्पोरेट ऋण पहले से ही काफी ज़्यादा है। दूसरी ओर, खरबों डॉलर शेयर बाजारों और टैक्स स्वर्गों में पड़े हैं। आर्थिक गतिविधियां कम होने के साथ बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ राहत-पैकेज पाने की जुगत करेंगी; लेकिन इस समय पर बहुमूल्य मानव संसाधनों का इस तरह का उपयोग ठीक नहीं होगा। ये केवल सूझ-बूझ की कमी ही है कि, इस विकट समय में भी वित्तीय बाजार खुले हैं। आज जब शेयर बाजारों के हालात आर्थिक हालातों के ‘संकेतक’ बन चुके हैं; ऐसे में हैंग सेंग से लेकर वॉल स्ट्रीट तक के बाजारों में शेयरों के मूल्य में आई गिरावट पूरी दुनिया में व्याप्त सामाजिक चिंता को और तीव्र करने का ही एक तरीका है।
दुनिया के अधिकतर हिस्से -ख़ासकर यूरोप और उत्तरी अमेरिका- अब लंबे समय के लिए कोरांटीन कर दिए गए हैं। अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में भी लगातार सब कुछ बंद किया जा रहा है। आर्थिक गतिविधियां धीरे-धीरे ठप हो रही हैं। हो चुके/ होने वाले घाटे का सही-सही अनुमान लगाना मुश्किल है; प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संस्थान भी हर दिन अपने आँकड़ों में सुधार कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, 4 मार्च को जारी किए गए UNCTAD के एक अध्ययन के अनुसार, केवल चीन के विनिर्माण कार्य बंद हो जाने से ही वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला अव्यवस्थित हो जाएगी और निर्यात में 50 अरब डॉलर की गिरावट आएगी। यह अनुमानित नुकसान का केवल एक हिस्सा है; कुल नुकसान अभी बेहिसाब है।
अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने देशों को आर्थिक आपदा से बचाने के लिए दस खरब डॉलर इस्तेमाल करने का वादा किया है। लगभग बीस देश IMF को सहायता के लिए अनुरोध भी कर चके हैं; ईरान (जो पिछले तीन दशकों से IMF से दूर रहा था) ने भी IMF से मदद माँगी है। लेकिन इसी सब में IMF ने वेनेजुएला की सरकार द्वारा किए गए ऋण-अनुरोध को ख़ारिज कर दिया है। IMF द्वारा वेनेजुएला की सरकार को स्वीकार नहीं करने के बहाने, वेनेजुएला के लोगों की मदद करने से इंकार करना बेहद शर्मनाक है। ये IMF की राजनीतिक विफलता का संकेत भी है। IMF को इन ऋणों के प्रावधान के लिए इस समय किसी तरह के समायोजन या बदलावों की उम्मीद नहीं करनी चाहिए; और ये IMF की नीति में एक मुबारक-योग्य और अभूतपूर्व परिवर्तन होगा।
चीन और क्यूबा अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता के उदाहरण हैं। चीन और क्यूबा के डॉक्टर ईरान, इटली और वेनेजुएला में तो पहुँच ही चुके हैं; वे दुनिया भर में अपनी सेवाएँ देने की पेशकश भी कर चुके हैं। उन्होंने ऐसे मरहम और चिकित्सा उपचार विकसित किए हैं जो COVID19 से पीड़ित लोगों की मृत्यु-दर कम कर सकते हैं; और वे किसी पेटेंट या लाभ की परवाह किए बिना उपचार के ये तरीक़े पूरी दुनिया के लोगों को बताना चाहते हैं। इस समय पर चीन और क्यूबा के उदाहरण को गंभीरता से लिया जाना चाहिए; इसी उदाहरण का नतीजा है कि कोरोनोवायरस की महामारी के संकट में समाजवाद की कल्पना करना पूंजीवाद के बेरहम शासन में रहने से ज़्यादा आसान लग रहा है।
यूरोपीय देशों में अपना प्रचंड प्रकोप दिखा रही इस महामारी ने दशकों की मितव्ययिता नीतियों और अपर्याप्त वित्त-सहायता से जर्जर हो चुकी वहाँ की स्वास्थ्य प्रणालियों की नाकामी प्रत्यक्ष कर दी है। यूरोपीय सरकारों, यूरोपीय सेंट्रल बैंक और यूरोपीय संघ (EU) ने निश्चित रूप से आने वाली आर्थिक तबाही को टालने की कोशिश में, इस समय पर भी अपने संसाधनों का बड़ा हिस्सा वित्तीय और व्यावसायिक क्षेत्रों के लिए आवंटित किया है। हालाँकि इस संकट की स्थिति में सरकारों की कार्य-क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से कुछ क़दम उठाए जा रहे हैं: जैसे कि लक्षित पुनःराष्ट्रीयकरण; स्वास्थ्य सेवा-कर्मियों का और निवारण के उपायों का कुछ समय के लिए सार्वजनिक नियंत्रण; या किराए और आवास-ऋण के भुगतान से एक सीमित समय के लिए छूट देना। लेकिन ये उपाय श्रमिकों को स्थायी रूप से मूलभूत गारंटियाँ देने और इस महामारी के विनाशकारी प्रभावों से सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाले श्रमिक वर्ग -स्वास्थ्य कार्यकर्ता, देखभाल कार्य करने वाली महिलाएं, खाद्य उद्योग के कर्मचारी और बुनियादी सेवाएं देने वाली कंपनियों के कर्मचारी आदि- के स्वास्थ्य की सुरक्षा के प्रति सरकारों की संकल्पित प्रतिबद्धता को नहीं दर्शाते।
ये पिछले पचास सालों से दुनिया पर हावी नवउदारवादी नीतियों का पूरी तरह से खंडन करने की बजाए, चुनिंदा नवउदारवादी नुस्खों का कुछ समय के लिए परित्याग करने जैसा है। IMF को इस पहलू पर ख़ास ध्यान देना चाहिए; IMF ने अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में संसाधनों के नरभक्षी-निजीकरण के द्वारा एक के बाद एक सभी देशों को संस्थागत रेगिस्तानों में बदलने की सभी परियोजनों में सक्रिय रूप से भाग लिया है। विश्व के सभी देशों को मजबूत बनाना और पूरे विश्व की जनता के पक्ष में धन का पुनर्वितरण इस समय IMF की प्राथमिकता होनी चाहिए।
वैज्ञानिक हमें बताते हैं कि वायरस के खिलाफ यह संघर्ष अगले तीस-चालीस दिनों तक चल सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि प्रत्येक देश और प्रत्येक सरकार कई हजारों लोगों की मृत्यु को रोकने के लिए ज़रूरी उपाय करे।
इंटरनेशनल असेंबली ऑफ पीपल्स में भाग लेने वाले विभिन्न आंदोलनों, यूनियनों और पार्टियों का प्रस्ताव है कि इस संघर्ष को जीतने और नयी दुनिया के निर्माण के लिए संरचनात्मक परिवर्तन की एक योजना तैयार की जानी चाहिए। इस योजना में निम्नलिखित उपाय शामिल होने चाहिए:
इस घोषणापत्र में अपने संगठन के हस्ताक्षर जोड़ने के लिए, गुरुवार 26 मार्च, 2020 तक [email protected] पर एक ईमेल भेजें।