चे ग्वेरा: पापा ने जो मुझे सिखाया
चे ग्वेरा के व्यक्तित्व से मिले सबक़ पर उनकी बेटी द्वारा बच्चों के लिए लिखी किताब का हिंदी अनुवाद।
अलीदा ग्वेरा*
मैं बहुत छोटी थी, सात साल की भी नहीं, जब हमने पापा को खो दिया था।
मम्मी ने मुझे एक ख़त पढ़ कर सुनाया, जिसे पापा ने लिखा था अपने बच्चों को अलविदा कहने के लिए। कि यदि वे हमें अलविदा कहने खुद न आ सके तो वह ख़त हमें पढ़ कर सुनाया जा सके। बहुत प्यारा ख़त है। हमें ज़िंदगी के अहम सबक़ सिखाता है। इसीलिए मैं चाहती हूँ कि इसे तुम भी पढ़ो।
हम बहुत छोटे थे, इसीलिए पापा की बहुत थोड़ी यादें हैं हमारे पास। क्योंकि वो देश के एक ख़ास नेता थे, इसलिए वो बहुत काम करते थे और जब घर होते तब भी हम उनसे कम ही मिल पाते थे।
लेकिन मम्मी हमें उनके बारे में बहुत सी बातें बताती थीं, ताकि हम उन्हें बेहतर तरीक़े से जान सकें।
पापा सब के लिए एक अच्छी दुनिया चाहते थे, चाहे किसी का रंग, धर्म, दुनिया देखने का ढंग जो भी हो।
अपने आसपास देखो और फिर अपने दोस्त से पूछो कि जिस जगह तुम खड़े हो उसे उसके बारे में क्या लगता है। तुम पाओगे कि हम सब चीज़ों को अलग ढंग से देखते हैं। पता है क्यों, क्योंकि अगर हम सब एक ही तरह से सोचने लगेंगे, तो हमारी जिंदगियाँ कितनी बदरंग हो जाएँगी। नहीं?
हां, इस बात को समझने के लिए हमें यह जानना ज़रूरी है कि हम कौन हैं, कहाँ से आए हैं, हमारे मां-बाप कौन हैं, हमारे पुरखे कहाँ रहते थे, और हम इस आपसी भिन्नता का सम्मान करें। अगर हम समझदार हैं तो हम अपने दादा-दादी, नाना-नानी, पापा-मम्मी, और दोस्तों से बहुत कुछ सीख सकते हैं। है ना?
हमें उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। हमें अन्याय को समझने के लिए तैयार रहना चाहिए और लोगों की मदद करनी चाहिए, हर दिन, ताकि किसी को भी अन्याय न सहना पड़े।
आओ ख़त को एक साथ पढ़ें। हम सब इसमें से कोई ख़ास सबक़ ढूँढ सकते हैं।
मेरे प्यारे बच्चो
हिल्दिता, अलेदिता, कैमिलो, सीलीआ, और अर्नेस्टो,
अगर तुम्हें कभी यह ख़त पढ़ना पड़ा तो यह समझ जाना कि मैं नहीं रहा।
तुम्हें शायद ही मैं याद होऊँ, और छोटे वालों को तो कोई भी बात याद नहीं होगी।
तुम्हारा पापा एक ऐसा आदमी था जो अपनी सोच के हिसाब से काम करता था, और, भरोसा रखो, मैं अपने उसूलों के प्रति पूरा वफ़ादार रहा।
तुम अच्छे क्रांतिकारी बनना। खूब पढ़ो ताकि सृष्टि पर क़ाबू पाने की तकनीक पर क़ाबू पा सको। याद रखना कि क्रांति ही सबसे ज़्यादा ज़रूरी है, और ये भी कि हम सब अकेले-अकेले कुछ नहीं होते। सबसे ज़्यादा ज़रूरी है कि तुम दुनिया में किसी भी कोने में किसी भी व्यक्ति के साथ हो रहे अन्याय को हमेशा गहराई से महसूस कर सको। यही एक क्रांतिकारी का सबसे खूबसूरत गुण होता है।
Hasta siempre (हमेशा के लिए प्यार), मेरे बच्चों, उम्मीद है कि तुम्हें फिर मिल सकूँगा। खूब सारा लाड़ और बड़ी से झप्पी।
पापा
लगभग बचपन से ही, मेरे पापा सब कुछ देखना चाहते थे। इसीलिए वे अपने साइकिल पर एक छोटी मोटर लगाकर अपने बड़े से देश, आर्जेंटीना, के कई हिस्सों की सैर पर निकल गए थे।
पर क्योंकि वे और भी बहुत कुछ देखना चाहते थे, इसलिए उन्होंने अपने दोस्त ऐल्बेर्टो ग्रनाडो के साथ विशाल अमेरिकी मातृभूमि की यात्रा करने का फ़ैसला किया।
