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जलवायु परिवर्तन की मार झेलता शहरी ग़रीब

जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न संकटों से बुरी तरह प्रभावित शहरी ग़रीब वर्ग होता है, जो कि वर्ग न्यूनतम जल निकासी और सीवरेज सुविधाओं वाले निचले इलाक़ों में झुग्गी झोपड़ियों में रहता है। जबकि यह वह आबादी है जो सबसे कम प्रदूषण बढ़ाती है। यह वास्तव में शहर की रीढ़ है, जो शहर को सस्ता और सुलभ श्रम प्रदान करती है।

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डिलीवरी ब्वॉय: ख़ुशियों की डिलीवरी करता ख़तरों से जूझता एक इंसान

डिलीवरी ब्वॉय का काम असंगठित क्षेत्र में आता है व उन्हें कोई सरकारी संरक्षण हासिल नहीं है। पूरे देश के स्तर पर ऐसी नीतियां अपनाने और कानून बनाए जाने की ज़रूरत है, जिससे डिलीवरी ब्वॉय का काम करने वाले लाखों लोगों को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा मिल सके।

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बजट 2024: मेहनतकशों से ज़्यादा मालिकों की चिंता

इस सरकार ने जो बजट पेश किया है, वह ऐसी धारणा बनाता है कि अर्थव्यवस्था के मामले में ऐसा कुछ तो हुआ ही नहीं है, जिस पर तुरंत ध्यान दिए जाने की ज़रूरत हो। ढीठपने का यह प्रदर्शन हैरान करने वाला है।

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पूंजीवाद के स्वर्ग में बेघर हो रहे मेहनतकश

अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। लेकिन यह समृद्धि सबके लिए नहीं है। एक तरफ़ पूंजी का अंबार है, तो दूसरी तरफ़ बेरोज़गारी और भुखमरी की समस्या भी बढ़ती जा रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में 5 से 6 लाख तक लोग बेघर हैं। जबकि बेघर होने की तलवार तो लाखों लोगों के सिर पर लटकती रहती है।

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