वे दोनों पूरा महाद्वीप देखना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने ऐंडीज़ पर्वतों के कई बड़े-बड़े पहाड़ पार किए।
उन्होंने कई असाधारण अनुभव किए, जिनके बारे में पापा ने बाद में अपनी ट्रैवल डायरी में लिखा, क्योंकि यह बहुत ज़रूरी होता है कि हम नई जानकारियों और अनुभवों को लिखें ताकि उन्हें याद रखा जा सके।
उस यात्रा में पापा ने बहुत कुछ सीखा। ख़ास तौर पर उन्होंने देखा की कितनी बड़ी संख्या में लोग ग़रीबी में जीते हैं, कि कितने ही सारे लोग दिन में सिर्फ़ एक बार खाना खा पाते हैं, और वो भी हर दिन नहीं, और उन्हें लगा कि यह सही नहीं है।
पापा तब चिकित्सा की पढ़ाई कर रहे थे, और दुनिया में एक नामवर डॉक्टर बनना चाहते थे, जो गंभीर बीमारियों का इलाज करते। लेकिन उस यात्रा में उन्हें समझ आया की सबसे बड़ी बीमारी है सामाजिक गैर-बराबरी। क्यों कुछ लोगों के पास बहुत कुछ होता है और बाक़ियों के पास न के बराबर चीज़ें? तुम्हें क्या लगता है? क्या तुम्हें लगता है कि यह ठीक है?
इसीलिए पापा अपने ख़त में हम से दुनिया में कहीं भी किसी भी व्यक्ति के साथ हो रहे अन्याय को हमेशा गहराई से महसूस करने की सलाह देते हैं। यही एक मनुष्य का सबसे खूबसूरत गुण होता है।
हालाँकि मेरे पापा ने दुनिया के एक बड़े हिस्से की यात्रा की थी, फिर भी वो पूरी दुनिया की सैर नहीं कर पाए थे। इसलिए उन्होंने उसके बारे में पढ़ना शुरू किया।
वो बहुत पढ़ते थे, अपना ख़ाली समय पढ़ने में ही बिताते थे, उसी से वो दुनिया के अलग-अलग लोगों के बारे में बेहतर तरीक़े से समझ पाए थे।
वे दुनिया की महान सभ्यताओं के बारे में, महान चिंतकों और दार्शनिकों के बारे में पढ़ते थे, और इन सब से पापा ने बहुत कुछ सीखा।
मेरे पापा जानते थे कि किताबों में सबसे रोमांचक खोजों और बेहतरीन फ़लसफ़ों का सार मिलता है। इसी वजह से उन्होंने ख़त में हम से खूब पढ़ने का आग्रह किया है, क्योंकि यही एक तरीक़ा है सृष्टि को समझने और उस पर क़ाबू पाने का, उसकी सादर देखभाल करने का, ताकि उससे मानवता के लिए अधिकतम लाभ लिया जा सके।
इसीलिए अपने ग्रह का ख़्याल रखना बेहद जरूरी है। एक पत्रकार हैं जो कहते हैं कि हमारे पास यही एक स्पेस-शिप है, और हम सभी को इसका ख़ास ख़्याल रखना चाहिए।
तो, हम युद्ध नहीं होने दे सकते; शांति बहुत ज़रूरी है। लेकिन असल शांति के लिए यह ज़रूरी है कि सभी के साथ न्याय हो।
और तुम जानते हो, कि मेरे पापा हमेशा उसी न्याय के लिए लड़े, इस कोशिश में कि हर इंसान अपने आज़ादी के अधिकार, गरिमा और आदर के साथ जीने के अधिकार को समझ सके।
कोई भी किसी दूसरे से अच्छा या बुरा नहीं होता। इंसान के रूप में हम सब एक दूसरे के बराबर हैं: हम सब साँस लेते हैं, हम सब रोते हैं, हम सब हंसते हैं, हम सब प्यार करते हैं। हमारी त्वचा के रंग अलग हो सकते हैं, हमारे बाल कर्ली या सीधे हो सकते हैं, काले या भूरे या सुनहरे हो सकते हैं, हमारी आँखों के रंग और चेहरों की बनावट अलग हो सकती है, पर क्या इन सबसे कोई फ़र्क़ पड़ता है?
आओ एक प्रयोग करें: अपने एक दोस्त का हाथ पकड़कर रोशनी की तरफ पीठ और दिवार की तरफ मुँह करके खड़े हो जाओ। क्या दिखता है दिवार पर? बस परछाई, अगर कोई उस परछाई की ओर देखे तो यह नहीं बता पाएगा कि तुम काले हो या गोरे, हरे हो या लाल, है ना?
बहुत से लोग मेरे पापा को हीरो मानते हैं, और जानते हो, मुझे भी यही लगता है। पर हीरो समाज से अलग लोग नहीं होते। ऐसा बिलकुल भी नहीं है। एक हीरो के आस-पास हमेशा और भी बहुत से हीरो मौजूद होते हैं और वे सभी मिलकर एक बेहतर दुनिया के लिए लड़ते हैं; अकेले हम कुछ नहीं होते।
सबसे जरूरी है सारी मानव जाति, पूरा देश, पूरा समाज। और कई बार सबसे मुश्किल काम होता है इन सभी लोगों को यह समझाना कि हम सब मिलकर यथार्थ को बदल सकते हैं।
कई लोग ऐसे होते हैं जो सिर्फ़ अपने बारे में और अपनी ज़रूरतों के बारे में सोचते हैं। इस बात से उन्हें कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि उनके पड़ोसी का क्या हाल है। यह डरावना है, पर बदक़िस्मती से ऐसे लोग हैं और हमें इस बात को समझना होगा।
हम यह कर सकते हैं कि उन्हें मिसाल पेश करें कि दूसरों की मदद की जा सकती है और कोई भी दूसरा काम इससे अच्छा नहीं होता।
अपने आस पास के सभी लोगों की ओर ध्यान दो और अगर किसी को ज़रूरत हो तो उनकी मदद करने की कोशिश करो। अगर क्लास में कोई साथी पढ़ाई में पीछे छूट गया है, तो उसकी मदद करो, सहायता करो और तुम्हें ज़रूर पहले से ज़्यादा ख़ुशी मिलेगी।
मेरे पापा एक ऐसे आदमी थे जिन्हें प्यार करना आता था; जब तुम थोड़े बड़े हो जाओगे तो वो कविताएँ पढ़ सकोगे जो वे मेरी मम्मी को सुनाते थे। उनमें से एक कविता मुझे ख़ास पसंद है। यह कविता चिली में जन्मे लैटिन अमेरिका के महान कवि पाब्लो नेरूदा ने लिखी थी, और इसका नाम है ‘अलविदा’।
मुझे नहीं लगता कि अभी तुम उसे पूरी तरह समझ पाओगे, लेकिन मैं तुम्हें यह बताना चाहती हूँ कि मेरे मम्मी-पापा एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे।
पापा बहुत बहादुर थे; वे अपने डर पर क़ाबू रखते थे। हाँ, मेरे दोस्तो, हम सभी को किसी न किसी बात का डर होता है और इसमें कोई बुराई नहीं है, यह बिलकुल साधारण बात है। लेकिन हमें अपने डर को खुद पर हावी नहीं होने देना चाहिए।
मेरे पापा को अस्थमा थी। यह साँस की बीमारी होती है, जिसके कारण वे शारीरिक रूप से बहुत रुकावटें महसूस करते थे। लेकिन उन्होंने अपनी बीमारी पर क़ाबू कर अपनी ज़िंदगी को आम बच्चों और नौजवानों की तरह जिया।
एक बार उन्होंने ऐमज़ान (दुनिया की सबसे बड़ी नदियों में से एक नदी) से निकलने वाली एक छोटी नदी को तैर कर पार किया था। ये मुश्किल था, पर फिर भी उन्होंने यह किया ताकि वो नदी की दूसरी तरफ़ अलग कर दिए गए कुष्ठ रोगियों के साथ अपना जन्मदिन मना सकें।
पापा हमेशा से ही ऐसे थे; जिन्हें मदद की ज़रूरत होती उनकी मदद करते थे और हमेशा सबको सम्मान देते थे।
हम हमेशा जीतते नहीं हैं। कई बार हालात हमें हरा देते हैं, कई बार हमने जीतने के लिए पूरी तैयारी नहीं की होती, लेकिन हम हार नहीं मान सकते। हमें हर हार से सीखना होगा, यह समझना होगा कि हमसे ग़लती कहाँ हुई, और अगली बार के लिए बेहतर तैयारी करनी होगी।
अगर तुम्हें अपनी सीमाएँ दीवार जैसी सख़्त या अपराजेय सैनिकों से भरी सेना लगें, तो अपनी कल्पना के घोड़े दौड़ाओ। हम सब में होती है कल्पना की क्षमता।
सभी के दिलों में ख़ज़ाने छुपे होते हैं। आपको अपने सामने खड़ी चुनौतियों को पाटने के लिए अपना ख़ज़ाना खोजना होगा।
इसलिए मेरे पापा का यह ख़त आपके भी काम आएगा।
बड़ी सी झप्पी और प्यार।
*(लेखिका चे ग्वेरा की बेटी हैं और क्यूबा में चिकित्सक हैं।)
अनुवाद: हरलीन कौर